26.3.19

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?



ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…….?

         वास्तव में ये सवाल ज़ायज़ है आज के दौर के लिए कबीर मिर्ज़ा ग़ालिब यहाँ तक कि स्वामी विवेकानंद भी मिसफिट हैं । 
         मन में खिन्नता है मेरे शाम को घर लौटता हूँ टीवी पर डिबेट के नाम पर अभद्र वार्तालाप ओह क्या हो गया है... इस मीडिया को लोगों को । 
        जब भी सोचता हूं गुरुदत्त के बारे में तो लगता है कि कुआं खुद बेहद प्यासा रहा है अपनी जिंदगी में । कवियों कलाकारों की जिंदगी का सच यही है बेशक मैं इन्हें शापित गंधर्व कहता हूं ।
याद है ना आपको राज कपूर की वह फिल्म जिसमें एक सर्कस का कलाकार अपनी जिंदगी के चारों पन्नों पर कशिश लिख देता है । जरूरी भी है ए भाई इस दुनिया को देख कर चलना । यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
 प्यासा और कागज के फूल मैंने अपनी युवावस्था में देखी फिल्म में है जब भी इन फिल्मों को देखता हूं आंखें डबडबा जाती हैं । बहुतेरे ऐसे कलाकारों को भी जानता हूं जो मिसफिट होते हैं समाज के लिए और एक अंतर्द्वंद लेकर समाज में जीते भी हैं और मरते भी । अंतस की पीर से ऐसी ऐसी रचनाएं उभरती है गोया खुद ईश्वर उतर आते हैं हम में और हम दुनिया को कुछ दे पाते हैं । कभी कभी यह गाते हुए दुनिया को तिलांजलि देने की इच्छा होती है कि मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया । दुनिया कविता चित्रकारी मूर्ति कला गीत गायन संगीत की स्वर लहरियां बिखेरने वालों को दुनिया के लिए मिसफिट मानने लगती है । एक बार मेरे एक मित्र मुझसे मिले उन्होंने पूछा क्या कर रहे हो उन दिनों मैं बेरोजगार था जॉब की तलाश में था तो स्वाभाविक तौर पर मेरा जवाब था कविता कर रहा हूं !
कविता ने तुम्हें रोटी नहीं देनी है कविता से कपड़ा भी नहीं मिलेगा मकान की तो छोड़ो यार कुछ जॉब करो जॉब के लिए तैयारी करो देखो मैं फला जॉब में हूं ।
मित्र की बात सीने पर हथौड़े की तरह जा लगी लेकिन मैंने धीरे से कहा- मित्र शादी नौकरी बाल बच्चे इसके अलावा दुनिया में और भी बहुत सारी चीज है जिसके लिए हम जमीन पर आए हैं....!
मित्र अजीब सी नजरों से मुझे निहारता गया और किसी जरूरी काम से जाने का हवाला देकर निकल गया । मित्र का जाना मुझे अखर नहीं लेकिन इस तरह जाना तो किसी को भी अखर सकता है । 
धैर्य से सोचता रहा इस निष्कर्ष पर पहुंचा मुझे उसे यह नहीं बताना था कि मैं कविताएं लिख रहा हूं बल्कि यह कि मैं पीएससी की तैयारी कर रहा हूं ! कुल मिलाकर कविता के महत्व को उसी दिन पहचाना पहले तो मैं महा कवियों के नाम काम का यशोगान करता था पर आज उनकी रचनाओं पर भी शोक मनाने लगा था जिसका लेश मात्र भी असर मित्र पर नहीं पड़ा लगता है कविता कारी कलाकारी सब बेकार है लेकिन ऐसा नहीं है हम सृजन इसलिए करते हैं कि ईश्वर हम में आकर हमारे इस सृजक को जगा देता है ।
कालिदास शेक्सपियर मंटो तुलसी मीरा और जाने कौन कौन कितना कितना लिख गई कबीरा ने तो मार मार के लिखा पर आज की यह दुनिया है ना यह हमें मिल भी जाए तो क्या है दोस्तों इस लेख को पढ़कर आपको समझ में जरूर आ गया होगा कि यह दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।
अगर आपके पास बिल्डिंग हैं कार है अच्छा खासा बैंक बैलेंस है तो यह दुनिया ने दिया है पर आपने  दुनिया को क्या दिया यह सूचना जरूरी है ।
ओहदे तख्त ताज जवाहरात सब कुछ लेकर कोई मुझे कबीर बनने को कहेगा और बना देगा सच बताऊं बेशक ऐसा सौदा मंजूर कर लूंगा इस तिजारत में लाभ है.. मुझसा मुफलिस दाता बन जाए वो भी पल भर में  
कबीर देकर गया है अरस्तु ने भी दिया है कौटिल्य ने कम दिया है क्या हो सकता है मैं बहुत थोड़ा सा दे सकूं पर्दे कर जरूर जाऊंगा । इस दुनिया वालो  मेरे मरने का स्यापा मत करना थोड़ा मुस्कुराना जो मन चाहे वैसे मस्ती से विदा करना जानते हो परम यात्रा है मृत्यु.... जरा सा दूर जाने वालों को विदा करने रेलवे स्टेशन आते हो बस स्टैंड जाते हो अरे हां एयरपोर्ट भी जाते हो न...! बहुत छोटी यात्राएं होती है यह सब सच बताऊं महा यात्रा पर निकल लूंगा अच्छे से विदा करना हां याद रखो रास्ते में सब कुछ मिलता है किसी को कुछ खिलाने की जरूरत नहीं कि मेरी तक को पहुंचा देगा किसी को मेरे लिए रोने की जरूरत ही नहीं क्योंकि तुम्हें रोता देख औरों के आंसू पूछना बहुत मुश्किल होगा महायात्रा में इन सब बातों का बड़ा महत्व है ... है ना सलिल भाई Salil Dhruv जी Anjani जी करा लीजिए 
इन सब से पुष्टि जिनके नाम मैंने लिखे हैं . मित्रों सच कहूं दुनिया ने मुझे भी दर्द के अलावा कुछ नहीं दिया और यह जो कहानी है ना कागज के फूल और प्यासा की हम सृजन करने वालों की कहानी है ... है ना अरुण जी Arun Pandey
Mehul Yadav Poojaa Kewat Shubham Pathak सहित सभी को मेरा ढेर सारा प्यार ..

