30.7.13

कौन टाइप के हो समीर भाई

                                   
जनम दिन मुबारक हो समीर भाई 
 
 कौन टाइप के हो समीर भाई , हमाए जनम के ठीक चार महीने पहले यानी 29 जुलाई 1963 को दुनियां मेँ तुम  आए. को जाने कब बडे भये हमें न ई पता इत्तो जानत हैं की   हमाइ तुमाइ पहचान  कालेज के दौर में भइ थी. तब तुम  सदर से जबलपुर की नपाई शुरू  कर दिन भर में कित्ता जबलपुर नाप जोख लेत हते ..  हम तो भैया बस अंजाद (अंदाज़) लगाते रह जाते की अधारताल से आबे  वारे  दोस्त बताते -''यार, लाल से तो अब्भई अधारताल मे मिले बो रांझी जाएंगे . तब भैया आपके पास लेम्ब्रेटा रही है न । हमें का मालूम हतो कै हमाई तुमाई मुलाक़ात बीस साल बाद ब्लॉगर के रूप में भई है वरना तुमाई लम्ब्रेटा की फोटू नंबर के साथ हेंचवा लेते नितिन पोपट भैया से .तुम कौन टाइप हो तुमई  हेंचवा लेते । 
        एक बात और हमाओ तुमाओ जबलपुर अब बदल गयो भैज्जा सिटी काफी हाउस में सदर में गंजीपुरा वारे काफी हाउस में अब कोऊ ऐसी चर्चा                 
सुनो तुमाए सदर वालो कॉफ़ी-हाउस भौतई बदल गओ है  नई  होय आज कल के एक बीता कमर बारे मौड़ा-मोड़ी आत हैं काफी पीयत हैं फुर्र से बाइक लैखें मौड़ा जा बाजू मौड़ी बा बाजू निकल जात है. बाप कमाई पे ऐश करत हैं खुद कमाएँ तो जाने तब हम ओरे चन्दा कर खें काफी पियत हते आप कमाई भी कर लेट हते पर अब देखो बाप कमा कमा के जेबकट बनो जात रहो है मौड़ा - मौड़ी। …….  अब जाने दो भैया मरहई खों। …  आप जानतइ हो एक बात नई जा है की अब मानस भवन बिल्लकुल बदल गओ है । पर इतै वारे बिलकुल नईं बदले मालवी-चौक से हल्के रगड़ा किमाम १२० वारे पान लगवाए एक उतइ मसक लओ बाक़ी जेब में रक्खे । रफ़ी स्मॄति वारो प्रोग्राम देखत सुनत गए .. पान  खात खात पिच्च पिच्च ठठरी बंधों ने मानस-भवन आडीटोरियम की दीवारन की तो ....... दई... बस दो प्रोग्राम हो पाए हैं होली तक देखने पीक से इत्तो माडर्न आर्ट बना हैं ………  के कि खुद महान चित्रकारन की आत्माएं  इतै कार्यशाला करत नज़र आहैं... बड्डॆ सच्ची बात है.. पिकासो आहैं सदारत के लाने  । 
अंग्रेज़ गये अग्रेज़ी छोड़ गए
इन भुट्टॆ वालों के पास 
  हमने सुनी  है कि -  तुम जा साल सुई नईं आ रए.. नै आओ जबलपुर में रखो का है.. हम भी इतै हफ़्ता-खांड में आत हैं . तुम्हैं मालूम हो गओ हूहै कै कानपुर वारे फ़ुरसतिया भैया इतई हैं   . राजेश डूबे जी खूब कार्टून पेले पड़े हैं  फेस बुक पे ।    
       किसलय जी हरियाए से हैं  महेन भैया मज़े में कहाए । बबाल की न पूछियो - तुम तो जानत हो बडॊ़ अलाल अपनो बबाल ।  संजू नै तो कसम खा लई है कि बे अपने बिल से तब निकल हैं जब समीर दादा आंहैं । अरे एक बात बताने हती- गढा़ ओव्हर ब्रिज़ पे दुकान बज़ार खुल गओ है. आज़कल भुट्टा बिक रये हैं. हमें दस रुपैया को एक मिलो नगर निगम वारों को मुफ़त में मिलत है ऐंसी हमने सुनी है.. सच्ची का है भूट्टा बारो जाने कि खुद भुट्टा जाने नगर निगम के करमचारी से हम काय पूछैं.. ? 

