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9.5.10

सिर्फ़ अपनी माता को ही सम्मान

जी हां मातृ दिवस पर आप सभी के बीच एक विचार बांटना चाहता हूं कि हम संकल्प लें कि सिर्फ़ अपनी माता को ही सम्मान दें अन्य किसी की  माता के प्रति गुस्से में भी कोई अपशब्द न कहें और न ही कहने दें यही देखतें हैं हम अक्सर  अक्सर आप सब भी देखते ही होंगे सुनते भी होंगे आप से अनुरोध है कि मातृ दिवस पर हरेक माता का सम्मान बनाने में हम क्रिया रूप में भी आगे आयें. अक्सर देखा गया कि चन्द सिक्को के पीछे सोनो ग्राफ़ी कर भ्रूण को जन्म लेने से रोकते हैं एक मां को ......जो ऐसा करते कराते हैं ऐसे लोगों को छोड़कर  और जो किसी भी अन्य की माता का सम्मान नहीं करते उनको भी छोड़ कर सभी को मातृ दिवस की बधाईयां

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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