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सरित-प्रवाह और समय प्रवाह

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सुधि पाठक             सुप्रभात एवं शारदेय नवरात्री के पूजा-पर्व पर पर आपकी आध्यात्मिक उन्नति की कामना के आह्वान के साथ अपनी बात रखना चाहता हूँ .              नदियों के किनारे विकसित सभ्यता का अर्थ समृद्ध जीवन ही है . आज प्रात: काल से मैं अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत करने जा रहा हूँ. ज़िंदगी अपनी 54 वर्ष के बाद बदलेगी मुझे यकीन नहीं हो रहा . हमारा नज़रिया होता है कि नदी अपने साथ समय की तरह बहाकर बहुत कुछ ले जाती है परन्तु हम बहुत देर समझ सोच पाते हैं कि नदियाँ अपने साथ बहुत कुछ लेकर भी आतीं हैं . और अपने किनारों को बांटतीं हुईं  निकल भी जातीं हैं . ठीक वैसे तरह  सरिता के प्रवाह सा समय भी बहुत कुछ लेकर आता और लेकर  जाता है. इस लेकर आने और लेकर जाने के व्यवसाय में नहीं से अधिक लाभ स्थानीय रूप से होता है.      हम सभी समय-सरिता के इस पार या उस पार रहा करतें हैं . जहां हम आत्म चिंतन के ज़रिये इस प्रवाह के साथ कुछ न कुछ  चाहते न चाहते बह जाने देतें हैं. कुछ नया जो बहकर आता है उसे आत्मसात कर लेतें हैं. 29 नवम्बर 1962 को मेरा जन्म हुआ था. जीवन का हिसाब किताब जन्म से ही रखना चाहिए  सो

‘लोहस्तंभ’ - प्रशांत पोळ

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दक्षिण दिल्ली से मेहरोली की दिशा में जाते समय दूर से ही हमें ‘क़ुतुब मीनार’ दिखने लगती हैं. २३८ फीट ऊँची यह मीनार लगभग २३ मंजिल की इमारत के बराबर हैं. पूरी दुनिया में ईटों से बनी हुई यह सबसे ऊँची वास्तु हैं. दुनियाभर के पर्यटक यह मीनार देखने के लिए भारत में आते हैं. साधारणतः ९०० वर्ष पुरानी इस मीनार को यूनेस्को ने ‘विश्व धरोहर’ घोषित किया हैं. आज जहां यह मीनार खड़ी हैं, उसी स्थान पर दिल्ली के हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान की राजधानी ‘ढिल्लिका’ थी. इस ढिल्लिका के ‘लालकोट’ इस किले नुमा गढ़ी को ध्वस्त कर, मोहम्मद घोरी के सेनापति ‘कुतुबुद्दीन ऐबक’ ने यह मीनार बनाना शुरू किया था. बाद में आगे चलकर इल्तुतमिश और मोहम्मद तुघलक ने यह काम पूरा किया. मीनार बनाते समय लालकोट में बने मंदिरों के अवशेषों का भी उपयोग किया गया हैं, यह साफ़ दिखता हैं. किन्तु इस ‘ढिल्लिका’ के परिसर में इस क़ुतुब मीनार से भी बढकर एक विस्मयकारी स्तंभ अनेक शतकों से खड़ा हैं. क़ुतुब मीनार से कही ज्यादा इसका महत्व हैं. क़ुतुब मीनार से लगभग सौ – डेढ़ सौ फीट दूरी पर एक ‘लोहस्तंभ’ हैं. क़ुतुब मीनार से बहुत छोटा... केवल ७.३५ मीटर या २४

पोते को मिलेंगे 130 करोड़ : एडवोकेट आनंद अधिकारी

ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है इस बात का खुलासा किया ज़ी बिजनेस के एक फोनइन कार्यक्रम में ।  एक आदमी 1990 को कोमा मै चला गया उसके बेटे ने उसकी बहुत सेवा की और उसके बेटे की मौत के बाद उस आदमी के पोते ने बहुत सेवा की। अकस्मात 2017 मे कोमा वाला आदमी होश मे आ गया वह आपने पोते को होश मे आने के बाद कहता है कि मेरे पास ज्यादा कुछ तो नहीं था पर 1990 में मैंने MRF Company के 20000 Share लिए थे वो तू ले ले उसके पोते ने 2017 में Zee Business से फोन करके उसकी आज की असली  पता की तो उसके होश ही उड गए आप भी सुनिए इस वीडियो क्लिप में जो हमने  ज़ी बिजनेस से साभार प्राप्त5 की है । नोट :- यह समाचार एडवोकेट आनंद अधिकारी ने एक वाट्सएप समूह में पोस्ट की है । 

