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तब हर तरह से बोलेगा.. तुम्हारी हर पर्त आसानी से खोलेगा..!!

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जो बोल रहा है उसे बोलने दो  .. खुली अधखुली गठाने खोलने दो सुनो खामोश होकर एक धैर्य से उसे खामोश मत रहने दो वरना एक दिन उसकी खामोशियां  उसके अंतस में हौले हौले  गर्म होंगी..! फ़िर खौलेंगी... और फ़िर बोलेंगी.......!! कुछ ऐसा कि तुम कुछ बोल न पाओगे.. खामोशी का अनुनाद... झेल न पाओगे  अपने खेल खेल न पाओगे.. वो मौन न रहे ध्यान रखो.. तब तुम पत्थर से रेत होकर यक़ीनन बिखर जाओगे...!! सच यही है जब वो बोलेगा तब हर तरह से बोलेगा.. तुम्हारी हर पर्त आसानी से खोलेगा..!!

"बावरे-फकीरा से संगृहीत 25.000/- रूपए की राशि मैजिक-ट्रेन"लाइफ लाइन एक्सप्रेस'' के लिए सौंपी गयी "

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शिर्डी साई को भगवान मानो या न मानो इस पर परम पूज्य शंकराचार्य जी की टिप्पणी से मुझे कोई लेना देना नहीं. पर एक अदभुत घटना घटी मेरे जीवन में मेरे गुरु-भक्ति गीत का गायन आभास से कराया श्रेयस जोशी ने उनकी संगीत रचना की. किसी भी कलाकार ने कोई धन राशि बतौर पारिश्रमिक हमसे न ली . बस पोलियो ग्रस्त बच्चों की मदद के वास्ते कुछ करने का ज़ुनून था. और   सव्यसाची-कला-ग्रुप जबलपुर द्वारा दिनांक  14  मार्च  2009  को स्थानीय मानस भवन जबलपुर में आयोजित पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम बावरे-फकीरा  का लोकार्पण किया गया था . मेरे एक मित्र राजेश पाठक प्रवीण ने कहा था- बस आधा मानस भवन भर गया तो जानो अपना कार्यक्रम सफ़ल. पर भीड़ ने रुकने का नाम न लिया मानस भवन खचाखच था देखते ही देखते . शो शुरु से अंत तक एक सा रहा. स्व. ईश्वरदास रोहाणी  दादा , श्री जितेंद्र जामदार, सहित शहर के गणमान्य से लेकर सामान्य व्यक्ति तक आए. भगवान बाबा की कृपा स्व.  मां सव्यसाची के आशीर्वाद से पहले ही दिन पच्चीस हज़ार के एलबम बिक गए. प्राप्त  राशी कम न थी तब. रेडक्रास सोसायटी जबलपुर  को लाईफ़-लाईन एक्सप्रेस के प्रबंधन क

"माई री मैं कासे कहूं पीर .... !"

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विधवा जीवन का सबसे दु:खद पहलू है कि उसे सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों से आज़ भी  समाज ने दूर रखा है. उनको उनके सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकार देने की बात कोई भी नहीं करता. जो सबसे दु:खद पहलू है. शादी विवाह की रस्मों में विधवाओं को मंडप से बाहर रखने का कार्य न केवल गलत है वरन मानवाधिकारों का हनन भी है.              आपने अक्सर देखा होगा ... घरों में होने वाले मांगलिक कार्यों में विधवा स्त्री के प्रति उपेक्षा का भाव . नारी के खिलाफ़ सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाने का साहस करना ही होगा . किसी धर्म ग्रंथ में पति विहीन नारी को मांगलिक कार्यों में प्रमुख भूमिका से हटाने अथवा दूर रखने के अनुदेश नहीं हैं. जहां तक हिंदू धर्म का सवाल है उसमें ऐसा कोई अनुदेश नहीं पाया जाता न तो विधवा का विवाह शास्त्रों के अनुदेशों के विरुद्ध है.. न ही उसको अधिकारों से वंचित रखना किसी शास्त्र में निर्देशित किया गया है.  क्या विधवा विवाह शास्त्र विरुद्ध है?  इस विषय पर गायत्री उपासकों की वेबसाइट http://literature.awgp.org/hindibook/yug-nirman/SocietyDevelopment/KyaVidhvaVivahShastraViruddhHai.1 पर स्पष्ट लिखा है क

शास्त्री जी नाराज़गी छोडिये : केवल भाई क्षमा मांगिये तकनीकी समस्या बताते हुए ..

" आज से ब्लॉगिंग बन्द"   का उदघोष कर डॉ. रूपचंद्र शास्त्री   ' मयंक '    जी ने एक बार फ़िर ब्लाग जगत में खलबली मचा दी . मसला मेरी दृष्टि में एक तरह की मिसअंडर स्टैंडिंग है . .   www.blogsetu.com   को लेकर. जहां तक मेरा मानना है शास्त्री जी ने हिंदी ब्लागिंग को वो सब दिया जो ज़रूरी था उनकी वज़ह से ही हिंदी ब्लागिंग में कुछ नए नवेले प्रयोग हुए.. खटीमा सम्मेलन इस बात का सर्वोच्च उदाहरण है. जिसमें वेबकास्टिंग को स्थान मिला.. और आगे गूगल को जिसे हैंगआउट के रूप में सुविधा के रूप में सबको देना ही पड़ा .     जहां तक   ब्लाग सेतु     का सवाल है उसके निर्माता भाई   केवलराम   की जीवटता को नकारना बेमानी होगा.     वैसे इन दौनों महारथियों के बारे में कुछ भी कहना सूरज भैया के सामने दीपक रखने वाला काम ही होगा. दौनो महानुभाव योग्य ही नहीं सुयोग्य और क्षमतावान हैं.           ब्लाग सेतु     के पूर्व से   चर्चामंच   पाठकों तक नि:स्वार्थ लिंक उपलब्ध कराने का काम कर रहा है. किंतु अचानक ब्लाग जगत में हुए ऐसे विवाद से मन पीढ़ा से भर आया है. अच्छा होता कि बात केवल शास्त्री जी एवम केवल भा

