2.11.08
रविवार शाम ढलते-ढलते एक ब्लॉग चर्चा !!
"प्यार करते हैं",बयाँ भी किया करतें है हज़ूर ये न करें तो बवाल मचने का पूरा खतरा है की कहीं कोई पूछ न ले कि क्या हम प्यार कर रहे थे ...?। कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बाते,यकीनन आहिस्ता आहिस्ता..ही समझतें है लोग यदि न करें तो क्या करें भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट ",क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो, पहलवान ने जो बताया उससे सबको कुछ और पता चला । खैर जो भी हो उधर बात ज़्यादा नहीं बढेगी बस छोटे-बड़े का ओहदा तय होगा कहानी अपने आप ख़तम हो जाएगी ।मुम्बई से बाहर जा सकता है भोजपुरी फिल्म उद्योग यदि तो "भइया""जबलपुर - "आ जाना अपन इंतज़ाम कर देंगे यहाँ सबई कछु उपलब्ध है । आपका इंतज़ार रहेगा हम तब तक रख लिए हमने "तकिए पर पैर" और भोजपुरी निर्माताओं के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं । राज के राज में मनोज बाजपेई, ,की किसी सांकेतिक पोस्ट का न आना अभिव्यक्ति पर सेंसर शिप जैसा है। जानते है जल में रह कर मगर से बैर ...........?
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मेरे बारे में
- बाल भवन जबलपुर
- जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर
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10 टिप्पणियां:
बेहतरीन चर्चा, बधाई!
बहुत बेहतरीन चर्चा!!!
एकदा पाब्लो नेरूदा ने भी भारत प्रवास के दौरान बताया था कि आपके ज्ञानजी से रागात्मक संबध हैं। वैसे आप तीनों ही मुझे प्रिय हैं और मैं अपना नाम बदलकर प्रियांशु रखने वाला हूं। इसीलिए यह टिप्पणी कबाड़ी होने के बावजूद अनाम भेज रहा हूं।
आपको पहचान तो गया ही हूँ प्रियांशु भाई
ज़रूरत है ये समझने की कि यदि आप अपना नाम जो है वही रखिए
इसका और अधिक "विकास" करने का क्या कारण हो सकता है ?
खैर टिपियाते रहिए लुभाते रहिए
wah, kya taana baana buna hai lfjon se, kmal...
Regards
Thans's
&
Regards
"भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट ",क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो, पहलवान ने जो बताया उससे सबको कुछ और पता चला" .
भाई गिरीश जी इसका अर्थ मुझे समझाये. क्या यमराज ने पोस्ट चुराई है या सूमो पहलवान ने जो बताया उससे सबको पता चला .
भाई ये महज संयोग ही था कि यह रचना मैंने आरती संग्रह से पाठको के लिए ब्लॉग में प्रकाशित की . उसके बाद गुप्ता जी ने बिना प्रयास के हुबहू पेस्ट कर दी. आप टाईप अक्षरो का मिलान कर सकते है . जैसा सूमो ने बताया और मैंने भी कई ग्रथों में हुबहू पढ़ा है और ये चीज मेरे जन्म से पूर्व की है और सभी की है . मैंने कापीराईट के बारे में भी नही कहा था की यह मेरा है आदि. बिना किसी फेर बदल के . धार्मिक द्रष्टि से यह रचना मैंने ब्लॉग में रखी तो क्या ग़लत किया. मैंने कहा तो क्या ग़लत कहा . फ़िर बाद में ऐसा लग रहा है कि ब्लॉग जगत के जन मुझे दोषी करार रहे है . आपके भावो से भी मुझे आभाष हो रहा है कि मैंने कापी चुराकर पेस्ट की. और मेरा मजाक उड़ाया जा रहा है. ब्ल्लाग जगत में यह मेरे साथ पहली घटना है इसीलिए मामले को तूल देने का प्रयास नही किया.
प्रिय महेंद्र जी
सादर अभिवादन
आगे इस बात को मत बढाइए वास्तव में मेरी पोस्ट
आभासी युग के मतविमत को उजागर करती है
सत्य यही है कि हमारे बीच कोई [ब्लॉगर'स के बीच ]आपसी कोई
रिश्ता नहीं किंतु रिश्ते कायम हो रहे हैं लोग एक दूसरे को जान
पा रहे हैं किंतु समझ नहीं पा रहे सभी समीर लाल नहीं ताऊ नहीं हैं
जो सहजता से मिलें हाँ कुछ एक हैं ऐसे
किंतु अधिकाँश लोग इस मुगालते में हैं कि वे एक विधा के पारंगत हैं
यहाँ नेति नेति को अर्थात सदैव पूर्णता की और यानि "अभी अपूर्ण है "
यहाँ "सतीश पंचम" की सहजता को कोई ग़लत अर्थ में लेता है तो कोई
ब्लॉगर अपने मेल बाक्स में मेरा संदेश पाकर भड़क जाता है तो कोई
मुहिम चला देता है फ़िर भी ज़ोरदार पोस्ट लिखने वालों की कमीं भी नहीं है
आप वरिष्ठ हैं यदि उनने लिख भी दिया था सो आप क्षमा भी कर सकते हैं
आप तो मेरे मार्ग दर्शक हैं आप भी बस आपका गुस्सा भी क्षण भर का रहा होगा
किंतु विवाद हो ही गया न ?
भाई साहब ,
राज जी की एक पोस्ट बड़ी विनम्रता से उन्हौने हटा ली वो भी बच्चों की गुजारिश पर
उनका कद मेरी नज़र में पुरूष से महापुरूष हो गए उधर कई ऐसे भी हैं जो खैर छोडिए
आप तो अनूप शुक्ल जी के शब्दों में "अपने प्रवाह में अच्छा लिखते रहिए मुस्कुराते रहिए"
अब छोडिए भी न
वाह वाह मुकुल भाई शुक्रिया हमको अपने ब्लॉग पर जगह देने के लिए. इसे फेवरेट में दर्ज कर लिया है और अब सतत संपर्क में रहूँगा जी.
---आपका अपना
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