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14.11.10

मिसफ़िट बालसभा :अर्चना चावजी द्वारा

                           बच्चो आज़ का दिन आपको मुबारक़ हो . हम बचपन से इस दिन पर चाचा नेहरू को याद करते हैं. पर हम ये नहीं सोच पाते की आज़कल कितने ही बच्चे पैसे के अभाव में न तो स्कूल जा पाते न ही कुछ सीख पाते. कुछ बच्चे तो जन्म से कुछ अन्य कारणों से अपाहिज़ हो जाते हैं. उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा जिसे दिखाई नही देता जबलपुर के पास एक गांव सोहड़ में रहता था. अपने गिरीश अंकल है न वो अपनी पर्यवेक्षक बहन माया मिश्रा जी के साथ गांव के दौरे पर गए मंगल से मिले मंगल इतना कुपोषित था कि बस कभी भी उसकी जीवन की कहानी खतम हो सकती थी. क्या खतम हो सकती थी
बच्चे: दीदी,जीवन की कहानी याने दीदी?
 दीदी:-यानी मंगल को कोई बीमारी घेरती तो वह सह न पाता और मर जाता.
बच्चे:फ़िर क्या हुआ अर्चना दीदी ?
 हुआ ये कि मंगल की मम्मी जो खेत पर मज़दूरी करती को समझाया गया. आंगनवाड़ी वाली दीदी प्रीता पटेल ने,माया मिश्रा ने गिरीश अंकल ने भी
बच्चे:-अच्छा..फ़िर...?
दीदी:-फ़िर क्या उसी दिन जबलपुर के सरकारी अस्पताल रानी दुर्गावती अस्पताल में "पोषण-पुनर्वास-केंद्र" में बच्चे को भर्ती किया पंद्रह दिन में मंगल की मम्मी ने सीखा कैसे सस्ते अनाज़ से बाल आहार को पौष्टिक बना के किस तरह बच्चे को खिला जाता है .
बच्चे:-अब कैसा है मंगल.....?
दीदी:-मंगल जून महीने में अंकल ने बता था था कि वो अब इतना भारी हो गया कि उसे उठाना मुश्किल.
बच्चे:-तो मंगल स्कूल जाता है क्या..?
दीदी:-न गांव में प्रीता दीदी आंगनवाड़ी है न वही आता है.स्कूल जाएगा पढ़ेगा भी. पता है गिरीश अंकल एक एलबम बनवा रहे हैं "जीभ-पलट गीतों का" जिसे गायेंगे आभास जोशी और बहुत सारे बच्चे शायद मैं भी..?. उसकी आमदनी से जो पैसा मिलेगा उसका एक हिस्सा जाएगा मंगल के खाते में
बच्चे:-दीदी  आप गाती भी हो?
दीदी:-हां कभी कभी
बच्चे:-तो सुनाओ न सुनाओ न सुनाओ न......(शोर इतना बढ़ा कि मुझे झुकना पड़ा और सुना दिये मैने उनके गिरीश अंकल के लिखे ये गीत) ---

कुछ ऊँट उँचा--


पीतल के पतीले में--



अपर रोलर लोअर रोलर---

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चलिये मिलते हैं छै: साल के छोकरे मास्टर निकुंज त्यागी से
नाम - निकुंज त्यागी उम्र - ६ साल
क्लास - पहली ग्रेड पर क्लास टीचर के हिसाब से तीसरी ग्रेड से भी ज्यादा की जानकारी पढ़ने में और गणित में
रूचि - किताबें पढ़ना , और जर्नल लिखना अपने अनुभवों के बारे में, स्टार वार्स और पॉवर रेंजर का दीवाना है, साथ ही क्यूंकि उसका नाम का एक अर्थ कृष्ण भगवान् भी होता है तो कृष्ण जी के बाल रूप का दीवाना है ! डांस में विशेष रूचि है !
टेनिस, soccer, और तैराकी में अभी तक तो अव्वल है ! साथ ही पिछली साल उसकी एक पेंटिंग का प्रदर्शन स्कूल की और से एक जिला स्तरीय प्रदर्शनी में हो चुका है
यू ट्यूब पर देखिये क्या ला ज़वाब वाह भई वा




http://www.youtube.com/watch?v=hghS1ZV3yQc
http://www.youtube.com/watch?v=V3vVOWTdE9M
http://www.youtube.com/watch?v=5UmIGS-fpUM
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मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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