पहाड के जा तरफ़ सबरे जैसे हथे औंसई हैं बदल तो तुम गये दो साल हो गये न आए न राम-जुहार भई … कौन टाईप के अदमी हो समीर भाई ? 
         जौन  टाईप के अदमी हो रहे आओ आने  तो हों आ जाने आज तो जनम दिन की बधाई लै लो दद्दा । .  

28.7.13

महिलाओं एवम बच्चों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम के लिये समन्वित कोशिशें आवश्यक जस्टिस के. के. लाहौटी

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री के.के. लाहोटी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराध की रोकथाम का दायित्व पूरे समाज का है ।
समाज में नागरिक, शासन तंत्र और न्यायपालिका सभी शामिल है ।
  पहला दायित्व है अपराध करने की मनोभावना पर पूर्ण अंकुश लगे और यदि अपराध होता है तो अपराधी को शीघ्र कठोर दण्ड मिले ।  पीड़ित को त्वरित राहत पहुंचायी जाय ।

       मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री लाहोटी शनिवार को जबलपुर के तरंग प्रेक्षागृह में मध्य प्रदेश राज्यविधिक सेवा प्राधिकरण और मध्य प्रदेश पुलिस (महिला अपराध)जबलपुर जोन के संयुक्त तत्वावधान में महिला एवं बच्चों के अधिकारों की संरक्षा और उनके प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम में न्यायपालिका,पुलिस और प्रशासन के दायित्व विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि कीआसंदी से संबोधित कर रहे थे ।  कार्यशाला की अध्यक्षता पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे ने की ।
मचासीन अतिथि 

       संभागायुक्त जबलपुर संभाग दीपक खाण्डेकर, प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू, कार्यशाला में 15 जिलों के कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस, प्रशासन, राजस्व, महिला एवं बालविकास, जिला न्यायालयों के न्यायाधीशगण और संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि महिला और बच्चों के प्रति संवेदनशील व्यवहार, सम्मानभाव और उन्हें सुरक्षित माहौल का उच्च नैतिक गुण तथा परम्परा भारतीय समाज में रही है ।  लेकिनकिन्हीं कारणों से धीरे-धीरे इसमें कमी आयी है ।  समाज को इस ओर ध्यान देना होगा ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों के मद्देनजरसर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश जारी किये हैं ।  जिनका मध्य प्रदेश में पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।  नियमों, कानूनों में सुधार किया गया है ।  उन्हें और सख्त भी बनाया गया है । न्यायालय नेमहिला-बच्चों के प्रति अपराध प्रकरणों का निराकरण करने में शीघ्रता लायी है ।
द्वितीय सत्र 

       मुख्य न्यायाधीश ने मध्य प्रदेश की पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस ने ऐसे प्रकरणों परअपेक्षित अनुसंधान आदि कार्रवाई को समय-सीमा में पूरा कर न्यायालय को त्वरित न्याय प्रदान करने मेंसहयोग प्रदान किया है । जिससे न्यायालय महिलाओं के प्रति अपराधिक प्रकरणों का निराकरण दो माह सेकम समय में करने में सक्षम हुए हैं ।  मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने बताया  मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा भी इस दिशा में विशेषप्रयास किये जा रहे है ।  सर्वोच्च न्यायालय के बचपन बचाओ तथा महिला संरक्षण के निर्देशों तहत कार्यकिया जा रहा है ।  राज्य व्यापी वृहद लोक अदालत में बड़ी संख्या में प्रकरणों का निराकरण सुनिश्चितकराया गया ।  जो कि प्रदेश के लिये एक मिशाल रहा ।  श्री लोहाटी ने कहा ऐसे प्रयास निरन्तर जारी रहनेचाहिये ।  तभी पुलिस, न्यायपालिका और शासन तंत्र पर महिलाओं और बच्चों का विश्वास सुरक्षा औरआदर भाव सुदृढ़ होगा ।  बच्चों और महिलाओं को पुलिस थाने आने और अपनी परेशानी बताने में भयनहीं लगेगा ।

