अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2018 पर विशेष आलेख
आज भी दिव्यांगों के लिए केवल संवेदन शीलता का भाव तो देखता हूँ परन्तु जब कभी प्रथम पंक्ति में खड़े होने की बात होती है अधिकांश नाक भौं सिकोड़ते नजर आते हैं इसके मैंने कई उदाहरण देखें हैं भुक्तभोगी भी रहा हूं कुछ लोगों का शिकार भी बना हूं मैं जानता हूं कि यह कह कर मैं बहुत बड़ा खतरा मोल ले रहा हूं लेकिन यह भी सत्य है कि इसे बड़ी संख्या उन लोगों की है जो दिव्यांग ता को एक बाधा नहीं मानते . मित्रों ने मुझे बहुत शक्ति दी है परिवार ने बहुत शक्ति दिए लेकिन समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर पाते की मैं उनके बराबर खड़ा हो सकता आप भी देखें सोचें सशक्तिकरण का अर्थ क्या है कुछ लोग इतने नकारात्मक होते हैं वे हताशा के कुएं में ढकेलने के के लिए पूरी तरह कोशिश किया करते हैं । यद्यपि मैं यह बात इसलिए सामने नहीं रख रहा हूं यह हाथ से मेरे साथ हुए बल्कि यह इसलिए सामने रखा जा रहा है कि अगर एक ही व्यक्ति किसी दिव्यांग के प्रति ऐसा भाव रखता है तो वह वास्तव में दिव्यांग है । पिछले 2 महीनों में मुझे बहुत अच्छे अनुभव हुए हैं जिससे मैं अभिभूत हूं । पर यह भी नहीं भूलना च