24.2.16

डिज़िटल विश्व : असंभव सम्भव होगा


2016 Virtual Reality का वर्ष है । हालांकि इसकी पुष्टि  महाभारत काल  में संजय ने कर दी थी । इस पर एक वीडियो 3 साल पहले से मौजूद है । विज्ञान का यह चमत्कार महाभारत काल को झूठा अथवा मिथक समझने वालों की आँखे खोल देगा । सनातन काल यानी अनादि काल  से चली आ रही व्यवस्था के लचीले होने की वज़ह से भारत में एकाधिक अवधारणाऐं   बहुत आज भी अस्तित्व में हैं । जो सख्त है वो टूटता है । पंथ मत अवधारणा परिवर्तनशील हों वर्ना परिवर्तन से अप्रभावित रह कर रूढ़ि एवं अप्रिय लगती हैं । अगर भारतीय सामाजिक राजनैतिक व्यवस्था को दर्शन के ऐनक से देखें तो अपेक्षाकृत अधिक बदलाव हुए हैं । मित्रो हिंदुत्व कोई धर्म नहीं वरन सनातन परन्तु परिवर्तनशील व्यवस्था है । यहाँ जनतंत्र सर्वोच्च है । बार बार स्वीकार्य हुआ । हर्ष के काल में ग्राम स्तरीय वैसी व्यवस्था थी जैसी आज की पंचायती राज व्यवस्था । रामायण काल में आदिवासी कबीलों को स्वायत्ता थी । पर  कुछ ख़ास  वर्ग के लोग ये व्यवस्था नहीं चाहते लोग रामायण और महाभारत काल को नकारते नज़र आते हैं । ताकि प्राचीनतम प्रणालियों का अंत हो । इस हेतु प्रमाण ठीक उसी तरह सक्रियता से मिटाने की कोशिश जारी हैं जैसे  कई संस्कृतियों को नष्ट किया गया और किया जा रहा है  । तात्पर्य ये कि एक तरह की नवसाम्प्रदायिकता को गढ़ा जा रहा है । मेरा मानना है हर मान्यता को उसके प्रतीकों के चिन्हों के साथ नष्ट न किया जावे अन्यथा सभ्यता के स्थूल प्रतीक भी न मिलेंगे न अक्षर-साहित्य होगा । पर ध्यान रहे बाबा के बाद कविता भले ख़त्म मानी जा रही हो अनुगुंजित शब्द व्योम में गूंजते है । जो कभी न कभी Virtual Reality मेथड के ज़रिये वापस ले आए जा सकते हैं ।  राम थे तो उनका दर्शन जो ध्वनि में मौज़ूद था ठीक वैसे ही पुनर्लेखित किया गया जैसे सल्ल ने कुरआन परा ध्वनि से प्राप्त आदेशों संदेशों को लिखा । उसके पहले वेद कहे गए उनको लिखा गया । विद्वान एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व जब भी जो भी बोलते हैं वो प्रभावी ही होता है । ध्वनि में गाम्भीर्य होता है । आप किसी भी विद्वान् को सुनिए उसकी वाणी सहज ज़ेहन में प्रवेश करती है । ऐसी वाणी में अधिक स्थायित्व भी होता है । व्योम में तैरती ये ध्वनियाँ लेखकों विचारकों का ज्ञान स्रोत है । जिनके मष्तिष्क इतने बेहतरीन स्कैनर एवं रिकार्डर होते है जो ऐसी गंभीरता भरी धनात्मक  ध्वनि तंरगों को अपने में समाहित कर लतीं हैं । आप समझिये शास्त्रों में परा, पश्यन्ति, मध्यमा, वैखरी ये चार ध्वनियाँ वर्गीकृत हैं । जिसमें परा को हम लेखक कवि विचारक चिंतक शीघ्र पकड़ ही लेते हैं । ऐसे ही  घटनाएं अगर पुनर्जीवित अथवा पुनः दिखने लगें तो इसे अस्वीकार्य नहीं किया जा सकता । क्योंकि दृश्य तरंगो में बदले जा ही रहे हैं तो मानव मशीनों की सहायता से अगले  30 से 40 बरस में यह सहजता से कर पाएगा । तब मैं तो न रहूँगा पर कुछ मुझे पुनर्जीवित कर सकेंगे । ये एक स्वप्न नहीं पर सत्य है क्योंकि जिस गति से विज्ञान के क्षेत्र में डिज़िटल तकनीकी का दखल बढ़ रहा है उससे तय है क़ि ऐसा संभव हो  
गिरीश बिल्लोरे "मुकुल