शुभ यात्रा की विश पूरी करें : हिदायतों का ध्यान रखें

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यह आलेख फ़ेसबुक के   GreenYatra   से सामुदायिक समझ को बढ़ाने के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है  आजकल नए बने ताज एक्सप्रेस वे पर रोजाना गाड़ियों के टायर फटने के मामले सामने आ रहे हैं जिनमें रोजाना कई लोगों की जानें जा रही हैं.एक दिन बैठे बैठे मन में प्रश्न उठा कि आखिर देश की सबसे आधुनिक सड़क पर ही सबसे ज्यादा हादसे क्यूँ हो रहे हैं ? और हादसों का तरीका भी केवल एक ही वो भी टायर फटना ही मात्र , ऐसा कोन सी कीलें बिछा दीं सड़क पर हाईवे बनाने वालों ने ? दिमाग ठहरा खुराफाती सो सोचा आज इसी बात का पता किया जाये. तो टीम जुट गई इसका पता लगाने में. अब सुनिए हमारे प्रयोग के बारे में. मेरे पास तो इको फ्रेंडली हीरो जेट है सो इतनी हाई-फाई गाडी को तो एक्सप्रेस वे अथोरिटी इजाजत देती नहीं सो हमारे एडमिन पेनल की दूसरी कुराफाती हस्ती को मैंने बुला लिया उनके पास BMW X1 SUV है ( ध्यान रहे असली मुद्दा टायर फटना है) सबसे पहले हमनें ठन्डे टायरों का प्रेशर चेक किया और उसको अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ठीक किया जो कि 25 PSI है. (सभी विकसित देशों की कारों में यही हवा का दबाव रखा जाता है जबकि हमारे देश में लोग

मानव तस्करी की मंडी में मासूम :संजय स्वदेश

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साभार :- चित्र   पंजाब केसरी से साभार बीते दिनों केरल पुलिस के 16 अधिकारियों ने झारखंड के 123 बच्चों को केरल से जसीडीह स्टेशन पहुंचाया गया। ये बच्चे मानव तस्करी के जरिए केरल के अनाथालय में पहुंचाया गया था। पिछले वर्ष भी इसी तरह थोक में बच्चों की मानव तस्करी की एक और मामले का पर्दाफाश हुआ था। राजस्थान के भरतपुर रेलवे स्टेशन से 184 बाल मजदूरों को मुक्त करा कर पटना पहुंचाया गया। आए दिन देश के हर राज्य के अखबारों में बच्चों के गायब होने की खबर किसी ने किसी पन्ने के कोने में झांकती रहती हंै। देश बड़ा है। आबादी बड़ी है। संभव हो आपके आसपास कोई ऐसा नहीं मिले , जिसके बच्चे होश संभालने से पहले ही गायब हो चुके हो। इसलिए आपको जानकार थोड़ा आश्चर्य होगा , लेकिन हकीकत यह है कि आज देशभर में करीब आठ सौ गैंग सक्रिय होकर छोटे-छोटे बच्चों को गायब कर मानव तस्करी के धंधे में लगे हैं। यह रिकार्ड सीबीआई का है। मां-बाप का जिगर का जो टुकड़ा दु:खों की हर छांव से बचता रहता है , वह इस गैंग में चंगुल में आने के बाद एक ऐसी दुनिया में गुम हो जाता है , जहां से न बाप का लाड़ रहता है और मां के ममता का आंचल। किसी के अंग

धर्म, आस्तिकता और नास्तिकता पर पाखंड का साया : बी.पी. गौतम

आलेख में प्रकाशित सामग्री  पर लेखक का सर्वाधिकार है. ब्लाग स्वामी   ईश्वर और धर्म के विषय में अधिकतम ज्ञान अर्जित करने की दिशा में असंख्य लोग स्वाभाविक ही जुटे रहते हैं। जब , जहां और जैसे अवसर मिलता है , वैसे स्वयं को सतुंष्ट करने के प्रयास करते रहते हैं। मनुष्य की इसी स्वाभाविक इच्छा का धूर्त और शातिर किस्म के लोग दुरुपयोग कर रहे हैं। धूर्त और शातिर किस्म के लोगों ने ईश्वर और धर्म को धंधा बना लिया है , जिससे लोग द्वंद से निकलने की जगह और गहरे में फंसते जा रहे हैं। बचपन में एक कहानी सुनी थी , जिसमें बताया गया था कि एक गांव में चार अंधे रहते थे। उस गांव में एक बार हाथी आया। चारों अंधों ने हाथी को छूने की उत्सुकता व्यक्त की , तो महावत ने हाथी को छूकर अनुभूति करने की अंधों को अनुमति दे दी। इसके बाद चारों अंधे अपने अनुभवों को आपस में बांटने लगे। हाथी का पैर छूने वाले अंधे ने कहा कि हाथी एक खंबे जैसा होता है। हाथी के पेट पर हाथ घुमाने वाले अंधे ने कहा कि हाथी ढोल की तरह होता है। कान पकड़ने वाला अँधा उन दोनों को मूर्ख बताते हुए बोला कि हाथी सूप की तरह होता है और पूँछ पकड़न