20.3.19

राष्ट्रीय बालश्री 2016 में प्रदेश के 09 बच्चे सम्मानित होंगे जबलपुर संभाग से 04





राष्ट्रीय बाल भवन नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2016 के लिए बाल श्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी है जिसमें देशभर के 80 बच्चों को सम्मानित किया जावेगा । सूची में मध्य प्रदेश से 9 बच्चों को शामिल किया गया है ।   बाल भवन जबलपुर की राजश्री चौधुरी  को रचनात्मक वैज्ञानिक इनोवेशन एवं मास्टर अंकुर विश्वकर्मा को मूर्तिकला के लिए सम्मानित किया जावेगा । जबलपुर बाल भवन से संबद्ध मंडला जिले की कुमारी अजीता रूपेश कोष्टा को अभिनय एवं संवाद नरसिंहपुर जिले की कुमारी सपना पटेल को सृजनात्मक लेखन के लिए बाल से सम्मान प्राप्त होगा । नेत्र दिव्यांग कुमारी तान्या शर्मा को गायन के लिए मास्टर हर्ष कुमार जैन को सृजनात्मक इनोवेशन के लिए मनोध्यान श्रीपाद वैद्य को भी इसी विधा में सम्मानित किया जाएगा । भोपाल के पारस  अग्रवाल सृजनात्मक लेखन तथा सागर की विधि अहिरवार को सृजनात्मक कला के लिए बालश्री सम्मान से सम्मानित किया जावेगा। 
  बालश्री वर्ष 2015 के लिए जबलपुर से सम्मानित कुमारी श्रेया खंडेलवाल संवाद एवं अभिनय तथा मास्टर अभय सौंधिया को भी वर्ष 2019 में आयोजित अलंकरण समारोह में  बालश्री अलंकरण दिए जाएंगे ।  मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र नई दिल्ली उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण भारत के प्रदेशों तमिल नाडु केरल आदि के  बच्चे इन स्पर्धाओं में शामिल होते हैं । 
      बालश्री अलंकरण में बच्चों को एक ट्रॉफी 15000  के किसान विकास पत्र तथा प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है ।  वर्ष 2014 में जबलपुर से शुभम राज अहिरवार को यह सम्मान प्राप्त हुआ था । 

आइए मिलते हैं भोपाल की प्रतिभाशाली तान्या शर्मा से जो नेत्र दिव्यांग है :--
      भोपाल की कु. तान्या ( सुपुत्री - श्रीमती अर्चना सुनील  शर्मा ) विलक्षण प्रतिभा की धनी है ।उसमे इस वर्ष रिनेसा डिवाइन पब्लिक स्कूल भोपाल से 8th की परीक्षा में  94 % अंक प्राप्त किये है ।  उल्लेखनीय है कि तान्या की आँखों में समस्या होने से वह सामान्य रौशनी में न तो पढ़ सकती है न ही बिना सहारे के चल सकती है ।उसे पढ़ाई के वक्त और अधिक रौशनी देना होती है और परीक्षा में भी यही व्यवस्था करना पड़ती है । इतनी असहजता के बावजूद वह प्रतिभावान है । साथ ही वह गायन व वादन में भी असाधारण प्रतिभा की धनी है ।वह प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से गायन में भी सन् 2014 -15 में  प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई है ।उसने कलकत्ता की हिन्दुस्तानी आर्ट एन्ड म्यूजिक सोसायटी से हारमोनियम में सन् 2015 -16 में सीनियर डिप्लोमा भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया , चंडीगढ़ के प्राचीन कला केन्द्र से सन् 2014 -15 से भाव संगीत में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है ।विगत दिनों भोपाल में आयोजित गूँज -2 के आयोजन में भी तान्या ने अपनी प्रस्तुति दी थी । सन् 2015 में स्कूल में वाद - विवाद प्रतियोगिता में भी प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है । प्रतिभाशाली  तान्या की इस उपलब्धि पर हमे गर्व है ,हम तान्या बिटिया को जल्द ही आँखों की रौशनी अच्छी मिले यही ईश्वर से प्रार्थना करते है और उसकी  उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है ।


6.3.19

हम और घाट शुद्धिकरण के संकल्प

तेरे तरल प्रवाह फलक तट
वांग्मयी बातों का दौर ।।
एक सुदामा ज्ञान अकिंचन-
खोज रहा गुरु या कुछ और ।।
   मित्रो आप भली प्रकार भिज्ञ हैं एक समय शरीर को भूख कम ही लगती है ऊर्जावान रहें उतना ही आहार ज़ायज़ होता है ।
       परन्तु मानसिक रूप से भूख में अचानक इज़ाफ़ा देख खुद हतप्रभ हूँ । दुनियां भर के झंझावात के अवलोकन के बाद एक विस्तृत भीड़ में अकेला महसूस कर रहा हूँ । सोचा करता हूँ अब अकेला क्यों हूँ.... ? उम्र के साथ ऐसे ही बदलाव आते हैं.... खुद के बारे में सोचना भी लगभग बंद सा हो गया ।
                रेवा के एक घाट पर आना जाना होता है ।  कल भी था सपत्नीक तिलवाराघाट गया था । अचेता और अनिच्छा से निकला पर प्रवास पर  बाद में यही प्रवास  इच्छानुकूलित प्रवास हो गया ।
    मन में केवल माँ के बारे में सोच रहा था । अक्सर ऐसा ही होता है । ग्वारीघाट और तिलवाराघाट जाकर माँ बहुत याद आतीं हैं ।  जिनकी भस्मी इसी रेवा में प्रवाहित हुई थी । तो माँ रेवा में माँ का आभास हुआ । फिर लगा वाकई रिक्तता केवल मां ही भरती है । माँ कभी दिवंगत नहीं होती है । लगा रेवा से संवाद करूँ.... पर भिक्षुकों ने आ घेरा खीसे में जो भी फुटकर  था बांट दिया फिर बाक़ी भिक्षुको को साफ तौर पर इंकार कर दिया श्रीमती जी ने तब तक रेवा में दुग्धाभिषेक  कर दिया ।
     इस बीच  देखा शिव की प्रतिमा पर लादे गए विल्व धतूरे गेहूं की बालियां, बेर , देख मन खुश हुआ दुःख भी साथ साथ होने लगा । कुछ बच्चे तीन जिनमें मल्लाह, बर्मन, सरनेम वाले दो और एक शर्मा कुल का था । सभी छटी क्लास के थे पास के स्कूल के थे । एक बच्चा केवल कच्छे में था तो  शेष सभी ने पतला शर्ट नेकर डाल रखी थी बारी बारी से शिव लिंग पर पड़ी सामग्री में से सिक्के तलाश रहे थे । बेहिचक संवादी हो गया उनके साथ । प्यार किया उनको और कहा - "डस्टबिन" में कचरा डाल दो शिव पर वैसे भी इस दुनिया ने बेहद बोझ डाल दिया है । बच्चे मेरी बात का आधा हिस्सा समझ पाए और काम में जुट गए शर्मा ने बाल्टी उठाई रेवा जल लाकर बेतरतीबी से प्रभु के इर्द गिर्द को धो दिया । बाक़ी सउत्साह चढ़ावा उठा कर डस्टबिन में डाल  रहे थे । उधर Sulabha यानी श्रीमती जी  बेतहाशा फोटोग्राफी में मशगूल हो गईं ।
      बेटी Shraddha असहजता से हमको देख रही थी ।
      मेरा मन अत्यधिक मस्तिष्क सक्रिय हो गया घाट की सफ़ाई के बारे में  । यूं तो घाट अब अपेक्षाकृत साफ हैं पर भक्त के तौर पर मेरी भी ज़िम्मेदारी है ।
          मन ने सोचा था कि शिवमहिम्न स्त्रोत का पाठ करूँ पर बुद्धि ने कहा आज तुम जितना भी हो सकता है तट को साफ कराओ । बस 6 गुणा 14 फ़ीट  का हिस्सा साफ करा लिया । शिव की आसंदी साफ हो चुकी थी । असर ये भी हुआ कि लोग पालीथीन की थैलियों को साथ वापस ले जा रहे थे । कचरा डस्टबिन में डाल कर माँ को प्रणाम कर वापस हो रहे थे ।
    स्वच्छता सिर्फ मोदी का मिशन नहीं हम सबका है । संस्कार फ़ोटो खिंचवा कर अख़बार में छपवा कर नहीं विस्तारित होते हैं उनके विस्तार के लिए यह सब कुछ करना होता है ।
 .        एक संकल्प लिया है #शुद्धि का जो मित्र तिलवाराघाट स्वच्छता अभियान में जुड़ना चाहते हैं कृपया कमेंट बॉक्स में सहमति दीजिये । हम केवल मंगलवार को एक दिन चलेंगे आप तैयार हैं तो एक सवाल ज़रूर करें कि- "क्या करना है"
मित्रो चलें तो वहां फिर क्या करेंगे और कैसे क्या करना है हम आप वहीं तय कर सकते हैं है न ...?

