मां तो हमेशा साथ होती है आपकी रगों में आप कैसे हैं

आज स्वर्गीय मां सव्यसाची  प्रमिला देवी  की 15वीं  पुण्यतिथि
पुण्य स्मरण स्वर्गीय मां सव्यसाची प्रमिला देवी के श्री चरणों में शत शत नमन ।
विश्व विराट प्राणियों  का सृजन कर्ता ईश्वर नहीं है ?
 कौन है फिर बताओ कौन है भाई जब तुम ईश्वर के अस्तित्व को नकार रहे हो और उसे सृजन करता नहीं मान रहे हो तो कौन है ?
 यह प्रश्न भी स्वभाविक है उठना भी चाहिए हम जैसे सामान्य ज्ञान रखने वाले लोग अगर यह ऐलान करें कि प्राणियों का सृजन करता ईश्वर नहीं है तो एक बौद्धिक बहस छिड़ जाएगी हो सकता है कि बात निकलेगी और दूर तलक जाएगी ।
बात को बहुत दूर तक ले जाने की मेरी कोई मंशा नहीं है साफ तौर पर कह रहा हूं की मां के बिना सृजन किसी का भी संभव नहीं है मां है तो फिर ईश्वर ने सृजन किया ऐसा कहने में कठिनाई महसूस करता हूं ।
   तो फिर सत्य क्या है बस सत्य ही है सरोज सृजन करता है । आगे कुछ कहूं उसके पहले आपको स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा का छोटा सा हिस्सा बताना चाहता हूं बतौर रेफरेंस यद्यपि यहां पर स्वामी विवेकानंद ने यह नहीं कहा है जो मैं कह रहा हूं की ईश्वर से बड़ा सृजित करने वाला अगर कोई है तो मां है अब आप मेरी बात को किनारे कर दीजिए देखिए स्वामी विवेकानंद क्या कहते हैं-
" जो मनुष्य सकल नारियों में अपनी मां को देखता है सकल मनुष्यों की विषय संपत्ति को धूल के ढेर के समान दिखता है जो समग्र प्राणियों में अपनी आत्मा को देख पाता है वही प्रकृत ज्ञानी होता है !"
      उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने तो ऐसा महसूस भी किया था एकमात्र ईश्वर से साक्षात्कार करने वाली महायोगी रामकृष्ण परमहंस की यह बात मुझे भी बेहद प्रभावित कर देने वाली लगी जब उन्होंने पत्नी शारदा मां कहा था।
     स्वामी विवेकानंद को रामकृष्ण ने सत्य का ज्ञान कराया और उन्हें विवेकानंद ने अपनी आत्मकथा की प्रथम भाग में ही मां के महत्व को रेखांकित किया है ।
 मित्रों मेरी मां भी बरसों पहले चिर यात्रा पर निकल चुकी है लेकिन महसूस तो यह होता है कि वह साथ कभी-कभी साथ होने का एहसास भी कराती है मां...! रगों में उसका रक्त दौड़ता है चिंतन में उसकी बातें मस्तिष्क में दुनिया को समझ पाने के लिए जो रेखाचित्र मान्य बनाए थे वह आज तक मौजूद हैं ।
      मां जन्म से अब तक मौजूद है किसी ना किसी स्वरूप में ईश्वर का एहसास करने की आज मैंने बहुत कोशिश की सोचता रहा कुछ ध्यान मग्न हो जाओ लेकिन हो ना सका कारण ईश्वर का एहसास करना बेहद कठिन है लेकिन मां एक ऐसी सृजक है जिसका एहसास आप आसानी से कर सकते हैं उसके साथ होने पर भी और अगर वह अनंत यात्रा पर कुछ कर गई हो तो भी मां सर्वथा साथ ही होती है ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

क्यों लिखते हैं दीवारों पर - "आस्तिक मुनि की दुहाई है"

विमर्श

सावन के तीज त्यौहारों में छिपे सन्देश भाग 01