8.10.20

सुग्गा और नीलकंठ

पता नहीं कब आएगा सुग्गा..?चिंतामग्न बैठा नीलकंठ बाट जोहता । दूर से एक तोतों के झुंड को आता देख खुश हुआ सुग्गा आ जाएगा । पर झुंड आगे वाले आम के पेड़ पर जमा हो गया । कुछ आगे बढ़ने लगे । नीलकंठ घबराया डरा भी तभी उसने तय कर लिया कि सुग्गा को खोजेगा । एक उड़ान भरी । कुछ दूर जाकर देखा सुग्गा एक पतंग की डोर में उलझकर बार बार उड़ना चाह रहा था पर  पंख डोर में फंस कर उड़ नही पा रहा था । 
   नीलकंठ को देखते ही सुग्गे को यकायक मुक्तिबोध सा हुआ। होना ही था सहृदयता के दूत जब भी आते हैं तो मुक्तिबोध होना वाज़िब है । अपनी चोंच से नीलकंठ ने धागे निकाले । 
 फिर दौनों एक डाल पर बैठकर एक दूसरे को देख कर आत्मीयता अभिव्यक्ति में व्यस्त हो गए । 
         फोटो :- रजनीश  सिंह

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