       मुख्य न्यायाधीश श्री लाहोटी ने कहा कि अमेरिका में बच्चों को भरपूर आदर-सम्मान प्राप्त होता है ।बच्चों के मामले देखने वाले पुलिस अधिकारी का व्यवहार बच्चों के प्रति बहुत अच्छा तथा संवेदनाओं से भरा रहता है । अमेरिका में यदि 911 नंबर डायल हुआ है तो तुरन्त पुलिस बिना देर किये जहां से फोन किया गया है उस स्थान पर पहुंचती है तथा पूंछताछ करती है कि कहीं किसी बच्चे को कोई परेशानी तो नहींहै ।  उन्होंने कहा कि महिला एवं बच्चों के अपनी सुरक्षा के प्रति ऐसा ही दृढ़ विश्वास पैदा करना हमारादायित्व है ।

       इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा महिलाओं और बच्चों केअधिकारों की संरक्षा व उनके प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम में न्यायपालिका पुलिस एवं प्रशासन कादायित्व महत्वपूर्ण विषय है । यह समाज के भीतर के अपने लोगों से संबंधित है ।  उन्होंने कहा आवश्यकहै समाज समझे उन्हें क्या सुधार करना है ।  श्री दुबे ने कहा इस विषय पर समाज की संवेदनशीलताआवश्यक है ।  उन्होंने कहा हमें अपने सोच के तरीकों में बदलाव आवश्यक है ।  पुलिस महानिदेशक नेकहा बहू-ससुराल पहुंच जाये तो उसे विदेशी न समझा जाये ।  उसे अपनी बेटी की तरह व्यवहार कियाजाये, न कि अत्याचार । श्री दुबे ने बच्चों से भीख मंगवाना और महिलाओं से वैश्यावृत्ति कराने विषय परअपनी बात रखते हुए कहा यह गलत और अनैतिक है ।  हमारे शास्त्रों में नारी को पूज्यनीय माना गया है । उन्होंने सामाजिक बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया ।  दतिया और उमरिया जिले में विदेशी महिलाओं के साथ घटित घटना की चर्चा करते हुए कहा कम समय में पीड़ित को न्याय मिलने को अच्छी शुरुआत निरूपित किया.

       इसी अवसर पर प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू ने कहा महिला एवं बच्चों केअधिकारों के कानून एक महत्वपूर्ण विषय है, इसे समझने व जानने की आवश्यकता है ।  उन्होंने कहा आज यह कार्यशाला आयोजित की गई है, इसे प्रदेश के अन्य संभागों और जिलों में की जायेगी । श्री नायडू ने कहा इसमें स्वयंसेवी संगठनों को जोड़ना होगा ।  उन्होंने कहा जनजागरूकता कार्यक्रमों के लिए राशि की कमी नहीं है ।श्री नायडू ने यह भी कहा कि- सरकार निचले स्तर तक ऐसे संसाधन पहुंचाने के लिये वचनबद्ध है ताकि कानूनों का अधिकतम लाभ पीढितों  को प्राप्त हो सके. 
              महिला एवम बाल विकास विभाग के मैदानी अमले तक कानूनो की जानकारी देने विभाग कृत संकल्पित है. ऐसी कार्यशालाओ का आयोजन जिला एवम खण्ड स्तर तक किया जावेगा। 
      द्वितीय सत्र में भी प्रमुख सचिव महिला बाल विकास बी.आर. नायडू की सक्रीय भागीदारी उल्लेखनीय रही. 

       सदस्य सचिव मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अनुराग श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहामहिला एवं बच्चों के अधिकारों के संरक्षण पर आधारित यह कार्यशाला आयोजित की गई है, उक्त कार्यशालामध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एवं कार्यपालक अध्यक्ष मध्य प्रदेश राज्यविधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के मार्गदर्शन पर आयोजित है ।  आपकी प्रेरणा से इसी तरह के कार्यक्रमकिये जायेंगे ।
              मृत्युदण्ड के आठ प्रकरणों में चार प्रकरणों में अपील उच्च न्यायालय द्वारा निराकृत की जा चुकी है ।  शेष शीघ्र निराकरण कीस्थिति में है ।  यह महिलाओं और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता में हुयी वृद्धि तथा जागरूकता का प्रतीक है कानूनो में नये परिवर्तन आये है, कार्यशाला मे इन्ही बदलाव के साथ न्यायपालिका,पुलिस और प्रशासन के दायित्व  पर चर्चा करना कार्यशाला का महत्वपूर्ण बिंदू है.

       कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक (महिला अपराध) जबलपुर जोन प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस मौकेपर कहा प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए अपने तरह का यहपहला विशेष प्रयास है ।  उन्होंने कहा इस कार्यशाला में 15 जिलों के अधिकारियों को समग्र प्रशिक्षण दियाजायेगा । सुश्री श्रीवास्तव ने कहा इस कार्यशाला में महत्वपूर्ण बात यह है कि जागरूकता और प्रशिक्षणकार्यक्रम में न्यायपालिका का विशेष एवं महत्वपूर्ण सहयोग मिला ।

कार्यशाला में कलेक्टर्स, पुलिस अधीक्षकों के साथ चयनित अनुविभागीय दण्डाधिकारी,तहसीलदार, नायब तहसीलदार, प्रशासनिक अधिकारी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिला चिकित्साअधिकारी एवं ब्लाक मेडिकल आफीसर, महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत जिला महिला एवं बालविकास अधिकारी और एक ब्लाक स्तरीय अधिकारी महिला सशक्तिकरण अधिकारी, पुलिस विभाग केअधिकारीगण शामिल हए ।

       कार्यशाला में जबलपुर, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, रीवा, सतना,सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों के अधिकारी शामिल हुए । कार्यशाला का आयोजनमहिलाओं और बच्चों को समाज में बेहतर सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की दिशा में अनूठे प्रयास कीशुरूआत है। कोशिश हैं उन्हें अच्छे माहौल के साथ सुरक्षा और त्वरित न्याय मिले।

       कार्यशाला में बताया गया कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, घरेलू हिंसा सेसंरक्षण, महिला अपराधों के रोकथाम को प्रभावी बनायें कानून में बदलाव लाकर उन्हें अधिक प्रभावीबनाया गया है। विवेचना में गुणात्मक सुधार आयेगा। म.प्र. शासन के निर्देशानुसार अधिक गुणवत्तायुक्त त्वरित प्रयास होंगे।  कार्यशाला में पूरे दिवस महिला एवं बच्चों से संबंधित अपराध होने पर सी.आर.पी.सी. और आई.पी.सी. में हुए परिवर्तन की जानकारी दी गई ।
---------------- झलकियां-------------
  • कार्यशाला में लिये निर्णय अनुसार  न्यायविदों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में घरेलू हिंसा-प्रतिरक्षण अधिनियम  एवम प्रक्रिया विषय को शामिल किया जाएगा
  • पुलिस विभाग एवम महिला बाल विकास विभाग भी सतत प्रशिक्षण के पक्षधर नज़र आए. 
  • पुलिस महिला बाल विकास एवम सेवा प्रदाताओं की मध्य  समन्वय की की कमीं को स्वीकारते हुए समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया गया. 
  • जस्टिस लाहौटी ने मीडिय़ा को सकारात्मक प्रयासों को उभारने की सलाह दी. 

                   (समाचार सहयोग :- उपसंचालक सूचना एवं प्रकाशन विभाग मध्य-प्रदेश भोपाल ) 

23.7.13

आप बोलोगें "मुकुल जी, आपका तो जलजला है..!!"

डा. अवध तिवारी

फ़न उठा  कर  मुझको  ही डसने चला है,
सपोला वो ही मेरी, आस्तीनों में पला है.!
वक़्त मिलता तो समझते आपसे तहज़ीब हम -
हरेक पल में व्यस्तता और तनावों का सिलसिला है.
जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता-
वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.


हमारी कमतरी का एहसास हमको ही न था -
हम गए गुज़रे दोयम हैं ये सबको पता है. 
जीभ देखो इतनी लम्बी, कतरनी सी खचाखच्च -
आप अपनी सोचिये, इन बयानों में क्या रखा है .?
ये अभी तो ”मुकुल” ही है- पूरा खिलने दीजिये-
आप बोलोगें "मुकुल जी, आपका तो जलजला है..!!"
                   















