विजेता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
विजेता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

31.3.11

विजयी था विजय है मेरी, करते रहो लाख मनचीते !!


मैं तो मर कर ही जीतूंगा जीतो तुम तो जीते जीते !
**************
कितनी रातें और जगूंगा कितने दिन रातों से होंगे
कितने शब्द चुभेंगें मुझको, मरहम बस बातों के होंगे
बार बार चीरी है छाती, थकन हुई अब सीते सीते !!
**************
अपना रथ सरपट दौड़ाने तुमने मेरा पथ छीना है.
      अपना दामन ज़रा निहारो,कितना गंदला अरु झीना है
  चिकने-चुपड़े षड़यंत्रों में- घिन आती अब जीते-जीते !!
**************
    अंतस में खोजो अरु रोको, अपनी अपनी दुश्चालों को
चिंतन मंजूषाएं खोलो – फ़ैंको लगे हुए तालों को-
      मेरा नीड़ गिराने वालो, कलश हो तुम चिंतन के रीते !!
****************
सरितायें बांधी हैं किसने, किसने सागर को नापा है
लक्ष्य भेदना आता मुझको,शायद तथ्य नहीं भांपा है
    विजयी था विजय है मेरी, करते रहो लाख मनचीते !!
     ****************

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...