5.1.19

नववर्ष चिंतन बनाम चिंता

नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं बीता 2018 कुछ दे गया कुछ ले गया और यह आदान-प्रदान स्वभाविक है यह साल भी आया है कुछ दे जाएगा कुछ ले जाएगा ।
               2018 में अगर हनुमान जी के कास्ट सर्टिफिकेट के जारी करने का मामला प्रकाश में आया है तो कहीं ऐसा ना हो कि सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी विभिन्न मंदिरों में चस्पा 2019 में अगर आप देखे हैं तो कोई बड़ी बात नहीं ।
               सच कहूं अब तो किसी भी विषय पर लिखने में डर लगता है  किस विषय पर कौन क्या सोच है रहा  है । सामान्यतः देश को चलाने के लिए विचारधाराएं ला दी जाती हैं लेकिन देश क्या चाहता है जनता क्या चाहती है जन गण की सोच का मनोवैज्ञानिक यानी साइक्लोजिकल विश्लेषण करना जरूरी है । सियासत को चाहिए कि वे जिस भाषा में आपस में संवाद करते हैं उसका स्तर और बेहतर कर सकने में अगर सफल हुए तो जन गण उन्हें सम्मान के नजरिए से देखेंगे । ऐसा नहीं है कि  सियासी लोग काम नहीं करते उनका अपना काम करने का तरीका है मैं अपने तरीके से सोचते हैं उनका भी लक्ष्य की तिरंगे की आन बान शान बनी रहे लेकिन अचानक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सत्ता की ओर जब कदम बढ़ते हैं तो कुछ ना कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे कि सामाजिक समरूपता में कहीं ना कहीं कोई समस्या पैदा हो जाती है 2018 ऐसी घटनाओं से सराबोर रहा है बहुत कुछ देखने सुनने को मिला है लेकिन कुछ ना कह सका पर लेखककीय दायित्व बोध है मुझे और अपने दायित्वों का निर्वाहन संविधान में प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संदर्भ में करना चाहूंगा ।
जाति धर्म संप्रदाय रंग वर्ण वर्ग से ऊपर हटकर सोचिए अगर किसी एक वर्ग ने  कुछ उल्टा-सीधा सोच लिया  सोच लिया कि देश हम अपने तरीके से चलाएंगे और वे एकजुट हो गए तो यकीन मानिए कि   एकजुट होकर कुछ  उलट-पलट कर देगा ।  इसलिए इसीलिए सभी चिंतक जागृत हो जाए और सत्य का दर्शन खुले तौर पर कराएं विद्वत जन चाहे तो सियासत को सत्यान्वेषण करना सिखा दें कविता चित्र कथा अभिव्यक्ति अभिनय हमारे तरीके हैं हम इन से इन्हें सीख दे सकते हैं । मुझे नहीं लगता कि हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था के सिपहसालार सिपाही समझदार नहीं है  वे समझेंगे और जो भी करेंगे मिलजुल कर तिरंगे की शान को बढ़ाने के लिए ही काम करेंगे ।
 मीडिया का एक अपना खास मुकाम है मीडिया से 2019 में यह मुराद होगी कि वे सभी प्रजातांत्रिक मूल्यों को  सुरक्षित रखने के लिए अपने दायित्व को समझे और सामाजिक समरसता को बनाए रखें जिससे socio-economic डेवलपमेंट के सारे मापदंडों को पूरा करते हुए भारत अपने आप में एक नया कीर्तिमान 2019 में स्थापित कर सके ।
शासकीय शासकीय कर्मचारियों अधिकारियों जिससे इस वर्ष उम्मीद यह होगी कि वे विकास की गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए निष्पक्ष निरपेक्ष भाव से लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों को सर्वोच्च स्थान देने की कोशिश पूर्ववत जारी रखें ।
 फिल्म स्टार इस वर्ष ऐसी कोई कंट्रोवर्सी पैदा ना करें जो राष्ट्रीय एकात्मता को क्षति पहुंचाए ।
विचारधारा कोई भी हो चाहे वह राष्ट्रवादी हो या मेरे शब्दों में आयातित हो अगर मैं भारत में है भारत के भलाई के लिए ही सोचें और ऐसा कोई भी स्टेटमेंट जारी ना करें जो कि इस देश की छवि को नकारात्मक रूप से विश्व के सामने लाके रखें और महान प्रजातांत्रिक व्यवस्था  के माथे पर कलंक का टीका साबित हो ।
यहां विश्वास करना होगा कि मैं जो संकल्प यहां आपसे चाहता हूं वह है राष्ट्रीय एकात्मता का भाव न हिंदू न मुस्लिम न सिक्ख  न ईसाई न बौद्ध अपनी अपनी सहिष्णुता को क्या गए बल्कि इन धर्मों की मूल भावना जो मानव कल्याण को रेखांकित करती है के लिए ईश्वर की सौगंध ने तभी यह देश विश्व में गुरु की श्रेणी में आ सकता है किसी विचारधारा के आह्वान पर अगर वह मानवतावादी है सब का समर्थन मिले ऐसा मेरा स्वप्न है और सोच भी यही है ।
साहित्य को चाहिए कि वह सियासी प्रतिबद्धताओं से पृथक मौलिक सृजन  को सम्मानित करें और सम पोषण करे ना की किसी खास विचारधारा का साहित्यकार को हमेशा सजग होना चाहिए निरपेक्ष होना चाहिए जब मानवता के कल्याण  के मुद्दों को  रेखांकित कर विशेष रुप से विस्तार देने की कोशिश करना चाहिए ।
   हनुमान किस जाति के थे राम कौन थे कृष्ण की क्या जाति रैदास कौन थे रहीम क्या थे उनके डीएनए का परीक्षण करना मेरे हिसाब से सबसे बड़ी मूर्खता थी 2018 की हम चाहते हैं कि 2019 में यह सब बीते दिनों का मुद्दा हो जाए इसे दिमाग से हटा दिया जाए और इस मूर्खता की पुनरावृत्ति अब कभी ना हो वरना यह देश बहुत समझदार है उसके हाथ में कुछ क्षण का पावर होता है इसे सभी सियासी ताकत है बेहतर समझ पाई है और समझना भी जरूरी है ।
इस संदेश में अगर किसी को कोई तकलीफ पहुंची हो क्षमा तो नहीं मांगूंगा क्योंकि राष्ट्रहित में यह संदेश जारी किया है और पूरी शिद्दत के साथ इसे समझने की की उम्मीद करता हूं भारत के एक छोटे से लेखक के रूप में नव वर्ष की शुभकामनाएं एवं बधाई स्वीकार कीजिए ।
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*

कोई टिप्पणी नहीं:

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...