17.2.16

यूनिवर्सिटीयों को ब्रेनबम नहीं ईमानदार व्यक्तित्व बनाने दो

"भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी 19, 20, 21 तथा 22 क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है." {साभार विकी}
                              राष्ट्रद्रोही नारों को  जे एन यू काण्ड में कन्हैयानामक युवक जो जे एन यू  का प्रेसीडेंट है गिरफ्तार हुआ तो हायतौबा मच गई . सर्वाधिक सब्सिडी पाने वाले इस यूनिवर्सिटी के छात्र यूनिवर्सिटी  के उद्देश्यों को धता बताते हुए  छात्र यदि अफ़ज़ल गुरु या बट को याद करते हैं इतना ही नहीं इन कुछ छात्रों ने जिनके पीछे बहुत कुछ ताकतें काम करती प्रतीत होतीं हैं देशद्रोह सूचक नारे लगाते हैं ........ बावजूद इसके कि हाफ़िज़ सईद { जिस पर  कोई भरोसा नहीं कर सकता है } ने  किनारा किया हो . हमारा अनुमान है वास्तव में इसके पीछे बरसों से एक ख़ास प्रकार का समूह सक्रीय है . जो केवल मानसिक रोगी बेहिसाबी बहस के रोग से ग्रसित हैं . इनकी संख्या इतनी है कि वे भारी मात्रा में अनिर्बान भट्टाचार, उमर खालिद, कन्हैया जैसे सैकड़ों  ब्रेन-बम तैयार हर शहर तैयार कर सकते हैं. 
इस देश के युवा में निर्माण की अदभुत क्षमता है किन्तु ब्रेनबम बनाने वालों ने उनको इस कदर दिग्भ्रमित किया कि उनकी आवाज़ रटाए हुए शब्द सुनकर बिट्टा जैसे व्यक्ति का ही नहीं देश के बच्चे बच्चे का मन दु:खी हुआ है जिनने 12 -13 दिन पहले अपनी आज़ादी और संविधान के प्रति आस्था व्यक्त की थी. 
दिग्भ्रमित युवा मकबूल बट, अफ़ज़ल गुरु अब कश्मीर पर विशेष संवेदना के प्रतीक बन चुके हैं . वैसे इनके पीछे बेहद खतरनाक बौद्धिक षडयंत्रकारियों की संख्या कुछ अधिक ही होना संभव है .  इस बीच स्थितियां खुल के  क्रमश: खुल कर सामने आ रहीं हैं विगत कई वर्षों से अफ़ज़ल गुरु को महिमा मंडित किया जाने का सिलसिला जे एन यू में जारी रहा है . यूनिवर्सिटी प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन के कानों में भनक पड़ी भी होगी तो भी ऐसे तत्वों के खिलाफ अफ़ज़ल गुरु के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अपमान के लिए केस दर्ज क्यों नहीं हुआ. 
भारत की सुप्रीम अदालत के निर्णय के खिलाफ असंवैधानिक "ज्युडिशियल-मर्डर" जैसे शब्द का प्रयोग एक न्यायालयीन अपमान का मुद्दा भी है . 
खैर अगर हम सोशल मीडिया पर देखें तो सर्वत्र इन हरकतों की घोर निंदा जारी है . जो इस तथ्य की पुष्टि के लिए पर्याप्त है कि देश को राष्ट्र-द्रोही गतिविधियाँ कतई स्वीकार्य नहीं . बन्दूंको के बल पर आज़ादी की मांग करने वाले "ब्रेनबम" राष्ट्रद्रोही हैं ये तो अदालत तय करेगी जिन पर हमारा अटूट भरोसा है पर यूनिवर्सिटीज के वाइस-चांसलर्स एवं एवं चान्सलर्स को ये तय करना ही होगा कि कि- यूनिवर्सिटीयां ब्रेनबम बनाने की फैक्ट्री नहीं वरन ईमानदार व्यक्तित्व बनाने  का मंदिर है . 
भारतीय मीडिया ने इस विषय पर जो सजगता दिखाई उसे देखकर लगा कि चौता स्तम्भ केवल टी आर पी के चक्कर में नहीं वरन सचाई को उजागर करने एवं गलत बातों को रोकने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निबाह रहा है .

