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9.7.09

मुखेटाबाज टिप्पणीकर्ता कोई नाजायज़ जिस्म होगा !

देर रात आज ऑफिस से लौटा हूँ नेट खोला तो भाई महेंद्र मिश्रा जी का यह आलेख पढ़कर दुःख हुआ, किसी का अश्लील अनाम टिप्पणीकार होना उसकी कुंठित बुद्धि का परिचायक है मुझे तो ये लोग नाजायज़ तरीके से दुनियाँ में फ़िर दुनिया से ब्लॉग जगत में आए लोग लगतें है। किसी के आलेख से असहमत होना स्वाभाविक है किंतु इस असहमति को इस तरह व्यक्त करना निकृष्टता है। ऐसे अनाम/गलीच/गंदे टिप्पणीकारों को ईश्वर जितनी ज़ल्दी हो सके सदगति दे ऐसी कामना है । महेंद्र जी हम सभी आपके साथ है ।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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