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30.6.14

शास्त्री जी नाराज़गी छोडिये : केवल भाई क्षमा मांगिये तकनीकी समस्या बताते हुए ..


"आज से ब्लॉगिंग बन्द"   का उदघोष कर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक जी ने एक बार फ़िर ब्लाग जगत में खलबली मचा दी . मसला मेरी दृष्टि में एक तरह की मिसअंडर स्टैंडिंग है .. www.blogsetu.com को लेकर. जहां तक मेरा मानना है शास्त्री जी ने हिंदी ब्लागिंग को वो सब दिया जो ज़रूरी था उनकी वज़ह से ही हिंदी ब्लागिंग में कुछ नए नवेले प्रयोग हुए.. खटीमा सम्मेलन इस बात का सर्वोच्च उदाहरण है. जिसमें वेबकास्टिंग को स्थान मिला.. और आगे गूगल को जिसे हैंगआउट के रूप में सुविधा के रूप में सबको देना ही पड़ा .  
 जहां तक ब्लाग सेतु  का सवाल है उसके निर्माता भाई केवलराम की जीवटता को नकारना बेमानी होगा. 
 वैसे इन दौनों महारथियों के बारे में कुछ भी कहना सूरज भैया के सामने दीपक रखने वाला काम ही होगा. दौनो महानुभाव योग्य ही नहीं सुयोग्य और क्षमतावान हैं.  
      ब्लाग सेतु  के पूर्व से चर्चामंच पाठकों तक नि:स्वार्थ लिंक उपलब्ध कराने का काम कर रहा है. किंतु अचानक ब्लाग जगत में हुए ऐसे विवाद से मन पीढ़ा से भर आया है. अच्छा होता कि बात केवल शास्त्री जी एवम केवल भाई के बीच निपट सुलझ जाती पर अब आगे बढ़ ही चुकी है तब तथ्य मुझे  गहराई तक जाना ज़रूरी लगा. पतासाज़ी से जाना कि नवीन वेबसाइट होने से भाई केवलराम उस पर स्लो चलने के दबाव से बचना चाहते थे.. और उन्हौने सम्भवत: चर्चामंच को प्रयोग के तौर पर हटाया था.. इस वास्तविकता से  उनको शास्त्री से दूरभाष पर चर्चा कर लेना था. या उनको इस प्रयोग कि जानकारी दे देनी थी ताकि वे केवलभाई के इस प्रयोग को अन्यथा न लेते .. शास्त्री जी आपसे भी बिना लाग लपेट के कहना चाहता हूं कि केवल भाई का कार्य आपके विरुद्ध न होकर एक प्रयोग मात्र था यही सच है. 
    शास्त्री जी नाराज़गी छोड़िये और केवलराम जी छोटे भाई के रूप में क्षमा मागिंये शास्त्री जी से कि तकनीकी समस्या की पड़ताल  के लिये ऐसा प्रयोग किया.. था... !! 
"क्षमा बड़न को चाहिये छोटन के उत्पात "     


25.10.11

मिसफ़िट के पाठकों की संख्या 50,000 का आंकड़ा पार


किसी के लिये हो न हो मेरे लिये बड़ी बात है कि मिसफ़िट के पाठकों की संख्या 50,000 का आंकड़ा पार कर चुकी है.मेरे बेशक सभी ब्लाग के पाठकों की संख्या को जोड़ लें तो ७५ हज़ार से ज़्यादा है. पर क्या लिखने मात्र से यह सम्भव था. कदापि नहीं.. मुझे  आभासी दुनिया का एहसासी स्पर्श जो मिला बहुत उत्साहित किया सबने टांग भी खींची पर अर्रा के खुद ही गिर गये कुछेक उनकी यह दशा मुझे दुखी कर रही है.. बहरहाल सभी का आभार कि मिसफ़िट को एक महत्व-पूर्ण दर्ज़ा दिलाया
                                  आभार उनका जो साथ हैं जी जो साथ थे जो सदा साथ होंगें जो साथ आ जाएंगे कल..! और मुझ जैसे अकिंचन को  जो अपने अभिव्यक्त विचारों के पुलिंदे को लेकर बेहद मायूस था  .. कि क्या करूं किस तरह लोगों तक ले जाऊं इनको उत्साहित किया. समीरलाल श्रद्धा जैन पूर्णिमा वर्मन जैसे हस्ताक्षरों का तो आजीवन ऋणी रहूंगा जिनने हिंदी ब्लागिंग के सलीके सिखाए इन त्रि-मूर्तियों को गुरु का दर्ज़ा दिये बिना मुझे चैन न मिलेगा.
2007 से शुरु ब्लागिंग का सफ़र में मुझे ललित शर्मा,यशवंत सिंह,अशोक बज़ाज,शायर अशोक,  ने बेहद प्रोत्साहित किया उधर बिंदास सरदार पाबला जी वाह क्या कहने उनका ज़िक्र किये बगैर तो बात पूरी न होगी इंदू पुरी जी, संगीता पुरीजी,मनोज कुमार,Akhtar khan Akela 
शरद कोकास -   Vivek Rastogi ,Suresh Chiplunkar ,Hind Yugm -टीम, Ram Krishna Gautam ,Hello Mithila >> Mithilak Gap Maithili Me -,

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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