      

10.2.16

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी से राष्ट्रीय बालश्री सम्मान प्राप्त बाल-प्रतिभाओं ने की मुलाक़ात


बालश्री विजेता बच्चों के साथ मान. शिवराज सिंह जी , महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह जी, एवं श्री जे एन कन्सौटिया, प्रमुख-सचिव, महिला बाल-विकास      

मध्य प्रदेश के इतिहास में ये पहला अवसर था की राष्ट्रीय स्तर के 9 बालश्री सम्मान प्रदेश के झोली में आए हैं. । महिला सशक्तिकरण संचालनालय अंतर्गत संचालित जवाहर बालभवन एवं अधीनस्त संभागीय बालभवनों के बाल कलाकारों क्रमश:  मास्टर निनाद अधिकारी (संतूर, जवाहर बालभवन, भोपाल ) कुमारी हिबा खान (कला, जवाहर बालभवन, भोपाल,) कुमारी कृति मालवीय ( लेखन जवाहर बालभवन, भोपाल) मास्टर तनय तलैया (साइंस,संभागीय बालभवन उज्जैन) कुमारी प्रियंका पाटकर (लेखन,संभागीय बालभवन ग्वालियर, ) शुभमराज अहिरवार, (कला, संभागीय बालभवन जबलपुर), कुमारी चंद्रिका अग्रवाल (कला- संभागीय बालभवन सागर, ), कुमारी रूचि तिवारी (कला- अभिनव बालभवन भोपाल,), तथा मास्टर ईशान शुक्ला (लेखन- अभिनव बालभवन भोपाल) के क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं . देश के 63 बालश्री सम्मान हेतु चयन प्रक्रिया चयनित किया जिसमें मध्य-प्रदेश इन 09 बच्चों का चयन हुआ. राष्ट्रीय बालभवन, के तत्वावधान में विज्ञान-भवन में गत 3 फरवरी 2016 को मान. मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने हर बच्चे को 15-15 हज़ार रूपए के किसान विकास पत्र, एक ट्राफी, पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया .
श्री विशाल नाडकर्णी विशेष-कर्तव्यस्थ अधिकारी , (महिला बाल मंत्री कार्यालय) श्रीमती तृप्ति त्रिपाठीसंचालक जवाहर बालभवन भोपालश्री एम. एस. पवारसहायक संचालक भोपालसंभागीय बाल भवनों के सहायक संचालक गिरीश बिल्लोरेजबलपुरश्री हीरेन्द्र सिंह ग्वालियरके अलावा श्री आर. सी मिश्रा
विगत 8 फरवरी 2016 को मध्य-प्रदेश के बालश्री से सम्मानित बच्चों महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह से भेंट की. तथा उनकी अगुआई में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी से मिले. बच्चों ने अपने भाव एक कविता के रूप में मुख्यमंत्री जी को भेंट की . बालश्री विजेताओं को बधाई देकर स्नेह व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री महोदय ने इन प्रतिभाओं के लिए विशेष कार्यक्रम बनाने का दायित्व माननीया मंत्री जी को सौंपा .
           
              मानी शुभम राज की बात ... शुभम के पिता श्री जगदीश राज़ मिलेंगे सी एम साहेब

                      जबलपुर के शुभमराज ने भेंट के दौरान बताया कि - उनके सब्जी विक्रेता पिता श्री जगदीशराज अहिरवार की बरसों से आपसे मिलाने इच्छा है . मुख्यमंत्रीजी ने शुभम का पूरा पता फोन नंबर प्राप्त कर वादा किया कि वे शुभम के पिता से अवश्य मिलेंगे .

सिंहस्थ में देंगे सांस्कृतिक प्रस्तुतियां बालभवनों  के बच्चे

                  श्री जे एन कन्सौटिया प्रमुख सचिव महिला बाल विकास, ने बालश्री विजेता बच्चों से मुक्तरूप से बातचीत की तथा सिंहस्थ में प्रदेश के सभी बालभवनों की संयुक्त-सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए तैयारी करने के लिए कहा.

