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16.12.11

एक बार फ़िर आओ कबीर

                              दिशा हीन क्रांतियां, क्रांतियों में भ्रांतियां.. एक अदद क़बीर की ज़रूरत है.कबीर जो क्रांतियों को एक दिशा देगा कबीर जो बिगड़ते आज को सजा देगा  हां उसी क़बीर की जिसने राम रहीम का तमीज़ सिखाया बेशक़ उसी कबीर की बात कर रहा हूं जो अहर्निश चिंतन करघे से बुनता रहा सम्वेदनाओं आसनी.और चदरिया . जी हां उसी क़बीर की प्रतीक्षा है. 
 कबीर मुझे सुनो मेरी चादर तार तार है.. आसनी उफ़्फ़ क़बीरा वो तो बैठने लायक न रही. जिसे देखो कोई मेरी चादर कोई मेरी आसनी खैंच रहा है अबकी ऐसी बुन देना कि अमर हो जाए.. मैं मर जांऊं पर न आसनी फ़टे न चादर झीनी हो. क्या सम्भव है ये..? 
 आओ जुलाहे एक बार आ ही जाओं सब राम रहीम सब को भूल गये इनके राम को ये भूल गए उनके उनको याद दिलाओ कबीर कि "राम रहीमा  बंदूक बम तलवार में नहीं बसते
    कुछ मूरख "अल्ला" की हिफ़ाज़त करने निकले हैं बन्दूकें हाथ लिये क़बीर तुम भी हंसोगे इन मूर्खों की करतूतों पे ये मूरख नहीं जानते  परमपिता को कोई मार सका है..? न ये मनके मनके फ़ेर न पाए अब तक बस दिये जा रहे हैं बांग और पिता तो...!और हां  कुछ  मूरख तो राम को बचाने सायुध निकले राम जो अंतस की ज्योति है..उस.राम के बिना ये न जीवन था न है...और  न ही रहेगा .पर कौन समझाए कैसे समझाए तुम वही राह बताने आ जाओ क़बीर .

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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