30.6.16

उसे रास्ता अब दिखा ही दो ,यारो नशे में वो चूर है ....!

*उसे रास्ते की तलाश है ,ये बात तुम न समझ सके !*
*यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए –ये बात हम न समझ सके !!*
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हर कोई किसी , किताब में
कुछ है लिखा कुछ पढ़ रहा !
जिसने जिसे जैसा सुना-
उसे वैसा ही वो  गढ़ रहा ..!!
हर कोई देखे कान से –
कोई आँख से न परख सके !!
यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए  – ये बात हम न समझ सके !!
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*तकरीर थी याकि आग थी*
*कि जल उठे हैं शहर शहर !*
*नई त्रासदी भोपाल की-*
*अब जल उठेगी डगर डगर !!*
 *उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके !!*
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*उसे रास्ता अब दिखा ही दो*
*यारो नशे में  वो    चूर है ....!*
*भूलो  पुरानी कहावतें–*
*दिल्ली न अब कोई दूर है !!*
उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके !  
                                     *गिरीश “मुकुल”*




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