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26.1.11

बदल दो व्यवस्था की बयार फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार

  अर्चना जी के स्वर में  प्रेरक गीत  =>                                                              
 भारतीय जन
तुम प्रभावों से हटकर                                                           
अभावों से  डटकर
करो  मुक़ाबला.
उन्हैं लगाने दो मेले
करने दो व्यक्ति पूजा
ये उनका पेशा है
तुमने कभी कोई ज़िन्दा-इन्सान देखा है ?
मैं तुमको इस पर्व की शुभ कामनाएं कैसे दूं
मुर्दों से
संवादों  की ज़ादूगरी से अनभिज्ञ
पर यह जानता हूं कि
तुम इनके नहीं
शहीदों के ऋणी हो
ये भिक्षुक तुम इनसे धनी हो
बदल दो व्यवस्था की बयार
फिर मनाओ हर बरस ये त्यौहार
इनके पीछे मत भागो
जागो समय आ गया है
जागने का जगाने का 
ज़िंदा हो इस बात का आभास दिलाओ     
मैं शुभकामना की मंजूषा लिए  खड़ा
शायद तुमको ही
दे दूं  " शुभकामनाएं"
अभी तो शोक मना लूं
यशवंत सोनवाने का


मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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