वर्तमान की भौतिकवादी मीडिया -डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
मीडिया जगत से जुड़े लोग कुछ उस तरह के हो गए हैं जैसे पुराने समय में एक राज्य का महामंत्री। शायद इस कहानी को अधिकाँश लोग नहीं सुने होंगे। उस कहानी का सार यहाँ प्रस्तुत करना आवश्यक हो गया है। कहानी के अनुसार उक्त राज्य में अकाल पड़ गया था प्रजा में त्राहि-त्राहि मची थी। यह बात राजा के कानो तक नहीं पहुँची थी। राजा जब भीं भरी सभा में अपने खास महामंत्री से पूछता कि बताओ राज्य की प्रजा का क्या हाल है? तब महामंत्री उत्तर देता कि हे राजन, राज्य में दूध घी की नदियाँ बह रही हैं प्रजा खुशहाल है। इसके बावजूद राजा को गुप्तचरों ने राज्य में ‘अकाल‘ की जो विभीषिका प्रस्तुत किया उससे राजा का मन विचलित हो गया। मुलतः वह एक दिन अचानक अपने खास गुप्तचरों के साथ राज्य भ्रमण पर निकल पड़ा। हालात जो दिखाई दिए उससे ‘राजा‘ को अन्दर ही अन्दर महामंत्री के मिथ्या और भ्रामक संवाद से क्रोध भी आया। दूसरे दिन भरी सभा में राजा ने फरमान जारी कर दिया कि महामंत्री जो राजकीय सुख-सुविधाएँ प्रदान की गई हैं वह वापस ली जाएँ। राजा के हुक्म की तामील हुई और महामंत्री को प्रदत्त सभी राजकीय सुविधाएँ वापस ले ली गईं। दरबार बैठता है।