                        आयुक्त महिला-सशक्तिकरण एवं विशेष कर्तव्यस्थ श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव से भेंट कर बच्चों ने उनसे प्रोत्साहन पाया. स्मरण हो कि महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा अपने अंतर्गत संचालित हो रहे बालभवनो में नवाचार करने के लिए निरंतर प्रेरित किया जा रहा है.                                      
                              इस अवसर पर श्री विशाल नाडकर्णी विशेष-कर्तव्यस्थ अधिकारी , (महिला बाल मंत्री कार्यालय) श्रीमती तृप्ति त्रिपाठी, संचालक जवाहर बालभवन भोपाल, श्री एम. एस. पवार, सहायक संचालक भोपाल, संभागीय बाल भवनों के सहायक संचालक गिरीश बिल्लोरे, जबलपुर, श्री हीरेन्द्र सिंह ग्वालियर, के अलावा श्री आर. सी मिश्रा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.


7.2.16

साँसों के मशवरे है इक अमर-गीत गालूँ ?


साँसों का मशवरा है कब टूट जाना होगा..
उसे टूटने से पहले इक  अमर गीत गालूँ..!!
जिसमें न सिर्फ तुम हो, जिसमें न सिर्फ हम हों
न हर्फ़ हों न सुर हों, न ताल-लय हो उसमें -
बस प्रीत राग छलके.. गीत आज छलके 
इक ऐसा गीत लिक्खो कि याद में छिपालूँ
कब टूटती हैं साँसे, कब रुकेंगी आंसें -
कब बंद होतीं आँखें, झपकेंगी कब ये आँखें
इक लोरी तो सुनाओ, सोना है ज़ल्द मुझको ..
कल का सफ़र है लंबा, आराम ज़रा पालूँ...

कुछ लोग बरसते हैं कुछ लोग तरसतें हैं
कमजोर कोई देखा जी भर के गरजते हैं
रब जानता है मुझको रब मेरा भी है लोगो
साँसों के मशवरे है इक अमर-गीत गालूँ ?


4.2.16

बालश्री सम्मान : दिल्ली के विज्ञान भवन में चमका नगर का सितारा शुभमराज अहिरवार



      संभागीय बालभवन जबलपुर में संचालित सतत रचनात्मक एवं सृजनात्मक गतिविधियों के चलते  संस्कारधानी को निरंतर मान-सम्मान एवं यश अर्जित करने के अवसर मिल रहे हैं  बाल भवन के विद्यार्थी मास्टर शुभमराज अहिरवार को राष्ट्रीय  बालश्री सम्मान 2013 के लिए नई-दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमति स्मृति जुबिन ईरानी ने दिनांक 3/2/2016 को अलंकृत किया. समारोह में कला-साहित्य-संगीत- नृत्य की  62 बाल प्रतिभाओं को देश के प्रतिभावान बच्चों को दिए जाने वाले सर्वोच्च  “बालश्री सम्मान” दिया गया है . प्रदेश के जवाहर बालभवन से 5 तथा संभागीय बालभवनों क्रमश: जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर, सागर   से एक एक प्रतिभाशाली बच्चों सहित 09 बच्चे  सम्मानित हुए.  