19.7.13

ज्ञानरंजन जी के घर से लौट कर

              
 ज्ञानरंजन जी  के घर से लौट कर बेहद खुश हूं. पर कुछ दर्द अवश्य अपने सीने में बटोर के लाया हूं. नींद की गोली खा चुका पर नींद आयेगी मैं जानता हूं. खुद को जान चुका हूं.कि उस दर्द को लिखे बिना निगोड़ी नींद आएगी.  एक कहानी उचक उचक के मुझसे बार बार कह रही है :- सोने से पहले जगा दो सबको. कोई गहरी नींद सोये सबका गहरी नींद लेना ज़रूरी नहीं. सोयें भी तो जागे-जागे. मुझे मालूम है कि कई ऐसे भी हैं जो जागे तो होंगें पर सोये-सोये. जाने क्यों ऐसा होता है
          ज्ञानरंजन  जी ने मार्क्स को कोट किया था चर्चा में विचारधाराएं अलग अलग हों फ़िर भी साथ हो तो कोई बात बने. इस  तथ्य से अभिग्य मैं एक कविता लिख तो चुका था इसी बात को लेकर ये अलग बात है कि वो देखने में प्रेम कविता नज़र आती है :- 
प्रेम की पहली उड़ान  
तुम तक मुझे बिना पैरों 
के ले  आई..!
तुमने भी था स्वीकारा मेरा न्योता
वही  मदालस एहसास
होता है साथ    
तुम जो कभी कह  सकी 
हम जो कभी सुन  सके !
उसी प्रेमिल संवाद की तलाश में 
प्रेम जो देह से ऊपर
प्रेम जो ह्रदय की धरोहर  
उसे संजोना मेरी तुम्हारी जवाबदेही  
नहीं हैं हम पल भर के अभिसारी 
उन दो तटों सी जी साथ साथ रहतें हैं 
बीच  उनके जाने कितने धारे बहते हैं 
अनंत तक साथ साथ 
होता है  मिलने का विश्वास 
तुम जो निश्छल कल कल सरिता सी 
आज भी मेरे  
गिर्द 
भगौना भर कामना लेकर आतीं हो 
मुस्कुराती और फिर अचानक 
खुद को खुद की परिमिति में 
बाँध 
बाँध देती हो मुझे 
मेरी परिधि में 
जहां से शुरू होती है 
शाश्वत प्रीत यात्रा ....
सच  तुम निर्दयी नहीं हो .
   एक  विवरण जो ज्ञानरंजन जी ने सुनाया उसी को भुला नही पा रहा हूं वो कहानी बार बार कह रही है सबको बताओगे मुझे सबों तक ले चलो तो कहानी की ज़िद्द पर प्रस्तुत है वही ज़िद्दी कहानी
          “ एक राजा था, एक रानी थी, एक राज्य तो होगा ही .रानी अक्ल से साधारण, किन्तु  शक्ल से असाधारण रूप से सामान्य थी. वो रानी इस लिये थी कि एक बार आखेट के दौरान राजा बीमार हो गया. बीमार क्या साथियों ने ज़हर दे दिया मरा जान के छोड़ भी दिया. सोचा मर तो गया है भी मरा होगा तो   कोई जंगली जानवर का आज़ का भोजन बन जाएगा. बूढ़ी मां के लिये बूटियां तलाशती एक वनबाला ने उस निष्प्राण सी देह को देखा. वनबाला ने छुआ जान गई कि कि अभी इस में जीवन शेष है. सोचा मां की सेवा के साथ इसे भी बचा लूं पता नहीं कौन है . जी जाए तो ठीक जिये तो मेरे खाते में एक पुण्य जुड़ जाएगा . बूटी खोजी और बस उसे पिलाने की कोशिश  . शरीर के भीतर कैसे जाती बूटी बहुत जुगत भिड़ाती रही फ़िर  के ज़रिये बूटी का सत डाल दिया उसकी नाक में. इंतज़ार करती रही कब जागे और कब वो मां के पास वापस जाए . आधी घड़ी बीती थी कि राज़ा को होश ही गया. राजा ने बताया कि उसने शिकार की तलाश में भूख लगने पर आहार लिया था ,
