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15.3.11

ओह निप्पन हम हतप्रभ,स्तब्ध चकित तुमको देख रहें



ओह निप्पन 
हम हतप्रभ,स्तब्ध चकित
तुमको देख रहें
कितने दर्द तुम्हारे भाग में लिक्खे गये
हिरोशिमा तथा नागासाकी
 वाले निप्पन
अमेरिका का कहर भोगने के
जी उठने वाले निप्पन 
तरक्की किसे कहते हैं
हर हार के बाद सिखाते हो
शोक गीत से शायद ही
धीरज मिले….तुमको
जो
66 बरस बाद एक बार फ़िर
 शोक में डूबा देख
मेरे मन में सुनामी सा उठ रहा है बार बार
सैलाब 
ओ द्वीपों वाले देश
सुनामी को तुम ही जानते हो
तुम्ही ने उसे नाम भी दिया
तुम कितना भोगते हो
पैगोडाओं में रखे उन अवशेषों को भी
सुनामी ने निगला तो होगा
उन अवशेषों की वापस 
तथागत से 
 मांगते हम 
तुम्हारा साहस 
"साहस"
जिस के तुम
पर्याय हो
सहित ६८०० द्वीपों की पीढा के सहने की
शक्ति  मिले तुमको
उफ़ निप्पन तुम
रेडियेशन के दुष्प्रभाव की प्रयोगशाला
बनते हो 
सदा 
हम हैं तुम्हारे साथ 
मन में है भाव आर्त 
क्या कहा..?
राज़नैतिक विश्व ?
नहीं 
अब ज़रुरत है
मानवीय-विश्व की
जहां न सीमाएं हैं 
न शख्सियतें 
जो 
न जाने क्यों  
विकास के नाम पर
गाल-बजातीं हैं
खतरों की फसलें उगातीं हैं
बस इंसानियत के क़ानून हों 
यह हमने तुम्हारी  पीडा से जाना है
- विकास के पीछे के 
सोये हुए विनाश  को पहचाना है 
शायद समझेंगी 
विश्व भर की सत्ताएं 
मानवी देहों की कीमत  !!
____________
निप्पन =सूर्योदय वाला देश

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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