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30.1.12

ऐसे मनाई नर्मदा जयंती : कोलावरी डी....झुमका गिरा रे...पे थिरकते बच्चे चीयर अप करते अभिभावक


तिलवारा पुल के नीचे : बच्चे रेवा के आंचल में
लहरों के पल्लू उपहार ले आते हैं  
नेमावर वाले बच्चे रेवा तट से पन्नी कचरा
बीन बीन के जला देते हैं  
                               कल मन काफ़ी उत्साहित था नार्मदेय ब्राह्मण जो हूं. डा.संध्या जैन "श्रुति" के नर्मदा-महाकाव्य के विमोचन समारोह में मैंने संचालन के दौरान  मैने गर्व से कहा था कि नार्मदेय ब्राह्मण हूं मुझे नर्मदा महाकाव्य के विमोचन का अवसर मिला अभिभूत हूं मुझ पर मां नर्मदा की विशेष कृपा हुई है.. और दूसरे ही दिन यानी 30 जनवरी 2012 की अल्ल सुबह    मां नर्मदा के तट पर आयोजित होने वाले समारोह में जाकर स्वजातीय बंधुऒं से मिलूंगा गया भी तिलवारा तक वहां जाकर पता चला कि आयोजन स्थल बदल गया है.  घर से निकलते वक़्त धर्म-पत्नि से घर पे आने वाली सूचनाऒं को बिना प्राप्त किये निकलने से नुक़सान ही होता है. पर एक लाभ हुआ कि नर्मदा-दर्शन हो गए. सामाजिक कारोबार में सरकारी लोग कुछ इसी तरह अज्ञानी   होते हैं..जैसा कि मैं.. !  बहरहाल लौटना था सो लौटा और कुछ देर पश्चात समाज द्वारा नर्मदा जयंति के अवसर पर हो  रहे धार्मिक आयोजन में जाकर देखा तो मंजर ही अजीब था.. वहां सांस्कृतिक-कार्यक्रमों की प्रस्तुति हो रही थी. नन्हे मुन्ने बच्चे कोलावरी डी, झुमका गिरा रे जैसे गीतों पर ठुमके लगा रहे थे. ठुमके तो और भी लगे हिंदी फ़िल्मी गीतों के रीमिक्स पर.. दादा दादी ताऊ जी बाप-मां सब चीयर अप कर रहे थे..मां नर्मदा की कृपा ये रही कि मेरे स्वजातीय बंधुओं के बच्चों ने "हैप्पी-बर्थडे टू नर्मदा नहीं कहा और न ही बेचारे विप्र आयोजकों ने मैया के लिये केक न काटा..!!
          

डा. विजय तिवारी किसलय कृत नर्मदा स्तुति :नित नमन मां नर्मदे

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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