संदेश

*KHAZANA*: "भेडाघाट के बच्चे"

"भेडाघाट के बच्चे" अभी भी ५ रूपए के लिए धुआं धार में कूद जाते हैं । आप सिक्का फैंकिए वे उठा के लाते हैं.....?

प्रिय चापलूसों

" देश भर के चापलूसों आज मूर्ख दिवस दिवस पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ"

जबलपुरियों की पोस्ट

[01] विश्व रंगकर्म दिवस संगोष्ठी में"उड़नतश्तरी" [02] समयचक्र हिन्दी ब्लॉग और हिन्दी साहित्य : श्री समीर लाल बाल गोपालो को फूलों सा खिलाना है [03] जबलपुर चौपाल " में उड़नतश्तरी का होली आयोजन और लुकमान की याद [04], Sameer Lal उर्फ़ बिदेसिया जबलईपुर वारे ने छापा दिल से आवाज आई: विश्व रंगमंच दिवस पर एक और जबलपुरिया " yunus भाई " को तो भूल ही गया था नूर साहब लाॅ कालेज में मुझे पढाते थे । मेरी अम्मी जिनका शेर "मेरी आंखों पे लरज़ते हुए उनके आंसू,यूँ ही ठहरे रहें ता उम्र इनायत होगी , कद्र-ऐ-जुम्बिश में गिर के बिखर जाएंगे , और फिर उनकी अमानत में खयानत होगी " खूब याद है, खूब याद है इरफान का वो शेर :-"जब भूक की शिद्दत से तढ़पेगें मेरे बच्चे ,दीवार पे रोटी की तस्वीर बना दूंगा " हजूर [ yunus भाई ]आप जबलपुर या एम० पी० के संगीतकारों , गायकों पर एक पोस्ट देकर जबलपुरिया धर्म निबाह दीजिए ।

विश्व रंगकर्म दिवस संगोष्ठी में"उड़नतश्तरी"

जबलपुर के रंगकर्म से जुड़े लोग आज विश्व रंग कर्म दिवस पर जुटे चंचला बाई कालेज के खुले मंच पर । त्रिलोक सिंह-कर्मयोगी कृष्ण सा उनका व्यक्तित्व को भी याद किया , Sameer Lal आज अतिथि थे उडन तश्तरी .... के रूप में आप जानते ही है इनको , भावना का देश है भारत के कवि बुरहानपुर से दादा आचार्य डाक्टर भृगुनंदन जी जो समयचक्र के mahendra mishra [महेन्द्र मिश्र जी] के साथ आए थे । ब्लागिंग पे भी चर्चा हुई कविता पाठ हुआ , सूरज राय सूरज,अरुण पान्डे,डाक्टर मलय शर्मा,डा० श्याम सुन्दर मिश्र, विजय तिवारी "किसलय", राजीव गुप्त, यानी विवेचना रंग-मंडल के लिए-" जबलपुर चौपाल " वाले पंकज स्वामी"गुलुश" के न्योते सभी "दाएं-बाएँ" वाले सब आए थे , आते क्यों न किसी टेंट-हाउस,वालों का कार्य-क्रम थोडे न था। विवेक पांडे की कविता Vivek Pandey , पे चटका लगाइए सुन लीजिए जी। ये ROHIT JAIN , भी छा गए थे किन्तु मुझे जिस युवक की कविता ने रोमांचित कर दिया था उसे समीर जी अपने ब्लोंग पर पोस्ट कर रहे हैं । मुझे क्या सभी को अंतस तक छू -रहे हैं युवा कवि राजेश वर्मा [जोअपनी राख को गंगा में

पूर्णिमा वर्मन जी का सहयोग म०प्र० लेखक संघ,को

अभिव्यक्ति-अनुभूति का ताज़ा अंक साहित्य एवं साहित्यिक सूचनाओं से भरा पूरा है पूर्णिमा जी आगे बढ कर अंतर-जाल पर निरंतर नया कुछ करने के गुन्ताडे़ यानी कि कवायद में लगी रहतीं हैं......हम उनके आभारी हैं..... teamabhi@abhivyakti-hindi.org मध्य-प्रदेश लेखक संघ द्वारा विभिन्न सम्मानों के लिए प्रस्ताव आहूत भारतीय उच्‍चायोग, लंदन द्वारा वि‍श्‍व हि‍न्‍दी दि‍वस पर वर्ष २००७ के लि‍ए नि‍म्‍नलि‍खि‍त व्‍यक्‍ति‍यों/संस्‍थाओं को सम्‍मान देने का नि‍र्णय लि‍या गया है: जॉन गि‍लक्रि‍स्‍ट यू. के. हि‍न्‍दी शि‍क्षण सम्‍मान : के लि‍ए पेशे से सि‍वि‍ल इंजीनि‍यर, कई बाल पुस्‍तकों एवं हि‍न्‍दी पाठ्यपुस्‍तकों के रचयि‍ता और महालक्ष्‍मी वि‍द्या भवन, लंदन में हि‍न्‍दी के शि‍क्षक श्री वेद मि‍त्र मोहला को चुना गया है। डॉ. हरि‍वंश राय बच्‍चन यू के हि‍न्‍दी लेखन सम्‍मान : से ब्रि‍टेन के ख्‍याति‍ प्राप्‍त लेखक श्री तेजेन्‍द्र शर्मा को सम्‍मानि‍त करने का नि‍र्णय लि‍या गया। आचार्य महावीर प्रसाद द्वि‍वेदी यू. के. हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता सम्‍मान : ऑडि‍यो/वीडि‍ओ मीडि‍या में ०५ नवम्‍बर, १९८९ से अपने हि‍न्‍दी प्रसारण के माध्‍यम से दक

कविता

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एक लघु कथा सा दृश्य

वो मुझे मेरे किये धरे कार्यों की गलतियाँ गिनाता , सबके सामने खुले आम मुझे ज़लील करता हुआ अपने को मेरा भाग्य विधाता साबित करता है......! सच मुझे ईश्वर ने जीते जी अपने मरने का दु:ख सह सकने की ताकत न दी होती तो मैं उस बेचारे मूर्ख को भी आइना दिखा देता और होता ये कि -"मुझे नौकरी से हाथ धोना पङता , मेरे का बच्चों का स्कूल छूट जाता , मैं कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझ जाता । धीमे-धीमे मेरे करीब आता न्याय .... और ज़लालत से मिलाती निजात । लेकिन तब तक मैं दुनियाँ से बीस बरस पीछे चला जाता और आगे होती चाटूकारों की फौज सो मैं चुप हूँ ......... लेकिन उसको आइना तो दिखाना ही है... जो मुझे आइना दिखाता है ! कितनी वाहियाद जिन्दगी जीते हैं ये लोग जो सिरमौर होते हैं जो कितनी गंदी सोच लेकर पैदा किया होगा इनके माँ-बाप ने , बकौल मित्र प्रशांत कौरव :-"ये लोग शरीरों की रगड़ का रिज़ल्ट हैं।" ये कुछ तनाव के कारण पैदा हुए लोग है ..... जो कभी भी तनाव बोने में पीछे नहीं हैं। इनको तो जमा होना था तानाशाह के इर्द गिर्द ....? देखिए हर कोई अपनी बाजीगरी के चक्कर में दूसरे की दुर्गति करता नज़र आ रहा है । ऊपर