3.3.19

अभिनंदन बनाम जिनेवा संधि : गिरीश बिल्लोरे मुकुल



भयातुर इमरान खान 
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का संसद के संबोधन किसी भी एक भयभीत व्यक्ति की अभिव्यक्ति है । वे जो संसद को बता रहें हैं तथा संसद के ज़रिए जो विश्व के सामने कहा जा रहा है... ठीक उससे उलट कार्यक्रम पाकिस्तान की सेना के पास होगा । 
पाकिस्तान की संसद में 28 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की स्थिति देखकर   भारतीय कूटनीतिक विजय का विषाद उनके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहा था   । इससे इस बात की भी तस्दीक हो जाती है कि अब वास्तव में विश्व समुदाय ने भारतीय कूटनीतिक की कोशिश पर समवेत स्वर में सहमति जताई है । पाकिस्तान ने हमेशा भारत के साथ धोखा ही किया है उसके दिमाग़ में भारत एक दबाव में आने वाला मुल्क था । किन्तु भारत अब बदल चुका है. यह बदलाव भारतीय जनता का आत्मजागरण का सूचक है. ठीक इजराइल की तरह . भारतीय कश्मीरी समस्या के बारे में सभी जानते हैं कि पाकिस्तान के टेरेरिस्ट संगठनों के ज़रिए पाकिस्तान ने सबसे पहले 1990 के पूर्व वहां से निर्वासित करने का संकल्प किया और फिर उनके साथ बर्रबरता की गई । उनका मानना  था कि गैर मुस्लिमों को हटाने के बाद ही कश्मीर की मुस्लिम आबादी को मिसगाइड किया जाना आसान होगा । 1990 के बाद भारतीय मीडिया और भारत के लोगों ने जिस तरह से मीडिया प्रोपेगैंडा  कर कश्मीरी पंडितों के साथ खड़े होकर आवाज़ बुलंद करनी चाहिए थी नहीं की । कश्मीर के पंडितों का विस्थापन एक खबर बन गया पर उसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई को पेलेट गन के प्रयोग से लेकर कई बिंदुओं को लेकर इतनी मीडिया हाइप दी गईं कि विश्व समुदाय तक समझने लगा कि कश्मीर की खास आबादी के मानवाधिकारों का भारत में हनन हो रहा है । इसके दाग तत्कालीन व्यवस्था के चेहरों पर भी आज तक अमिट हैं । 
पाकिस्तान की ओर से सदा भारत के लिए दो प्रकार के आक्रमण होते चले आए हैं । एक तो वहां के अधिकांश लोग अंतराष्ट्रीय फोरम पर कश्मीर मुद्दे पर बात करते हैं परंतु अपने लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द से दूरी बनाने के लिए प्रयास रत होते हैं और धर्म के नाम पर उकसाते हैं । आप हिंदुस्तान के मुसलमानों को भड़काने की कोशिशें जारी रखते हैं । लेकिन इस देश के मुस्लिम किसी भी स्थिति में उनके उकसावे में नहीं आते । कुछेक अपवाद को छोड़ दें तो औसत भारतीय मुसलमान से लेकर राजनीतिक मुस्लिम नेता भी सामान्य रूप से हिंदुओं के प्रति किसी भी प्रकार का नकारात्मक भाव नहीं रखते हैं । ओवैसी जी के बयानों को देखें तो पाकिस्तान की आम जनता, आर्मी और आर्मी आधारित डेमोक्रेटिक सिस्टम के साथ साथ वहां पालिटिशियन्स एवं पत्रकारों  को साफ़ साफ़ समझ लेना चाहिए
 पाकिस्तान को इस बात का भ्रम नहीं होना चाहिए और ना ही किसी को मिस गाइड करना चाहिए कि भारत में मुसलमान कष्ट में है । मुस्लिम, सिख, इसाई,  हिंदू सभी सामान रूप से सुखी - दुखी हैं परिस्थियों को  किसी भी प्रकार से जाति धर्म के आधार पर वर्गीकृत नहीं किया गया है । लेकिन पाकिस्तानी आतंक के स्कूलों में यह सबसे पहले दिखाया जाता है कि  भारत में केवल मुस्लिम को परेशान किया जाता है इतना ही नहीं विश्व के संपूर्ण गैर इस्लामिक लोगों को क्षतिग्रस्त करने के लिए इस्लामिक चरमपंथी इसी तरह से उत्तेजित करते हैं ।
 हाल ही में एक चैनल पर एक डिबेट में एक भारतीय मुस्लिम को यह सुनकर आत्मिक दुख हुआ कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का षड्यंत्र बदस्तूर जारी है और उस दर्द को भारतीय मुस्लिम वक्ता ने खुलकर नकारा और नसीहत दी पाकिस्तान को । 
पाकिस्तानी आवाम में वहां की मिलिट्री और प्रोमिलिट्री डेमोक्रेसी ने को इतनी शक्ति संपन्न होने का भ्रम फैलाया है वह भारत सहित विश्व की किसी भी महाशक्ति को पाकिस्तान समाप्त कर सकता है । आकार पापुलेशन के अतिरिक्त विचारधाराओं में सर्वाधिक खंड खंड पाकिस्तान में आपसी एकता नहीं है इसकी पुष्टि आप कर सकते हैं । इसके अलावा पाकिस्तान ने यह भी  प्रोपेगेंडा फैला रखा है कि सारे इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान को भूखा नहीं मरने देंगे साथ वे किसी भी हालत में पाकिस्तान को हारने भी ना देंगे ।  लेकिन  1 मार्च 2019 को ओआईसी सम्मिट में भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को भागने के लिए मजबूर कर दिया । ओआईसी समूह ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि टेररिज्म किसी भी सूरत में सम्मान नहीं दिला सकता । कुछ बुद्धिजीवी भी इस मुद्दे को लेकर काफी भ्रमित रहे उनका यह मानना था कि भारत किसी भी स्थिति में पाकिस्तान पर अगर वार करता है तो संभवत विश्व के मुस्लिम राष्ट्र और चीन भारत के विरोधी ही नजर आएंगे ... परन्तु ऐसा कदापि नहीं हैं. विश्व में भी बदलाव हुआ है. ग्लोबल विलेज का स्वरुप ले चुका विश्व अब मानवता-वादी दृष्टिकोण की ओर अग्रसारित हो रहा है.  भारत  सहित कई विकासशील देश एक नये बदलाव के साथ प्रगति पथ पर दौड़ रहे हैं. बावजूद इसके कि वे शिक्षा,स्वास्थ्य एवं जीवन समंकों के उतार चढ़ाव से परेशान हैं.परन्तु फिर भी विकासशील देशों के युवा  खुद के और अपने देश के विकास के लिए सतत कोशिश करते हैं. खासकर दक्षिण एशियाई देशों के युवा इस दौर के सबसे बेहतरीन मानव-संसाधन साबित हो रहा है विश्व के लिए. परन्तु एक पाकिस्तान को छोड़ सभी दक्षेश युवाओं ने धाक जमाई है विश्व में.  एक ओर दक्षेस देशों के लोग आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं वहीं पाकिस्तान अपने युवाओं को टेरेरिस्ट बना कर बलूचिस्तान, अफगान , भारत में झौंक रहा है.

