गिरीश बिल्लोरे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गिरीश बिल्लोरे लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

3.10.10

अवकाश आवेदन

पूज्य एवम प्रियवर
सादर-अभिवादन
विगत कई माहों से शासकीय कार्य दबाव एवम अत्यधिक कार्य से मुझे ब्लागिंग के साथ न्याय करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.यह कार्य  न तो उचित है और न ही इसे मान्य किया जावेगा. चिंतन उर्जा विहीन ब्लाग लिखने की  चिंता से  लिखी गई पोस्ट का स्तर कैसा होगा आप सब जानते हैं. आपसे एक माह तक दूर रहूंगा यद्यपि अर्चना चावजी मिसफ़िट पर तथा दिव्य-नर्मदा वाले आचार्य संजीव वर्मा सलिल भारत-ब्रिगेड पर आते रहेंगे उनको आपका स्नेह मिलेगा मुझे यक़ीन है. 
आपको मेरी याद आये तो मेल ज़रूर कीजिये
सादर
गिरीश बिल्लोरे मुकुल

7.7.10

बाक़ी रह जाती है ।

दिन में सरोवर के तट पर
सांझ ढ्ले पीपल "
सूर्य की सुनहरी धूप में
या रात के भयावह रूप में
गुन गुनाहट पंछी की
मुस्कराहट पंथी की बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है ।
हर दिन नया दिन है
हर रात नई रात
मेरे मीट इनमे
दिन की धूमिल स्मृति
रात की अविरल गति
बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है
सपने सतरंगी
समर्पण बहुरंगी
जीवन के हर एक क्षण
दर्पण के लघुलम कण
टूट बिखर जाएँ भी
हर कण की "क्षण-स्मृति"
हर क्षण की कण स्मृति
बाकी रह जाती है बाकी रह जाती है


13.3.10

पॉडकास्ट कांफ्रेंस : अदा जी, दीपक मशाल और मैं

महफूज़  मियाँ  का  एकाएक गायब  होना फिर जबलपुर में अवतरित होना अपने आप में एक चमत्कारिक घटना रही है. इन सब बातों को लेकर एक अन्तराष्ट्रीय संवाद हुआ जिसमें ''बेचारे-कुंवारे हिन्दी ब्लागर्स की दशा और दिशा'' पर भी विमर्श किया गया अदा जी जो जो कविता का डब्बा यानी  ''काव्य-मंजूषा'' की मालकिन हैं तथा स्याही और कागज़ के मालिक दीपक मशाल से मेरी बात हुई
क्या खूब पायी थी उसने अदा,
ख्वाब तोड़े कई आंधिओं की तरह.
कतरे गए कई परिंदों के पर,
सबको खेला था वो बाजियों की तरह.
हौसला नाम से रब के देता रहा,
औ फैसला कर गया काजिओं की तरह.
________________________________
अनुराग शर्मा जी के स्वर में सुनिए कहानी
 यहाँ हिंद-युग्म के आवाज़ पर 
________________________________

26.2.10

धोनी ने जिस कुएं का पानी पिया वो अदा जी के घर में ही

स्वप्न मंजूषा 'शैल' 
छवि साभार :  क्वचिदन्यतोअपि..........!
https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=f28b6629c4&view=att&th=1270adc2653ef6e0&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_g63pkyqp0&zw अदा जी के प्रोनाउन [सर्वनाम] 



अदा जी से हुई बात चीत में हुए खुलासे 
  • रांची में अदा जी और धोनी ने जिस कुएं का पानी पीया है वो अदा जी के घर में ही 
  • अदा जी से  विवाह के लिए उनके पिता जी को आवेदन पत्र पेश किया था संतोष जी ने 
  • अदा जी  मिमिक्री आर्टिस्ट एंकर प्रोड्यूसर और पिछले छै महीने से हिन्दी-ब्लॉगर भी हैं 
  • अदा जी कविता,गज़ल,नृत्य,नाट्य,ध्वनि-आधारित कला साधिका हैं 
अदा  जी  को कनाडा सरकार ने सम्मानित किया
    यकींन न  हो तो खुद ही सुनिए 

