लिमिटि खरे का कथन गलत है ऐसा कहना भूल होगी रोज़नामचा वाले लिमिटि जी के बारे में जो प्रोफ़ाइल में है ठीक वैसा ही व्यक्तित्व जी रहे.
- लिमटी खरे LIMTY KHARE
- हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किया है। हमने पत्रकारिता 1983 में सिवनी से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर में अनेक अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा
- इस प्रोफ़ाइल से इतर तेवर नहीं है लिमिटि जी के. यकीं न हो तो आप खुद सुनिये
8 टिप्पणियां:
kaya baat hai chaa gaye aap to sir
ye to bilkul sach kaha hai aapne ..
media ne aslilta ko badhava diya hai...
जय हो लिमिटी खरे जी की। अच्छी लगी उनसे बातचीत।
आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है।
सत्य है और बहुत बड़ा सत्य है।
बवाल मियां किधर पाये जातें हैं आज़कल
अरे जनाब, लिमटी जी ने तो बेलिमिट अनेक को धो दिया इसके जरिए जो सफाई होगी वो तो किसी रिन के बस की भी नहीं है।
अच्छा लगा लिमटी खरे जी की बेबाक बातों के सुनना!
लिमटी खरे जी! आपके द्वारा पीत-पत्रकारिता संबंधी विचार महत्वपूर्ण हैं-
"आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा।" आपकी इस चिंता के हम सहभागी हैं। चौथे खंभे के उद्धार हेतु प्रयत्नशील भी......
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