            “क्या अभी भी धर्म के विस्तार लिए युद्ध होते हैं ?”  
        इराक ईरान युद्ध से लेकर आज तक विश्व में जितने कन्वैन्सनल  युद्ध या छद्म युद्ध हो रहे हैं उन सब में युद्धों पर गौर करें तो हम पाएंगे की धर्म आधारित यदि नहीं है बल्कि उनके युद्ध आपसी सहमति असहमति अथवा युद्ध के कारण ही हुए  है । युद्धों के व्यावसायिक कारण भी हैं. व्यावसायिक कारण से युद्ध समाप्त भी हुए हैं. ऐसा लगता है कि अब चीन को भी समझ में आ चुका है कि युद्ध से उसके विकास की गति कम होगी. परन्तु इसका अर्थ यह न लगाया जावे कि पंचशील का हत्यारा चीन पूरी तरह बदल गया होगा.. अधिक यकीन न किया जावे . फिर भी भारत द्वारा की गई  एयर स्ट्राइक के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में चीन का खुले तौर पर सामने ना आना भी एक बेहतरीन संदेश है पाकिस्तान के लिए । आज अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना यह कहें कि वे भारत को अपनी क्षमता दिखा सकते हैं और दिखाई भी है तो भ्रम में हैं अधिकांश देश पाकिस्तान के साथ नहीं थे और अगर युद्ध होता है तो रहेंगे भी नहीं क्योंकि सभी को अपने अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अपनी आवाम को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जिम्मेदारी का पूरा पूरा एहसास है । 
      अपनी संसद में और एयर स्ट्राइक के बाद आने वाली इमरान खान की टिप्पणी से लगता है कि वे वास्तव में पाक सी आई ए एवं मिलिट्री के दबाव में गीदड़-भभकी दे रहे थे । मित्रों एक बात स्पष्ट है के इमरान खान एकदम क्रिकेट से इतने महत्वपूर्ण सार्वजनिक पद पर आए हैं उनको आर्मी ने जम्हूरियत में फिट किया और अपनी गाइड लाइन पर चलने को मज़बूर किया .  इनसे ज्यादा कमजोर प्रधानमंत्री पाकिस्तान में कभी भी नहीं हुआ है जिसमें  युद्ध की लिप्सा भी  है .
       जबकि एक गरीब देश को अपने देश में भुखमरी कुपोषण अराजकता पर ध्यान देना चाहिए था अगर वे परिपक्व होते तो निश्चित तौर पर भारत को अपने पड़ोसी देश के नाते आतंक के अंत के लिए भारत के सहयोग करने और सहयोग की अपेक्षा करने के प्रयास अवश्य करते . 
      एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन भारत में अपना एक वीर सपूत जिसे निरंतर सोशल मीडिया और ट्रेडिशनल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वायु वीर तक का दर्जा दे रहा है को गिरफ्त में ले लिया था पाकिस्तान ने.... उनकी रिहाई की रिहाई करना जिनेवा संधि के अनुरूप करना अनिवार्य था । और इस बात को शांति के प्रयास का दर्जा देने वाला पाकिस्तान बॉर्डर पर निरंतर सक्रिय है । उन पर झूठा आरोप नहीं है सत्य है कि वे अपनी सेना के अनुबंधित आतंकियों के सहारे युद्ध करते रहेंगे ।
इस बीच आपको मैं एक बात बताना चाहूंगा कि पाकिस्तान की एक विद्वान ने कहा कि- हमने अभिनंदन वर्धमान को जिनेवा संधि के अनुरूप वापस नहीं किया है बल्कि हम यह बताना चाहते हैं कि विश्व समुदाय यह जान ले कि जिनेवा सन्धि युध्द के निर्देशों के पालन के  लिए किया  है ।
                                                 पाकिस्तान प्रॉक्सी वार क्यों करता है ?
                           यह प्रश्न कीजिए तो आपको उत्तर मिलेगा कि वह हमेशा यह साबित करने की कोशिश में लगा यह कहा होता है की वह कश्मीर के लोगों की कथित आजादी के लिए समर्थन देता है लेकिन ऐसा नहीं है पाकिस्तान समर्थन नहीं शस्त्र देता है लड़ाके देता है घुसपैठ कर आता है और यह है पाकिस्तान की आर्मी की स्ट्रैटेजी है जो विश्व जान चुका है । पाकिस्तान युद्ध भी करता है और युद्ध ना करने की स्थिति को भी एक्सप्लेन करने की कोशिश करता रहा है  यानी आदतन झूठ बोलता है. प्राक्सी-वार का उद्देश्य केवल भारत की छवि को गिराने से अधिक कुछ भी नहीं .
                                           “कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में क्या भरा जाता है..?
                         पाकिस्तान का टेरेरिज्म के विस्तार का संकल्प लेकर जैश कश्मीरी मुस्लिम युवाओं के दिमाग में ज़न्नत और मुस्लिमों के खिलाफ टार्चर की झूटी कहानी सुना-सुना  कर ब्रेन-वाश कराया जा रहा है.
  
                        ग्वादर प्रोजेक्ट चीन के लिए बेहद जरूरी है चीन की ग्रोथ का कम होना बीजिंग के लिए चिंता का विषय है ।  चीन की यह कोशिश रहती है कि येन केन प्रकारेण उसके प्रोजेक्ट कमजोर ना पड़े । पर इस बार चीन ने अपने आप को दूर रखने की कोशिश की है जो चीन की गिरती हुई विकास दर और भारत के विशाल बाजार के संदर्भ में मजबूरी भी कही जा सकती है । यकीन मानिए कि अगर आप चीनी सामान का बहिष्कार कर दे तो सबसे नजदीकी बाजार का लाभ चीन की अर्थव्यवस्था को नहीं मिलेगा चीन मध्यवर्ग और निम्न मध्यवर्ग के लिए सामान्य दर्जे के डेली यूज़ आइटम की आपूर्ति करता है जबकि भारत में निर्माण लागत चीन की अपेक्षाकृत अधिक है और भारत के लोग चाइनीस खिलौने तथा अन्य डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद खरीदते हैं । चीन यह जान चुका है कि पाकिस्तान के नागरिकों की क्रय शक्ति कमजोर है और भारत के रूप में सबसे पास एक मजबूत बाजार उसे हासिल है । इसी कारण से फरवरी में पाकिस्तान को अनुशासन बरतने की सलाह देते हुए चीन ने भारत से भी संयम बरतने का अनुरोध किया है । 
                                         क्या साबित करना चाहता है आतंकिस्तान...?
                       आतंकिस्तान यह साबित करना चाहता है कि वह बेहद इनोसेंट देश है जबकि साबित यह हो रहा है कि पाकिस्तान से बड़ा आतंक समर्थक एवं प्रोत्साहन देश विश्व में अब कोई दूसरा नहीं । 
                पाकिस्तान के लोग मोरारजी देसाई जी की बड़ी तारीफ करते नजर आते हैं वास्तव में आप सबको याद होगा कि क्वेटा में जब हमारे रॉ एजेंटों ने भारत सरकार को यह बता दिया था कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर पावर हासिल करने के लिए सारे संसाधन जुटाए जा चुके हैं तथा उसे एक्सपोज करने के लिए पूरा ब्लू प्रिंट लेकर आना है जिस पर $10000 की जरूरत है तब हमारे अत्यधिक भोले भाले प्रधानमंत्री महोदय ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से चर्चा के दौरान इस बात को संसूचित कर दिया कि हमें मालूम है कि आप एटम बम बनाने की कोशिश कर रहे हैं । यही भारतीय भोलापन भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो गया ।  इस बात से पाकिस्तान का एटमिक अभियान विलंब से प्रारंभ हुआ पर आज पाकिस्तान के पास भारत की सापेक्ष अधिक परमाणु बम है ।            