प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह , प्रमुख सचिव श्री जे एन कन्सौटिया  आयुक्त एवं विशेष कर्ताव्यस्थ अधिकारी  महिला सशक्तिकरण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव , राज्य स्तरीय बालभवन की निदेशक श्रीमती तृप्ति मिश्रा , संयुक्त-संचालक द्वय श्री उमाशंकर नगाइच एवं सुश्री  सीमा शर्मा  संभागीय  उपसंचालक गण श्रीमति मनीषा लूम्बा , एवं श्री आर. सी . त्रिपाठी श्री हरीश खरे, श्री दीपक संकत एवं श्री एम एस पवार, सतशुभ्र मिश्र मनीष शर्मा  सहित विभागीय अधिकारियों ने बालभवनों  प्रशंसा करते हुए सृजनशीलता को सर्वोपरी निरूपित किया .
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमति मायासिंह जी ने उपलब्धियों  की प्रशंसा करते हुए बालश्री विजेता बच्चों एवं बाल-भवनों के निदेशकों को दिनांक 08 फरवरी 2016 को भोपाल आमंत्रित किया है. जबलपुर से मास्टर शुभमराज एवं संचालक संभागीय बालभवन गिरीश बिल्लोरे  भोपाल जावेंगे .
बालभवन जबलपुर की इस उपलब्धि पर संचालक ने अनुदेशक श्रीमती रेणु पांडे एवं बालश्री अवार्डी शुभम को शुभकामना देते कहा- “शहर को आचार्य बिनोवा जी ने जो नाम दिया उसकी गरिमा न केवल शहरवासी वरण शहर के बच्चे भी बरकरार रखने के लिए सक्षम हैं. इन बच्चों की सृजनशीलता का आभास - रंगों की उड़ान , प्रथम सबला सम्मेलन सहित कई अवसरों पर नगरवासियों को हुआ है.” जिसका श्रेय जबलपुर के माननीय जनप्रतिनिधियों  एवं मीडिया को जाता है. अभिभावकों से अनुरोध है कि अपने बच्चों की रचनात्मक-अभिरुचि को बढ़ावा देने संभागीय बालभवन जबलपुर में अवश्य आएं .


   

3.2.16

लाडो की पलकें झुकीं नहीं : प्रथम पुरस्कार मिला


26 जनवरी 2016 को माननीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री 
श्री गोपाल भार्गव के आतिथ्य में 67 वें गणतंत्र-दिवस समारोह का आयोजन हुआ.
             बेटियाँ मातृशक्ति का प्रतीक
हैं  भारतीय संस्कृति का गौरवगान हैं । इसी
भावभूमि पर आधारित प्रदर्शनों के साथ महिला-बाल विकास विभाग के  महिला सशक्तिकरण, एवं बाल विकास सेवा विंग  67वें गणतंत्र-दिवस समारोह में शामिल हुए.
    परेड में शामिल  22 सदस्यीय शौर्या दल  की कमान श्री योगेश नेमा के हाथ थी .
  
       “बेटियाँ : नए क्षितिज की ओर” थीम पर आधारित
महिला बाल विकास की झांकी पांच भागों में विभक्त थी । 
भाग
एक :-
घुड़सवार बेटियाँ झांकी
की अगुवाई करते हुए महिला बाल विकास की इस झांकी में बेटियों द्वारा पिछले दशकों
में प्राप्त सकारात्मक बदलाव एवं उपलब्धियों को चित्रित किया है । 
        प्रदेश सरकार न केवल पालने से पालकी तक
बेटियों के बारे में संकल्पित है वरन बेटियों की क्षमताओं
,
योग्यताओं के संवर्धन में आगे बढ़कर सफल एवं कारगर कोशिश की है । 

भाग
दो :-

“ नए क्षितिज की ओर ...!”
शीर्षक
वाक्य बेटियों को सामर्थ्यवान  बनाने का
सूचक है । देखिये बेटियाँ किस तरह स्वयं के सबला होने के   प्रमाण दे रहीं हैं । अब तक जिन क्षेत्रों में
पुरुष ही कार्य करते थे अब उन क्षेत्रों में महिलाओं के कदम स्थापित हो चुके हैं ।
महिलाएं कुली
,
पेट्रोल पम्प पर काम
,
पिंक वेन ड्रायवर
,
एवं बाक्सिंग, क्रिकेटिंग  जैसे नए
कार्यक्षेत्रों में भी नज़र आ रहीं हैं ।

भाग
तीन :-
झांकी
के दूसरे भाग में आत्मरक्षा के गुर सिखाने बालभवन में विगत 2015 से जारी नि:शुल्क
कराते कक्षा के बालक बालिकाओं नें  ...
“गुंडा-फाईट” का प्रदर्शन कर सर्वाधिक वाहवाही लूटी .  आत्मरक्षा के लिए सक्षम होती बालिकाएँ जिस तरह
गुंडों को परास्त कर धराशाई किया उसे देख सारा स्टेडियम तालियों से गूँज उठा. ।  निस्संदेह यह सजीव चित्रण प्रभावपूर्ण एवं
बालिकाओं को आत्मबल देने वाला रहा है ।


