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स्वर्गीय केशव पाठक

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मुक्तिबोध की ब्रह्मराक्षस का शिष्य , कथा को आज के सन्दर्भों में समझाने की कोशिश करना ज़रूरी सा होगया है । मुक्तिबोध ने अपनी कहानी में साफ़ तौर पर लिखा था की यदि कोई ज्ञान को पाने के बाद उस ज्ञान का संचयन,विस्तारण, और सद-शिष्य को नहीं सौंपता उसे मुक्ति का अधिकार नहीं मिलता । मुक्ति का अधिकारक्या है ज्ञान से इसका क्या सम्बन्ध है,मुक्ति का भय क्या ज्ञान के विकास और प्रवाह के लिए ज़रूरीहै । जी , सत्य है यदि ज्ञान को प्रवाहित न किया जाए , तो कालचिंतन के लिए और कोई आधार ही न होगा कोई काल विमर्श भी क्यों करेगा। रहा सवाल मुक्ति का तो इसे "जन्म-मृत्यु" के बीच के समय की अवधि से हट के देखें तो प्रेत वो होता है जिसने अपने जीवन के पीछे कई सवाल छोड़ दिये और वे सवाल उस व्यक्ति के नाम का पीछा कर रहेंहो । मुक्तिबोध ने यहाँ संकेत दिया कि भूत-प्रेत को मानें न मानें इस बात को ज़रूर मानें कि "आपके बाद भी आपके पीछे " ऐसे सवाल न दौडें जो आपको निर्मुक्त न होने दें !जबलपुर की माटी में केशव पाठक,और भवानी प्रसाद मिश्र में मिश्र जी को अंतर्जाल पर डालने वालों की कमीं नहीं है किंतु केशवपाठ

"चिंता ही नहीं चिंतन भी : हालत-ए-महाराष्ट्र "

काफ़ी हाउस में मित्रों के बीच हुई चर्चा के संपादित अंश आपसे शेयर करना चाहता हूँ " धर्मदेव" , और राहुल राज , के मामलों के बीच झूलता है एक सवाल की क्या मेरा देश भी कबीलियाई संरचना की , ओर जाने तैयार है..........? यदि हाँ तो इसकी सीधी जिम्मेदारी किसकी है । कल ही मित्र मंडली के साथ हुई चर्चा में में साफ़ हुआ की हरेक उस विषय को सियासत से दूर दूर रखना अब ज़रूरी हो गया है जो पूर्णत: सामाजिक हों ....! यानी सियासत ओर सियासियों को सामाजिक बिन्दुओं से दूर ही रखना ज़रूरी है ताकि कोई भी लालसा सामाजिक-संरचना को असामाजिक स्वरुप न दे सके । इस के लिए ज़रूरी है यानी ऐसे इन जैसे ,लोगो को जो अदूरदर्शी हैं को सामाजिक सरोकारों से परे रखना ही होगा। समाज विज्ञानी विश्व विराट के उत्कर्ष की सोच लेकर अपना अध्ययन सार साहित्य को देता है जबकि राजनीतिक पृष्ठ पर ऐसा कदापि नहीं है । सभी खजानो को लूटने इन हथकंडों की आज़माइश पे लगातार आमादा होते हैं । ओशो की सोच ,इस समय समयानुकूल ही है:-" लोग भय में जी रहे हैं, नफरत में जी रहे हैं, आनंद में नहीं। अगर हम मनुष्य के

श्रीमती गुप्ता बैक होम फ्रॉम मिसेज श्रीवास्तव,मिसेज जैन,मिसेज पांडे, ..

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"खज़ाना" में सुबह छापे इस आलेख को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ दीपावली की धूमधाम भरी तैयारीयों में इस बार श्रीमती गुप्ता ने डेरों पकवान बनाए सोचा मोहल्ले में गज़ब इम्प्रेशन डाल देंगी अबके बरस बात ही बात में गुप्ता जी को ऐसा पटाया की यंत्र वत श्री गुप्ता ने हर वो सुविधा मुहैय्या कराई जो एक वैभव शाली दंपत्ति को को आत्म प्रदर्शन के लिए ज़रूरी था । इस " माडल " जैसी दिखने के लिए श्रीमती गुप्ता ने साड़ी ख़रीदी गुप्ता जी को कोई तकलीफ न हुई । घर को सजाया सवारा गया , बच्चों के लिए नए कपडे यानी दीपावली की रात पूरी सोसायटी में गुप्ता परिवार की रात होनी तय थी । चमकेंगी तो गुप्ता मैडम , घर सजेगा तो हमारी गुप्ता जी का सलोने लगेंगे तो गुप्ता जी के बच्चे , यानी ये दीवाली केवल गुप्ता जी की होगी ये तय था । समय घड़ी के काँटों पे सवार दिवाली की रात तक पहुंचा , सभी ने तय शुदा मुहूर्त पे पूजा पाठ की । उधर सारे घरों म