    23.9.08

    आतंक वाद कबीलियाई सोच का परिणाम है

    इस पोस्ट के लिखने के पूर्व मैंने यह समझने की कोशिश की है कि वास्तव में किसी धर्म में उसे लागू कराने के लिए कोई कठोर तरीके अपनाने की व्यवस्था तो नहीं है........?किंतु यह सत्य नहीं है अत: यह कह देना कि "अमुक-धर्म का आतंकवाद" ग़लत हो सकता है ! अत: आतंकवाद को परिभाषित कर उसका वर्गीकरण करने के पेश्तर हम उन वाक्यों और शब्दों को परख लें जो आतंकवाद के लिए प्रयोग में लाया जाना है.
    इस्लामिक आंतकवाद , को समझने के लिए हाल में पाकिस्तान के इस्लामाबाद विस्फोट ,पर गौर फ़रमाएँ तो स्पष्ट हो जाता है की आतंक वाद न तो इस्लामिक है और न ही इसे इस्लाम से जोड़ना उचित होगा । वास्तव में संकीर्ण कबीलियाई मानसिकता का परिणाम है।


    भारत का सिर ऊँचा करूँगा-कहने वाले आमिरखान,आल्लामा इकबाल,रफी अहमद किदवई,और न जाने कितनों को हम भुलाएं न बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे घटना क्रम को बारीकी से देखें तो स्पष्ट हो जाता है की कबीलियाई समाज व्यवस्था की पदचाप सुनाई दे रही थी जिसका पुरागमन अब हो चुका है, विश्व की के मानचित्र पर आतंक की बुनियाद रखने के लिए किसी धर्म को ग़लत ठहरा देना सरासर ग़लत है । हाँ यहाँ ये कहा जा सकता है की इस्लामिक-व्यवस्था में शिक्षा,को तरजीह ,देने,संतुलित चिंतन को स्थापित कराने में सामाजिक एवं धार्मिक नेतृत्व असफल रहा है जिससे अच्छी एवं रचनात्मकता युक्त सोच का अभाव रहा इस्लामिक-देशों की आबादी के । डैनियल पाइप्स.की वेब साईट http://hi.danielpipes.org/ पर काफी हद तक स्पस्ट आलेख लिखे जा रहे हैं जिसका अनुवाद अमिताभ त्रिपाठी कर रहें हैं । अब भारत को ही लें तो भारत में पिछले दशकों में प्रांतीयता,भाषावाद,क्षेत्र-वाद की सोच को बढावा देने की कोशिश की जा रही है इस पर आज लगाम न लगाई गयी तो तय शुदा बात है भारतीय-परिदृश्य में भी ऐसी घटनाएं आम समाचार होंगी।


    आतंक को रोकने किसी भी स्थिति में किसी साफ्ट सोच का सहारा लेने की कोई ज़रूरत नहीं,आतंक वाद को रोकने बिना किसी दुराग्रह के कठोरता ज़रूरी है चाहे जितनी बार भी सत्ताएं त्यागनी पड़ें , हिंसा को बल पूर्वक ही रोका जाए।


    डेनियल की वेब साईट पर बेहद सूचना परक आलेख देखे जा सकतें है


    मुस्लिम दृष्टि में बराक ओबामा25 अगस्त, 2008, FrontPageMagazine.com
    इस्लामवादी वामपंथी गठबन्धन का खतरा14 जुलाई, 2008, नेशनल रिव्यू
    इस्लामवादी आतंकवाद कहाँ अधिक है यूरोप में या अमेरिका में?3 जुलाई, 2008, जेरुसलम पोस्ट
    शत्रु का एक नाम है19 जून, 2008, जेरुसलम पोस्ट
    ईरान पर आक्रमण को तैयार रहो11 जून, 2008, यू.एस.ए.टुडे
    मध्यपूर्व पर ओबामा बनाम मैक्केन
    इधर हमारे अंतरजाल के साथी भी को इस प्रकार का माहौल बनाएं बार-बार ,बैठक कर ,
    आतंक की , सही परिभाषा ,को आम आदमीं के सामने रखना ही होगा

    Wow.....New

    धर्म और संप्रदाय

    What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...