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2.12.11

वाई दिस कोलावेरी डी...?



          वाई दिस कोलावेरी डी...? युवाओं के अब तक की पसंदीदा गीतों में सबसे मशहूर बन गया है..? इस वायरल फ़ीवर को सबसे ज़्यादा युवाओं ने क्यों पसंद किया इस  सवाल का ज़वाब आप किसी भी बच्चे से ले सकतें हैं यकी़नन वो कहेगा इस का संगीत बेहतरीन है....जी हां तभी तो एक माह में ही  यू-ट्यूब पर सर्वाधिक देखा सुना गया ये गीत . जी यक़ीन नहीं ..आया .. यक़ीन कीजिये  मेरे इस आलेख के लिखे जाने तक 678,032  दर्शक जुटा चुका यह गीत इसके आगे यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि 25 Nov.2011 ko अपलोड हुए  Why This Kolaveri Di के फ़ीमेल वर्जन को दस लाख दर्शक मिले..   Nov 24, 2011 को  अपलोड यह गीत  बेशक सबसे सरताज़ नम्बर बन गया है. जबकि 31 अक्टूबर 2010 को अपलोड  मुन्नी की बदनामी एक बरस में 6,126,265   जी हां शीला देवी को केवल 2,804,735 दर्शक मिले .
  इस गीत के बारे में युवाओं का कहना है कि गीत का संगीत संयोजन मधुर है.. संगीत में माधुर्य है.. सो वी लाइक दिस .....!!
इतना ही नही हुज़ूर इस गीत का गुजराती संस्करण भी बन चुका है रीमिक्स वगैरा भी  हैं.. यानी कुल मिला कर ज़बरदस्त हिट गीत .......... आप भी सुनिये एक बार अपनी उम्र को पीछे ले जाएं
   

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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