                                  देसाई साहब की क्या मजबूरी थी कि उन्होंने ऐसा कुछ किया यह समझ में नहीं आता किंतु यह जरूर समझ में आता है कि भारत के जांबाज रॉ एजेंट ने जो भी कुछ सूचनाएं एकत्र की होगी वह अपनी जान पर खेल कर की थी और इस घटना के बाद रॉ के एजेंट्स की गिरफ्तारियां तेजी से पाकिस्तान में हुई थी इसके प्रमाण मौजूद है । 
परन्तु अब भारत ऐसा नहीं है. 71 में भी भारत ऐसा न था वरना पूर्वी पाकिस्तान का रूपान्तारण आमार-सोनार बंगला देश के रूप में  न होता. अब तो स्थिति यह है  कि अभिनंदन को वापस भेजने के लिए सउदी अरबी , सहित विश्व समुदाय ने भी दबाव बना दिया. और हमारे वीर की वापसी संभव हो सकी .  
चलिए देखते हैं इस वीडियो में क्या है... जिहादी सांसद को क्या कह रहा है  


1.3.19

ग्वालियर का एयरबेस, खमरिया के बम और हमारी अवनि चतुर्वेदी गौरव के क्षण- जयराम शुक्ल


वीर योद्घा विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान के साथ परिस्थिजन्य दुर्घटना के दुख के बीच आईएएफ की बालाटोक स्ट्राइक के बाद दुनिया भर से जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वह उम्मीदों से कहीं ऊपर, उत्साहजनक हैं।

 राजनीतिक दलों के सुरों में दुर्लभनीय एका है। मीडिया खासकर टीवी के एंकरों का कहना ही क्या..वे चंदबरदाई से भी चार हाथ चौबीस गज आगे हैं। होना भी चाहिए। इसके उलट कुछ बौद्धिक अपने चिरपरिचित विमर्श में चले गए हैं कि युद्ध से क्या होगा? कई इस खोजबीन में लगे हैं कि पुलवामा के पीछे कहीं मोदी का तो हाथ नहीं? ऐसे लोगों को अपनी जिग्यासा के शमन के लिए बीबीसी हिंदी में छपा दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ क्रिस्टीन फेयर का नजरिया पढ़ लेना चाहिए।

 दो और महत्वपूर्ण किरदारों पर अपनी नजर है..वे हैं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती। उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया एक होनहार और होशियार राजनीतिग्य जैसी है जबकि महबूबा के लिए ऐसी है मानों स्ट्राइक बालटोक में नहीं उनके दिलपर हुई है।

 इन सबके बीच हमें गर्व से भर देने का जो संदर्भ है वह है आईएएफ की सर्जिकल स्ट्राइक का एमपी यानी कि मध्यप्रदेश कनेक्शन.. ग्वालियर.. जबलपुर.. रीवा की फ्लाइंग लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी..।

आज की बात यहीं से शुरू करते हैं.। अपना मध्यप्रदेश बिल्कुल देश के दिल में बसा है। मैं हमेशा से यह सोचता था कि जब सीमा में युद्ध छिड़ेगा तो अपना क्या योगदान होगा? लेकिन नहीं, जिस तरह शरीर के सभी अंग मनुष्य के पौरुष के पीछे होते हैं वैसे मातृभूमि का किरचा-किरचा समरांगन बन जाता है। ग्वालियर के खाते में यही गौरव आया।

बालाटोक में विप्लव मचाने वाले मिराज हमारे ग्वालियर के एयरबेस से उड़े। आपरेशन के लिए राजस्थान का बीकानेर एयरबेस तैयार था और ग्वालियर स्टैंडबाई.. लेकिन चकमा देने की दृष्टि से ग्वालियर से आपरेशन शुरू हुआ। दूसरे दिन जब यह रिपोर्ट पढ़ने को मिली तो यकीनन मध्यप्रदेश वासियों का भाल गर्वोन्नत हो गया।

इसके बाद जल्दी ही ये खबर आई कि आतंवादियों के अड्डों  को खाक में मिला देने वाले बम जबलपुर की खमरिया फैक्ट्री में बने थे।

खमरिया फैक्ट्री यानी कि ओएफके जिसे अँग्रेजों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय स्थापित किया था। यहीं वो थाउजेंड पाउंडर बम बने थे। वैसे भी तोपके गोले क्लस्टर बम, टारपीडो, छोटी मिसाइलें यहीं बनती हैं। इनके खोल दूसरी आयुध निर्माणियों से बनकर आते हैं फिलिंग यहीं होती है।

यहां से मेरा भावनात्मक रिश्ता इसलिए भी है कि मेरा जन्म खमरिया की श्रमिक बस्ती में ठीक उन्हीं दिनों हुआ था जब भारत और चीन का युद्ध छिड़ा हुआ था। मेरे पिताजी यहीं काम करते थे जो बाद में एक बम बनाने की मशीन सुधारते हुए शहीद हुए थे। मेरे बड़े भाई जो कि छह महीने पहले इसी फैक्ट्री के फिलिंग सेक्शन में काम करते हुए रिटायर्ड हुए हैं जहां तोप के गोलों, बमों में एक्सप्लोसिव भरे जाते हैं।

ओएफके के फिलिंग सेक्शन्स में ही सबसे ज्यादा विस्फोट होते हैं, बमों में विस्फोटक भरते हुए। हर साल दो चार मौतें होती हैं, आठ दस अंग-भंग होते हैं, पर बिना यश और प्रचार की कामना किए ये भी अपन-अपने मोर्चों में वैसे ही डटे रहते हैं जैसे कि हमारे फौजी सरहद में, नेवी के सेलर समंदर में और हवाई लड़ाके आसमान में।

 पहले तो यहां की खबरें भी छनकर बाहर नहीं आ पाती थीं। थैंक्स सोशल मीडिया कि उसने जश्न मनाने और खुशियां बाँटने का मौका दिया।

सन् 65 की भारत पाक जंग में खमरिया के बमों ने ही अभेद्य कहे जाने वाले अमेरिकी पैटनटैंकों को तोड़ा था..। मेरे पिता जी उसकी स्मृति में एक फाग गाया करते थे..दुनिया मां ऊँचा नाम करै खमरिया के गोला..। बालाटोक स्ट्राइक के बाद वो फाग याद आ गया, उसे सोशल मीडिया में जैसे ही शेयर किया ओएफके से जुड़े श्रमिकों, अफसरों और यादों की जुगाली करते बैठे रिटायर्ड कर्मचारियों की भावनाएं प्रतिक्रिया स्वरूप गर्वाश्रु बनकर झरने लगी।

ओएफके में चालीस साल नौकरी करने के बाद अब चेन्नई में रह रहे जीआरसी नायर की अँग्रेजी में व्यक्त प्रतिक्रियाएं पढिए-

-Till date the wars and other operations of Indian Armed forces were carried out by the products of Ord.Fys. American Patton Tanks were destroyed by our ammns. But our contributions were never appreciated by the media or by the politicians. Now we have the social media and we ourselves should high  light this.