हमारे समूह का ओशो : सलिल समाधिया और धन को तरसाती धन तेरस

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धन को तरसता पूंजी-बाज़ार और जबलपुर जैसे कस्बाई शहर  500  के आसपास कारों का बिकना.एक अजीबोगरीब अर्थशास्त्रीय संरचना को देखकर आप भौंचक न हों समयांतर में इस आर्थिक संरचना को आप समझ पाएंगे की कहीं यह महामंदी एक आर्टिफीशियल तो नहीं  ? कल जब मुझे धन को तरसाती तेरस के अवसर पर टेलीफोन कंपनियों  , व्यावसायिक प्रतिष्ठानों , और अमीर मित्रों ने “धन-तेरस ” की शुभकामनाएं दीं तो मुझे लगा आज़कल आमंत्रण के तरीके कितने अपने से हो गए हैं चलो किसी एक प्रतिष्ठान पे चलें सो फर्निचर वाले भाई साहब की दूकान पे पहुंचा जो मुझे जानता था । यानी की उसे मालूम था कि मैं ओहदेदार हूँ सो मुझे देखते ही सपने सजाने लगा मैंने पूछा : भई , पलंग ………. ? मेरे पीछे चिलमची लगा दिए गए पलंग दिखाने पूरी इस हिदायत के साथ कि :-”भई , घर में जाएगा पलंग बिल्लोरे जी कस्टमर नहीं हैं हमाए मित्र “ मालिक के मित्र के रूप में हमको  5000/_  से  50000/_  वाले एक से एक पलंग दिखाए गए सबकी विशेषताएं गिनें गईं और हर बार कहा सा ‘ ब “फ़िर आप सेठ जी के मित्र हैं हम कोई ग़लत चीज़ थोड़े न बताएंगे “ हम ठहरे निपट गंवार सो हमको घर में पड़े पुराने पलंग की याद

प्रवासी पंछी का का ब्लॉग !!

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संगीत-मयी यात्रा पे निकला ये प्रवासी पाखी जिसे Arvind के नाम से जाना जाता है जो मुड - मुड अपने गुजरात को देखता भारत को देखता है और रोज़ अंतर्जाल पे बातें होतीं हैं भारत की कला साहित्य की आज तो मुझे उनके तरेसठ हज़ार से अधिक मित्रों की लिस्ट है इतने कुल वोट पडतें हैं असेम्बली के चुनाव में कहीं कहीं .....!! आप इनको मेल कर सकतें है :- arvindvpatel@hotmail.com , arvind.arvind1uk@gmail.com इनके ब्लॉग का यू आर एल है :http://dreamsatdawn।blogspot.com/ : "Dreams At Dawn-A Musical Journey " बस एक-चटका हो जाए " अरविन्द जी सभी ब्लागर'से की ओर से हार्दिक शुभ कामनाएं " "अंत में चर्चा चर्चा की " => इधर ताऊ पे चर्चा कर चिठ्ठा पे कमेन्ट कराने वाले भी विवेक भाई को डरा रहे हैं कि ताऊ की बगैर अनुमति के अरे भाई ताऊ और राखी में फरक होगा ही कोई वे मीडिया के सामने ...... चीख- 2 के सचाई थोड़े बता देंगें चिंता करे चिता मन विवेक जी आप तो जारी रहो हर चर्चा में भारी रहो चर्चित भाइयो आप चर्चा मंडली के आभारी रहो । अपन तो

महिला मित्र का आभार जिनके कारण ............!!

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"दीपावली का उपहार" भेजने वाली मित्र को सादर नमन करते हुए बता दूँ की जितना नशा इन सभी में एक साथ मिलता है वह इस विरहनी-लावण्या विरह का हजारवें भाग के तुल्य भी नहीं हैं ? { अपनी इन मित्र का आभारी हूँ जिनने मुझे शराब , की बोतलों का खजाना भेजा वर्ना यह पोस्ट न लिख पाता } यह विरह ईश्वर के प्रेम में पगी आत्मा को ही महसूस होता है न कि हर आत्मा को । ये , इश्क़ में घायल आवाज़ गोया , - ग़म ,को बयाँ करती सुनाई दे रही होगी आपको सुनाई दे भी क्यों न ........? इश्क हा ही ऐसी चीज़ आज़माना है तो आज़माइए किंतु याद रखिए मेरी इस बात को ------ इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे.... भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है ? पाकीज़ा जिंदगियां पाप की पडोसन , बनाना कभी न चाहतीं हैं और न चाहेंगी। किंतु हम क्या करें जब मन भीगा हो तो साँसें भी कभी सूखी रह सकतीं हैं ...... समीर लाल जी जो देसी मानस लेकर बिदेसिया हो गए है संगी कविताई करने वालों के साथ टी वी स्टूडियो में गए और कने लगे की ये लो भई-टीवी पर भी आ लिए, मैं ये तो नहीं कहूँगा की जं

निर्मल ग्राम बनाने की कोशिश :पुरस्कार के लिए नहीं सोच बदलने की तैयारी

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" निर्मल गाँव के आँगन वाड़ी केद्रों के लिए प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला संपन्न " जबलपुर दिनांक 22 / 10 / 2008 जबलपुर विकास खंड के अंतर्गत नवीन प्रस्तावित निर्मल पंचायतों के 65 आँगनवाड़ी केन्द्रों के लिए आज एक दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला का आयोजन स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी सभागार में किया गया . कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान आँगन वाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं किशोरियों के लिए कार्य निर्देश दिए गए . जिला पंचायत जबलपुर से उपस्थित श्री आशीष व्योहार ने बताया की जिन शासकीय भवनों में आँगन वाड़ी केन्द्र सचालित हैं तथा उनमें शौचालय निर्माण नहीं किए जा सके हैं उनके लिए एक सप्ताह में आवश्यक राशि जारी कर दी जावेगी . निर्मल ग्राम बनाने के लिए समग्र रूप से समन्वय , जन जागरण , स्वच्छता बनाए रखने के उपाय , केन्द्र की आतंरिक एवं बाह्य स्वच्छता , तथा व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित बिन्दुओं पर बाल विकास परियोजना अधि