कैसे हो आप सब इस कोरोना काल में ? - सखी सिंह

लेखिका
लेखिका : सखी सिंह 

 भयंकर विपरीत समय चल रहा है जैसे, और ऐसे मे हाल पूछना कितनै सही है ? जबकि इस समय में कुछ राह में भटकते हुये दम तोड़ रहे है और भूंख से बेहाल है, मजबूर है, परेशान है, कुछ लोग अम्फन से भी त्रस्त है और कुछ जिंदगी के द्वारा अचानक सामने रखे गए इस प्रश्न से परेशान हैं कि उम्र के इस मोड़ पर पहुंच अचानक बेरोजगार है हम, अब परिवार का पालन पोषण कैसे हो? बच्चों की फीस कैसे भरे तमाम इतंजाम कैसे करें? जब तनख्वाह देने वाली नौकरी ही चली गयी।
 भारत की बेरोजगारी दर 15 मार्च खत्म हुए हफ्ते में 6.74 प्रतिशत थी, जो मई में बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई. कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को भारी झटका लगा है। 
बड़ी बड़ी कई कंपनियों ने व्हाट्सअप या मेल द्वारा मेसेज कर ढिया की अब उसकी नौकरी हमारे यहां खत्म। जिससे कितने ही लोग आज बेबस और लाचार हो गए हैं। जब हम समझ रहे थे कि हम सुविधा सम्पन्न हैं और विकसित राष्ट्र बन रहे हैं, तभी जैसे अपनी ही नज़र लग गयी हमें और हर तरफ ऑफर तफरी जैसी मच गई।

कुल मिलाकर सबके सामने शुरू से शुरुआत करने जैसी स्थिति आ खड़ी हुई है। अब नए शुरू से क्या और कैसे शुरू हो ये सोचना कितनी जिंदगियों को एक अजब बैचेनी में छोड़ गया हैं। जिंदगी बेज़ार हुई जा रही है और बेकार लोगों की तादात बाद जिसने से सामाजिक परिवेश में और खतरनाक बदलाव के संकेत मिलने आगे हैं। ये साल इतना कुछ भयावह लिए क्यो चल आया है? क्यों सबके इष्ट इतने रुष्ट हैं कि किसी भी तरह की प्रार्थना असर नही कर रही। इस संकटकाल में हर देश और धर्म के लोग अपने अपने घरों में बैठे दर्द से कराह रहे हैं। 

 अब कुछ दिन से  सब कहने लगे है की अब इस कोरोना के साथ ही जिंदगी भर रहना होगा। और सब कुछ रूल्स के साथ फुर खुलने लगा हैं जबकि अब बीमारी ज्यादा फैली हुई है।  ऑफिस खुल गए हैं , दुकानें खुल रही हैं और खुल गए है ज्यादा रास्ते कोरोना के फैलने के। अब बस एक ही रस्ता बचता है जो करना है खुद करो , सेल्फ हेल्प। जबकि हम जानते है सेल्फ हेल्प हम कितनी भी कर ले लेकिन जो कोरोना केरियर है उनके सम्पर्क के यदि हम आप आ गए तो हम भी इस बीमारों के वाहक बन लोगों को संक्रमित कर बैठेंगे। इसलिए आप सभी से प्रार्थना है बिना काम के घर से न निकले और सभी नियमों का पूर्ववत पैलां कर जीवन को पटरी पर लाये। जिससे जिंदगी की रेल फिर सरपट दौड़े अपनी मंजिल की ओर।

#रात #की #बात 

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