एक दूसरी प्रतिक्रिया
-My first reaction was to appreciate Air Force and the Ordnance Factory Employees.Now I am proud of my colleagues of F6 Section and the Khamarians for their role in protecting our country. We were there in all  the wars but never got the appreciation from anybody.Hence forth we all to join this move to high light our role.

एक और भावुक अभिव्यक्ति

Hame garve hai apni nokri per,  jai ho 🇮🇳👳indian ammn ku,  jai ofk,  jai ma durga jee ki

भावविह्वल कर देने वाली ऐसी न जाने कितनी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

ओएफके जैसी कितनी आयुध निर्माणियों के श्रमिकों के लिए यह गर्व का क्षण होगा। किसी ने गोले का खोल बनाने के लिए टंगस्टन-जस्ता को धमन भट्ठियों में पिघलाया होगा, तो किसी टर्नर ने खराद पर चढ़ाकर शार्प किया होगा। यही समवेत भावनाएं ही राष्ट्र की आत्मा है..और जब ऐसे पराक्रम के क्षण आते हैं तो लगता है कि जीना सफल हो गया।

 मैं उन बौद्धिकों की बात नहीं करता जो हमारे जवानों पर थूकने, पत्थर बरसाने वालों के भी मानवाधिकार का परचम थामें इंडिया इंटरनेशनल में प्रेसकांफ्रेंस संबोधित करते हैं और सुप्रीमकोर्ट में याचिकाओं का बोझ बढ़ाते हैं।

बहरहाल ग्वालियर और जबलपुर के लिए गौरव का ये क्षण तो है ही अपने विंध्यवासियों के लिए भी कम नहीं। सोशलमीडिया पर रीवा की बेटी अवनि चतुर्वेदी की फोटो तैर रही है- कि आतंकियों का काम तमाम करने वाली टुकड़ी की कमान उसके हाथों में थी। इसे आप भावनाओं का महज प्रकटीकरण भी कह सकते हैं।

 बालाटोक स्ट्राइक में कौन थे..कौन नहीं यह तो उस आपरेशन के सुप्रीम कमांडर ही जानते हैं..। कभी उचित समय पर हो सकता है कि इन वीर जाँबाजों के परिचय को देश के साथ साझा करें। लेकिन अवनि जैसी बेटियों के पराक्रमी क्षमता के स्मरण का अवसर तो बनता ही है।

अवनि के पिता दिनकर प्रसाद चतुर्वेदी रीवा में जल संसाधन विभाग में इंजीनियर हैं..उन्हें कल से ही बेटी के हिस्से की ढेर सारी शुभकामनाएं मिल रही हैं।

रीवा में ही पली-पढ़ी-बढ़ी अवनी देश की एक मात्र महिला फाइटर पायलट हैं जो बिना कोपायलट के मिराज और सुखोई उड़ा सकती हैं, दुश्मन के इलाके को विध्वंस कर सकती हैं। वे न्यूक्लियर वारहेड से लैश फाइटर्स प्लेन उड़ाने और अजांम तक पहुचाने में प्रवीण हैं।

 सोशलमीडिया में कई और पायलट बेटियों को लेकर जब खबरें वायरल हुईं तो बीबीसी हिंदी ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया कि भारत में एकमात्र महिला फाइटर पायलेट हैं जो सुखोई-मिराज से आपरेशनल उड़ान भर सकती हैं वो हैं अवनि चतुर्वेदी।

खेल और युद्ध की स्प्रिट एक जैसे होती है। दर्शक निरपेक्ष या तटस्थ नहीं रह पाता। उसका अंतरमन किसी खिलाड़ी की परकाया में प्रवेश कर जाता है..लगभग ऐसा ही कुछ युद्ध के समय होता है। आज हर देशवासी की आत्मा किसी न किसी योद्धा की काया में बैठी है। भावनाओं का यह ज्वार जरूरी है। हर महान राष्ट्र की बुनियाद तलवार की नोक पर रखी जाती है और उसका स्वाभिमान तबतक ही जिंदा रह सकता है जबतक की उसकी तलवार में नित-नई धार चढ़े। मुरचाई तलवारें पुरातत्व संपदा बनकर रह जाती हैं जिनपर इतिहासकार जुगाली करते हैं और फोकटिए बौद्धिकों के युद्ध के विरुद्घ विमर्श।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि बालाटोक का विध्वंस कितना जरूरी था और यह सिलसिला तब तक चलते रहना चाहिए जबतक कि मानवता के दुश्मन आतंक का कारोबार बंद नहीं कर देते। देश का जन बच्चा भी यही चाहता है। सरकारें आती जाती रहें पर स्वाभिमान का स्तर इसी तरह अपने चरम पर बने रहना चाहिए..।
आलेख :- जयराम शुक्ल

