27.9.15

बालभवन में मेरा रचनात्मक एक साल

बालभवन जबलपुर के संचालक (सहायक-संचालक स्तर ) के पद पर पूरे #365 दिन 26 सितम्बर 15  हो चुके हैं . बालभवन में इस सफल एक साल के मौके पर  आज ज़रा सी पर्सनल बात करने का हक़ तो है न ..  आज से नई पारी पर हूँ  . आशीर्वाद दीजिये  मैंने से मुझे हम बनाने में मुश्किल से एक माह लगा और फिर शुरू हुई हम व हमारी कार्ययात्रा . सबसे पहले हमें  हमारी पहचान को बनाना था सो कोशिश की भुत झटके मिले . विरोधियों का रडार हमारे सिगनल कैच करता उसका अधकचरा विश्लेषण करता और नकारात्मक वैचारिक प्रवाह को उत्प्रेरित करता पर जब भी वार होता हम सम्हाल लेते हम सम्हाल सकते थे तो सम्हाल लिया ... मैं ये वो अकेले न सम्हाल पाते 01  नवम्बर को मानस भवन सभागार में अचानक बच्चों ने वो कमाल कर दिखाया जो किसी ने सपने में भी न सोचा था . फिर शहीद-स्मारक में   14 नवम्बर 14 को हमारी टीम ने जो किया [ जिसे रोकने की भरपूर कोशिशें की  थीं ] . वो अविस्मरनीय रहा . बच्चों की टीम ने बिना धन खर्च किये ऐसे प्रेरक कार्यक्रम को आकार दे दिया जो आज भी मेरे मानस से हटाए न हट सका है . . क्रम जारी रहा प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रानिक मीडिया सबने सच्ची कोशिशें मुक्तकंठ  सराहीं ... कई बच्चों ने मिलकर बनाई एक पेंटिंग का लोकार्पण 14 नवम्बर 14 को हुआ था उसे बच्चों के आग्रह पर श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव आई जी महिला सेल की मदद  श्रीमती सुरेखा परमार के सहयोग से  बच्चों नें मुख्यमंत्री जी को नारीशक्ति की प्रतीक शक्तिरूपा पेंटिंग  भेंट की जो यादगार  पल था . आज भी मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री निवास पर पेंटिंग लगी हुई है .  कहने को बहुत कुछ है पर आत्मप्रशंसा शर्मिन्दा कर देती है . फिर भी कुछ तो कहूंगा 
पूरे एक साल में हमने जो किया वो हमारे ब्लॉग किलकारी पर दर्ज हैhttp://kilakari.blogspot.in/
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इसके अलावा पर भी मिल जाएगा . 


‪#‎टाकशो‬ ‪#‎स्ट्रीटप्ले‬ ‪#‎लाडो_मेरी_लाडो_एलबम‬ और सामाजिक मुद्दों पर अपनी भागीदारी . आभार सभी का ..... ख़ास तौर पर उनका जो चुनौती देते रहे हम मज़बूत होते रहे ... हमने व्यक्तिगत सार्वजनिक अपमान को भी सम्मान से स्वीकारा . हमने सहयोग की सुबह की ओर हमेशा निहारा . हमारे साथ जुडीं मित्रों की शुभकामनाएं ... कुछ दूर चले ही थे की उतावले सहयोगी हाथों ने हमें आगे आने के लिए चीयर अप किया .. चुनौतियां पराजित हुईं ...... शून्य से बिंदु बिन्दु प्रकाश हमारा पथ प्रदर्शक हुआ .. जो जुड़ा सो जुड़ा ...... जो जुदा हुआ वो जुड़ सकता है हम पूर्वाग्रही कतई नहीं ....... आइये नव-सर्जन करें ...... कला जो जीवन का सौन्दर्य है उसे निखारें कल की दुनिया को संवारें ........

                सामाजिक मुद्दों पर अपनी भागीदारी . आभार सभी का ..... ख़ास तौर पर उनका जो चुनौती देते रहे हम मज़बूत होते रहे ... हमने व्यक्तिगत सार्वजनिक अपमान को भी सम्मान से स्वीकारा . हमने सहयोग की सुबह की ओर हमेशा निहारा . हमारे साथ जुडीं मित्रों की शुभकामनाएं ... कुछ दूर चले ही थे की उतावले सहयोगी हाथों ने हमें आगे आने के लिए चीयर अप किया .. चुनौतियां पराजित हुईं ...... शून्य से बिंदु बिन्दु प्रकाश हमारा पथ प्रदर्शक हुआ .. जो जुड़ा सो जुड़ा ...... जो जुदा हुआ वो जुड़ सकता है हम पूर्वाग्रही कतई नहीं ....... आइये नव-सर्जन करें ...... कला जो जीवन का सौन्दर्य है उसे निखारें कल की दुनिया को संवारें ........

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