भाग चार :-  “कुछ भी हो
लाड़ो पलकें झुकाना” को चरितार्थ करती बालिका की “अर्ध-प्रतिमा”  अर्थात “बस्ट” अपने आप में व्यापक संदेश दे रही
है साथ ही  विभिन्न क्षेत्रों के लायक खुद
को बनाती  बालिकाएँ सजीव रूप से प्रदर्शित
हैं ।




भाग
पाँच :- झांकी के अंतिम भाग में बेटियों एवं महिलाओं की समग्र सुरक्षा एवं उनके
मुद्दों का विस्तार देने वाले  “शौर्या-दल”
विकास के  पथ पर अग्रसर है 

::::::::::::::::::::::::::: 
विशेष विवरण
          झांकी में शामिल समस्त कलाकारों,
अधीनस्त कर्मचारियों को बालभवन के सौजन्य से उपलब्ध कराए गए मैडेल्स का वितरण श्री
आर . सी. त्रिपाठी एवं निर्माण कार्यकारियों द्वारा किया गया . साथ ही सभी को
मिष्ठान वितरण भी कराया .  

1.    निर्माण एवं प्रस्तुति  :- महिला बाल विकास विभाग , जबलपुर
2.    मार्गदर्शन :- श्रीमती सीमा शर्मा,
संयुक्त संचालक बाल विकास सेवाएं
3.    निर्देशन :- श्रीमती मनीषा लुम्बा
संभागीय उपसंचालक, महिला सशक्तिकरण, श्री आर. सी. त्रिपाठी, जिला कार्यक्रम
अधिकारी , (बालविकास सेवाएं)
4.    निर्माण कार्यकारी :-  श्री गिरीश बिल्लोरे, सहायक-संचालक, संभागीय
बालभवन,जबलपुर,  श्री मनीष शर्मा, सहायक
संचालक, श्री अखिलेश मिश्रा , जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी (सहायक संचालक),  वरिष्ट परियोजना-अधिकारी  श्री संजय अब्राहम एवं परियोजना अधिकारी
श्रीमती रीता हरदहा,
5.    झांकी के प्रारम्भ में :- सफ़ेद घोड़ों
पर सवार बालिकाएं कुमारी साक्षी तिवारी एवं कुमारी अंजना काछी  
6.    क़राते शो :- श्री नरेन्द्र गुप्ता के
निर्देशन में  कुमारी रिया साहू, कुमारी
रिंकी राय , मास्टर व्योम गर्ग , मास्टर गजेन्द्र डेहरिया , मास्टर नीलेश अहिरवार,
मास्टर अंकित,
7.    जीवंत झांकी निर्देशन एवं अभिनय टीम  :- निर्देशन- सुश्री शिप्रा सुल्लेरे,
श्री देवेद्र यादव,  एवं श्री इंद्र
पाण्डेय, कलाकार - सुश्री प्रज्ञा नेमा (नर्तकी) , कुमारी मनीषा तिवारी
(क्रिकेटर,) कुमारी अंशिका-सोनी, (चित्रकार), कुमारी खुशबू राय (मूर्तिकार),
कुमारी साक्षी गुप्ता (कुली), कु. गीता जाटव (नेवी), ऋतू सोनी(बाक्सर), तान्या राज
(पिंक-वैन ड्रायवर), निशा काछी, (पेट्रोल पम्प आपरेटर), तान्या पांडे (फोटोग्राफर),
      
8.     कला निर्देशन एवं मूर्तिकार:- श्रीमती रेणु
पांडे (निर्देशक), श्री सुनील परांजपे (मूर्तिकार),
9.    निर्माण प्रबंधन : श्री दीपक ग्राय एवं
साथीगण 


                       

                           उत्साहित विजेता टीम का समागम 

बालभवन में झांकी से जुड़े प्रत्येक सदस्य ने प्रसन्नता पूर्वक विजय  को उत्सव की तरह मनाया . जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आर सी त्रिपाठी , संचालक बाल-भवन गिरीश बिल्लोरे , श्री मनीष शर्मा श्रीमती संजना चौकसे, श्री संजय अब्राहम ने सभी सहयोगियों को पदक दिए एवं इस अवसर पर मिष्ठान वितरण भी हुआ .........   




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