26.2.19

सॉरी मां, हम झूठ न बोल सके.........जहीर अंसारी




मां हमें पता है कि इस वक्त पर आप पर क्या बीत रही होगी। हमारी लाशों को देखकर आपका कलेजा बाहर को निकल रहा होगा। हमें यह पता है कि आप कितना जज्ब कर रही होंगी। कभी परमात्मा को तो कभी खुद को कोस रही होंगी। हमारे मृत शरीर को देखकर आपकी आत्मा मरणासन्न अवस्था में होगी। मां तू तो फूटकर रो भी नहीं पा रही होगी। कितने नाजों से पाला था तूने हमें। तेरी कोख में जब हम जुड़वा भाई दुनिया में आने के लिए तैयार हुए थे तो कितना दर्द, कितनी तकलीफ सही थी तूने, हम इसके साक्षी हैं। हमारी पैदाईश के बाद अनगिनत रातें तूने जाग-जागकर बिताई थीं। अपना खाना-पीना दुख-दर्द भूलकर हम दोनों में अपनी खुशी ढूंढने क्या कुछ नहीं किया तूने। हम इस बात के भी साक्षी हैं कि तेरी एक-एक सांसों पर हमारा ही नाम होता था। पर क्या करूं मां, हमसे झूठ न बोला गया। उन दरिंदों ने हमें छोड़ने से पहले पूछा था कि क्या हमें पहचान लोगे, हम ने ‘हां’ कह दिया। कहते हैं न कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं इसलिये हम दोनों ने भी सच बोल दिया। एक सच की इतनी बड़ी सजा मिलेगी, यह अभी हमने सीखा कहां था। मां तूने भी तो अब तक बड़ों के चरणस्पर्श और ईश्वर को प्रणाम करना ही सिखाया था। ईश्वर की पूजा में अपने साथ लेकर बैठती थी और हमारी रक्षा की प्रार्थना करती थी। हम भी भोलेपन के साथ तेरे साथ बैठते, कभी उचकते, कभी तूझे सताते थे। तू प्रेमभरी खिसियाहट से हाथ पकड़कर बिठाल लिया करती थी। ईश्वर को प्रणाम करने कहती थी। तब से अब तक हमें यह मालूम न था कि परमात्मा क्या होता है, सच और झूठ क्या होता है, फरेब और लालच
क्या है। हम तो सिर्फ़ तेरी ममता के आंचल को जानते थे, तेरे हृदय की कोमलता को महसूस करते थे।
मां, अब समझ आया कि दुनिया कितनी जालिम है। सच और झूठ की हकीकत जानी। एक
झूठ शायद हमें तेरी गोद से दूर न कर पाता मगर यह झूठ बोलता कैसे, हमें तो इसकी समझ तक नहीं थी। झूठ की समझतो राजनेताओं को होती है, शासन प्रणाली को होती है, व्यवस्था संचालन के जिम्मेदार लोगों को होती है। उन्हें होती है जो धर्म, समाज और नैतिकता की पाठशाला चलाते हैं। मां, हमें जरा भी इन ठेकेदारों के आचरण-व्यवहार का ज्ञान होता है तो हम भी दो अक्षरों वाला शब्द ‘झूठ’ एक अक्षर में ‘न’ बोल देते। कह देते उन जालिमों से कि हम तूम्हें नहीं पहचान पाएंगे।
मां, एक बात समझ नहीं आई अब तक। अपना देश तो अति धार्मिक है। जितने भी धर्म यहां पलते-पुसते हैं सभी कहते हैं कि परमात्मा की आराधना करो, परमात्मा से डरो, इंसानों की सेवा करो, लोभ-लालच से दूर रहो। फिर ये धार्मिक प्रवृत्ति के लोग कैसे लोभ-लालच में आ जाते हैं, कैसे उन्मादी बन जाते हैं, कैसे आंतकवादी बन जाते हैं, कैसे लूट-खसोट, दुराचार-अत्याचार में लिप्त हो जाते हैं।
मां, जिन्होंने हमें मारा है उनके घर भी परमात्मा की तस्वीर रहेगी होगी। वो भी किसी न किसी ईशदेव को मानते होंगे। उनके घर पर भी नौनिहाल होंगे। बच्चों की किलकारियों उनके कानों में पड़ती होगी, उन्हें भी अपने बच्चों से प्रेम रहा होगा फिर भी उन्होंने हमें मार डाला।
मां, हमें पता है कि तेरे दिल की धड़कन तेज चल रही होगी, मन में ज्वाला की लपटें उठ रही होगीं, तू बदहवाश होगी, तेरे नयन सूखकर मरुस्थल बन गए होंगे, तेरी बाहें हमें समेटने को मचल रही होगीं
लेकिन अब हम दोनों तेरी उम्मीदों से बहुत दूर निकल गए हैं। इतनी दूर जहां से आज तक कोई लौटकर नहीं आया है।
मां, अब तू भी वही कर जो अब तक बताया गया है। नियति के लिखे को मान। धैर्य और संयम रख। हालांकि ऐसा करना तेरे लिये नामुमकिन है फिर भी मां तूझे ऐसा करना होगा। हमारे बिना तूझे जिन्दा
रहना होगा मां, हम तेरे साथ ही हैं मां।
मां, एक प्रश्न हम दोनों के मष्तिस्क में कौंध रहा है। हम जिस देश के वासी हैं उसे सनातन धर्म का जनक कहा जाता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, और न जाने कितने धर्म यहां पलते-पुसते हैं। सभी
धर्मो में बाल अवस्था से सिखाया जाता है कि लोभ-लालच मत करो, मोह-माया में मत फँसो, मानवता का सम्मान करो, झूठ मत बोलो आदि-आदि। फिर भी इन धर्मावलंबियों के कथित अनुयायी वही सब करते हैं, कर रहे हैं जिसकी मनाही कठोरता से की गई है। ऐसे ही कुछ लालची-निर्दयी तत्वों ने तेरे दोनों नेत्र छीन लिये। सब धर्म कहते हैं कि सच परमात्मा को बहुत
पंसद है, सो हमने भी सच बोल दिया कि ‘ऐ दरिन्दों
हम तुम्हें पहचान जाएंगे’। निश्चित ही हमें सच बोलने का ईनाम परमात्मा अपने श्रीचरणों में रखकर देगा।
मां, हमें बहुत अफसोस हैं कि हम तेरी कोख का कर्ज उतारने से पहले ही तूझे छोड़ गए। पता है तेरे जख्म का कोई मलहम इस दुनिया में नहीं है। है अगर तो सिर्फ़ सब्र’। सब्र रख, सब्र मां। मां तू गर्व से कह सकती है कि तेरे लालों ने सत्य के हवन कुण्ड में आहूति दी है। बस अब मुझे परमात्मा से यही पूछना है कि आदमी आदमियत से कितना नीचे और गिरेगा। दुनिया के लोगों से भी बस एक ही प्रार्थना है कि बंद, मोमबत्ती, संवेदना, मातम, जांच, न्याय, गालियां, धर्म, जात, समाज और मौन से ऊपर उठकर स्वयं में स्थित होकर नैतिक और सभ्य बनो।
बाय मां, अपना और पापा का बहुत ख्याल रखना।
तुम्हारे जिगर का टुकड़ा...
प्रियांश और श्रेयांस
.......