बामियान से बुद्ध को मिटा

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सोचता था आज न लिखूं.....  पर क्यों न लिखूं.. ?  लिखना ज़रूरी है .. वरना नींद न आएगी..  आज नहीं तो कल सो सकता हूँ . अदद चार घंटे तो सोना है.. फिर क्या था बैठ गया लिखने . किसी माई के लाल ने न रोका...  मित्रो अक्सर मुझे यही सिचुएशन हैरान कर देती है . तीन बज जाते हैं कभी तो रात तीन बजे तक  ज़ारी होता है लखना... यानी देखना फिर लिखना ... क्या देखता हूँ ... देखता हूँ.. विचारों के साथ तैरतें हैं दृश्य ... फिर लिखता रात भर उन पर आओ एक मुक्त कविता देता हूँ ...  हाँ लिखता हूँ   कविता लिखना  गुनाह नहीं है ..  अगर तुम घायल होते  हो   ! मुझे परवाह नहीं है.  बामियान से बुद्ध को मिटा  रोहिंग्या के बारे में सोचते हो ..  रो तो मैं भी रहा हूँ .. बुद्ध पर ..  चीखते  रोहिंग्या लोगों पर .. गलत लिखा क्या .. ? गलत लिखता नहीं  गलत तुम समझते हो .. क्यों डरते हो इलाहाबाद के  प्रयागराज होने पर लिखा है न वही प्रयाग था..  तो होने दो प्रयाग को प्रयाग .. क्या फर्क पड़ता है  रोटी कहो ब्रेड कहो . पेट तो सबका भरता है  सच कहूं   मैं निर्विकार ब्रह्म से मिलता हूँ  एकांत में

सजल उन्नति और शाम्भवी ने रिकार्ड बनाए

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जबलपुर में गायत्री परिवार 2015 से वाइस ऑफ प्रज्ञा संगीत स्पर्धाओं का वार्षिक आयोजन कर रही है । विगत वर्ष 2016 में मास्टर नयन सोनी मास्टर जैन और इशिता ने पुरस्कार प्राप्त किये थे । इस बार भी मुझे शुक्रवार 15 सितंबर 2017 सुखद लगा जब ग्रुप A शाम्भवी पंड्या विशेष पुरस्कार मोमेंटो प्रमाण पत्र एवम म्यूज़िक सिस्टम । ग्रुप A प्रथम पुरस्कार सजल सोनी :- मोमेंटो प्रमाण पत्र एवम लैपटॉप । ग्रुप B तृतीय पुरस्कार  :- उन्नति तिवारी , मोमेंटो प्रमाण पत्र एवम एंड्रायड फोन । सब कुछ के अलावा जनसमूह का प्यार । बधाई बच्चों आभार @⁨Dr Shipra Sullere⁩ ( Sangeet Guru ) Congratulations #Ishita_Vishvkarma D/o #Anjani_Vishvakarma  #Smt_Tejal   for superb guest  performance in #Voice_Of_Pragya Tejal Vishwakarma Vishwakarma

हलीमा बिंते याकूब भारतीय मूल की राष्ट्रपति

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सिंगापुर संसद स्पीकर रहीं   ‘ हलीमा बिंते याकूब का जन्म   23  अगस्त   1954  में हुआ सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। 13 सितम्बर 2017 को उनको निर्वाचन अधिकारी ने राष्ट्रपति घोषित कर दिया. अगर आप इस बात से न चौके हों तो अब जो आपको ज्ञात होगा कि उनके डी एन ए में भारतीयता मौजूद है अवश्य चौंक सकते हैं . वे एक भारतीय मुस्लिम की बेटी हैं जो चौकीदारी का काम किया करते थे , जब उनके पिता    का नि:धन हुआ तो वे केवल 8 वर्ष की थीं. सिंगापुर एक अजब देश इस लिए है क्योंकि उसका विस्तार भारत की मायानगरी मुंबई से कम है .  16  सितंबर  1963  को मलाया ,  सिंगापुर ,  सबा एवं सरवाक का औपचारिक रूप से विलय कर दिया गया और मलेशिया का गठन हुआ   किन्तु दो बरस बाद ही यानी  9  अगस्त  1965  को मलेशिया से सिंगापुर अलग एवं एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. कारण यह था कि अंग्रेज़ सरकार    साम्यवादी व्यवस्था के पूर्णत: खिलाफ थी. तथा वे सिंगापुर में उग्र साम्यवाद के विस्तार के खिलाफ थे.     सिंगापुर में निर्वाचित राष्ट्रपति के कार्यकाल पूरा होने पर उनको पद मुक्त होना पड़ता है . परन्तु राष्ट्रपति का पद किसी भी स

बच्चों के हितों के संरक्षण

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 सादर वन्दे मातरम विषय :- बच्चों के हितों के संरक्षण बाबत   मान्यवर                  7  वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर की निर्मम हत्या के संबंध में जो न्यायिक जांच की कार्रवाई हो रही है वो विधि सम्मत ही होगी ऐसा विश्वास सभी भारतवासी करते हैं ।          मान्यवर में एक रचनाधर्मी हूँ । जो संवेदनशीलओं से अपेक्षाकृत अधिक भरा हो सकता है ! इससे आप निश्चित रूप से सहमत अवश्य होंगें ।   मान्यवर जब भी किसी मासूम के साथ कोई घटना होती है हर व्यक्ति विचलित हो जाता है । यही स्थिति घटना के बाद मेरी भी थी.  अबसे लगभग   30  घंटे पहले    इस द्रवित करने वाली खबर   गहरा असर किया है ।    सोने की कोशिशें काम करने लिखने की कोशिशें निरंतर बेकार रहीं । एक मायूस और स्तब्ध स्थिति में हूँ ।             रेयान इंटरनेशनल    शिक्षण संस्था    में घटित    इस अमानवीय घटना के लिए ज़िम्मेदारी तय होना एक प्रक्रिया एवम व्यवस्था के तहत ही होगी इस बात का    सबको ज्ञान है ।          तथापि मेरा   " बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए* कुछ सुझाव हैं   1 :-  किसी भी शिक्षण संस्थान को नर्सरी से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल की अनुमत