जय हिन्द
जहीर अंसारी

22.2.19

एक खत इमरान खान के नाम


श्री इमरान खान साहब
      सादर अभिवादन
आप आतंकवाद का शिकार है इस बात का पूरे विश्व को गुमान है किंतु आपने आतंकवाद का बायफरकेशन किया है.. इसलिए आप आतंकवाद से पीड़ित हैं ।
 इतना ही नहीं आप ने आतंकवाद को गुड टेररिज्म के नाम पर जो पाल रखा है उससे आपको निजात चाहिए तो भारत से क्षमा सहित  प्रार्थना कीजिए समूचा भारत आपकी एक  कदम आगे बढ़ने पर स्वयं दो कदम आगे बढ़कर आपकी मदद के लिए आगे आएगा । किंतु आप ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप एक ऐसी सिविल गवर्नमेंट के प्रमुख हैं जिसकी बागडोर आई एस आई और आप की फौज जिसके हाथ में आपकी सिविल गवर्नमेंट की डोर है ।
    इमरान साहब सोचिए आप के लोगों का शिक्षा का स्तर बेरोजगारी निर्धनता आप की सरकार को चलाने के लिए जरूरी पैसा आपके  औद्योगिक विकास की दर क्या है ?
    हर बार आप की ओर से युद्ध का शंखनाद होता है कई बार तो आप पीओके के रास्ते अपने किराए के सैनिक टेररिज्म फैलाने के लिए भारत में भेजते हैं । किंतु भारत को यकीन मानिए युद्ध सर्वदा अस्वीकार्य रहा है । अगर आपने  अब तक  किताबें ना पड़ी हो  तो पढ़ लीजिए  जिनमें स्पष्ट तौर पर  लिखा है - युद्ध के बाद  की परिस्थिति क्या होती है  । जिन देशों ने युद्ध की तस्वीर देखी है उनके नागरिकों से जानिए अगर नहीं जान सकते तो जानिए आर्काइव में जाकर युद्ध कितने खतरनाक और मानवता के विरुद्ध का षड्यंत्र है । लेकिन कुछ देश युद्ध को अपना अंतिम लक्ष्य मानते हैं । ना वे स्वयं शांति से रह सकते और ना ही अपने पड़ोसी देशों को शांति से रहने देते हैं । दक्षिण एशिया में ऐसे  दो उदाहरण हैं  एक पाकिस्तान और  दूसरा  चीन किंतु परिस्थितियों में पूरी तरह व्यवसाई है जबकि पाकिस्तान पूरी तरह 1947 के बाद से आज तक वही कटोरा लिए पूरे विश्व से मांगता फिरता है परंतु युद्ध की अभिलाषा  सदैव  बनी रहती  है ।
 वास्तव में पाकिस्तान एक कुंठित राष्ट्र है कुंठा से बनाया गया देश ठीक उसी तरह होता है जैसे गुस्सैल और चिड़चिड़ी दंपत्ति की संताने भी अपने माता पिता के पद चिन्हों पर चलती हैं ।
   कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की बुनियाद सिर्फ इसीलिए दुनिया सिर्फ इसी लिए रखवाई  ताकि वे राष्ट्र प्रमुख बन जावे . और उनकी यही अति महत्वाकांक्षा ने ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर दिया जो आतंक का घर बन गया है ।
 भारत का यह वह हिस्सा है  जहां भारत की रियासतों की कुंठित लोग जा बसे । सिंध गिलगित और बलूचिस्तान प्रांत के लोग जो वहां के मूल निवासी हैं को भी डिस्क्रिमिनेट किया जाने की कोशिश इन्हीं रियासतों की नवाबों ने 48 के आसपास ही शुरू कर दी थी । जहां तक कश्मीर मसले का सवाल है पाकिस्तान की देन है पाकिस्तान ने अगर 47 के बाद कश्मीर के भीतर घुसपैठिए ना भेजे होते तो आज बेशक बटवारा पाकिस्तान की हित में भी होता किंतु पाकिस्तान की अवाम को बेवकूफ समझने वाली पाकिस्तान की आर्मी के लोग पाकिस्तान के विकास को अवल दर्जा नहीं देते ।  और विश्व में उनका यश और सम्मान बना रहता किंतु आए दिन सुनने को मिलता है कि पाकिस्तान के पासपोर्ट पर नजर पड़ते ही विश्व के अधिकांश देश के लोग यहां तक कि प्रशासन भी व्यक्ति को संदिग्ध ही समझता है । यह बात मैं नहीं कह रहा हूं यह बात पाकिस्तान के लोग स्वयं स्वीकारते हैं ।
   पाकिस्तान ने इन 70 वर्षों में अपनी विश्वसनीयता खुद को ही है भारत ने कबायली घुसपैठियों को जो वास्तव में पाकिस्तान की  पहले आउट सोर्स आर्मी  के सिपाही थे उस समय सह लिया था । इमरान खान साहेब को पूरे सम्मान के साथ बता दिया जाना चाहिए कि  भारत की लोक आज भी हंडी पर चढ़ा हुआ चावल पक्का है अथवा नहीं केवल एक दाने से परख लेते हैं । भारत चाणक्य का देश है । भारत तक्षशिला नालंदा का देश है इन संदर्भों को पड़ोसी मुल्कों को हमेशा ध्यान रखना होगा खासतौर पर पाकिस्तान  को ।
    यहां हर एक व्यक्ति सामान्य रूप से शांति का अनुयाई है । जबकि जिन्ना साहब का पाकिस्तान 70 साल बाद भी कुछ खास हासिल न कर पाने वाला  आतंक का घर बना  है ।
     अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले 10 सालों में पाकिस्तान गृह कलह गंभीर शिकार हो जाएगा । अगर पाकिस्तान को अच्छे और बुरे आतंकवाद का वर्गीकरण करना आता है तो उसे विकास का महत्व भी समझ में आना चाहिए था ।  पिछले 70 सालों में मोटा कपड़ा पहन कर पतला राशन खा कर भारत ने विकास की तरफ ध्यान दिया है भारत का हर परिवार का कोई ना कोई बच्चा भारत से बाहर जाकर नौकरी कर रहा है बावजूद इसके कि भारत में आज भी रोजगार के अवसर उतनी कम नहीं है जितने की पाकिस्तान में हैं । भारत की औद्योगिक विकास की रफ्तार को समझने की जरूरत है ।  अगर भारत से पाकिस्तान सद्भावना के साथ अच्छे और बुरे आतंकवाद को परिभाषित किए बिना आतंक के खिलाफ मदद मांगता तो निश्चित तौर पर भारत की सरकार मदद अवश्य  करती । किंतु जो राष्ट्र कुंठा का महासागर हो उस राष्ट्र के विद्वान भी महत्त्व हीन हो जाते हैं ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के लोग भारत के आम शहरीयों की तरह विकास नहीं चाहते ।  किंतु पाकिस्तान की सदा से कठपुतली साबित होती रही सिविल गवर्नमेंट में  आत्मशक्ति की कमी सदा से बनी रही .
    पिछले 1 सप्ताह में जब से भारत ने मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा छीना है तब से पाकिस्तान के सप्लायर बेहद तनावग्रस्त है और यह मामला  पाकिस्तानी  गृहयुद्ध की स्थिति को बढ़ा बढ़ावा  देगा । अभी तो हमने अखरोट ही बंद किए हैं अभी टमाटर और शक्कर की ट्रक वापस तो जाने दीजिए देखिए किस तरह आप की चरमराती है अर्थव्यवस्था ध्वस्त ना हो जाए तो समझिए की साक्षात कुबेर आप पर मेहरबान हैं । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री श्री इमरान खान को समझ लेना चाहिए कि अगर वे बाहरी देश यानी भारत से युद्ध छेड़ देते हैं अथवा हमारी आतंक विरोधी नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं तो इतना तय है की आप गृह युद्ध से आने वाली 10 सालों तक जुड़ते रहेंगे ।
    आपकी आवाम के प्रति भारत के किसी भी व्यक्ति में कोई दुराव नहीं है किंतु क्या आप जिस तरह इस्लाम के नाम  पर आतंक को पाल रहे हैं वह इस्लाम यह नहीं सिखाता की युद्ध करते रहो ।
   भारत में अगले डेढ़ साल तक चुनाव के अवसर आते रहेंगे लोकसभा के बाद स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे हमारे ऐसे डेमोक्रेटिक पर्व मनाए जाते रहेंगे ।  भारत का प्रजातंत्र युद्ध  जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देता सबको अपनी अपनी सहिष्णुता पर विश्वास है भारत नहीं चाहता कि आपके बच्चे भूखे नंगे रहें । बल्कि भारतीय चाहता है कि आप भी वैसे ही तरक्की करें जैसी भारत ने की है ।
 आप युद्ध के इतने शौकीन हैं तो इमरान साहब ध्यान रखिए की युद्ध क्रिकेट का खेल नहीं है और अगर आपने अपने अध कचरे राजनीतिक ज्ञान के आधार पर युद्ध करने की कोशिश की तो आप की स्थिति क्या होगी इसका मीजान आपको शीघ्र लगाना होगा ।  शीघ्र यानी एक-दो साल नहीं बल्कि अगले 15 दिवस में ।
शेष अगले पत्र में ।
    ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे
 

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...