वनबाला समझ गई की राजा खुद शिकार हुआ है . उसने कहा – ”राजन, आप अब यहीं रहें मैं आपके महल में जाकर पुष्टि कर लूं कि षड़यंत्र में जीते लोग क्या कर रहे हैं. आप मेरा ऋण चुकाएं. मेरी बीमार मां की सेवा करें. गांव से कंद मूल फ़ल लेकर राजधानी में बेचने निकली. वहां देखा राजभवन बनावटी शोक में  डूबा था. राजपुरोहित ने प्रधान मंत्री से सलाह कर राजा के मंद-बुद्धि भाई को राजा बना दिया था. सच्चे नागरिक उन सत्ताधारियों के प्रति मान इस कारण रख रहे थे क्योंकि उनने प्रत्यक्ष तया सत्ता तो छीनी थी. राजा के असामयिक नि:धन से जनता दु:खी थी. वनबाला ने राजपुरोहित और प्रधान-मंत्री के व्यक्तित्व का परीक्षण किया. ज़ल्द ही जान गई.. वे महत्वाकांक्षी विद्वान हैं. साथ हिंसक भी हैं.राजपुरोहित की पड़ताल में उस कन्या ने पाया कि राज़ पुरोहित तो राजा का वफ़ादार था अपनी पत्नि-पुत्री का ही . उसकी घरेलू नौकरानी बन के देखा था उसने पुरोहित पुत्री के सामने पत्नी पर कोड़े बरसाते हुए. पुत्री भी कम दु:खी थी. पिता की जूतियों से गंदगी साफ़ करती थी. पिता के वस्त्र भी धोती यानी हर जुल्म सहती. वन बाला समझ चुकी थी  जिस देश का विद्वान ही ऐसी हरकतें करे ,वहां जहां नारी का सम्मान हो वो देश देश नहीं नर्क हो जावेगा. बस अचानक एक रात बिना कुछ कहे पुरोहित की नौकरी से भाग के वन गई वापस. राज़ा को हालात बताए. और फ़िर राजा को साथ में शहर फ़िर ले आई अपने  प्रिय राजा को देख जनता में अदभुत जोश उमड़ गया. ससम्मान फ़िर राजा ने गद्दी पर बैठाया महल की कमान सम्हाली वनबाला ने फ़िर वो रानी बनी. ये थी वो कहानी जो कभी मां ने सुनाई ही- एक राजा था, एक रानी थी,यहीं से शुरु होती थी मां की कहानियां. मुझे नहीं मालूम था क्यों सुनाई थी सव्यसाची ने ये कहानी पर आज़ पता चला कि क्यों सुनाई थी.ये एक लम्बा सिलसिला है रुकेगा बहीं सब जानते हैं
                  इस कहानी का प्रभाव मेरे मानस पर गहरा है . पर जिसे नानी-दादी-मां कहानी नहीं सुना पातीं उसके हालत पर गौर करें एक कहानी ये भी है:-

                 एक बात जो मुझे बरसों से चुभ रही है जो शक्तिवान है उसे भगवान मान लेतें हैं शक्ति बहुधा मूर्खों के हाथों में पाई जाती है. जिनकी आंखों में तो विज़न नहीं ही होती है होता मानस में रचनात्मकता. एक दिन एक मूर्ख ने भरी सभा में कंधे उचका-उचका केपाप-पुण्यकी परिभाषा खोज़ रहा था.कुछ मूर्ख भय वश उत्तर भी खोजने लगे कुछ ने दिये भी उत्तर शक्ति शाली था सो नकार दिया उसने . उसे आज़ भी उसी उत्तर की तलाश है इसी खोज-तपास में वह जो भी कर रहा होता है एक सैडिस्ट की तरह करता है. यदी कहीं कोई भगवान है तो ऐसों को समझ दे बेचारा पाप-पुण्य के भेद क्यों खोजे………शायद मां से उसे ऐसी कहानियां सुनी होंगीं जो उसे जीवन के भेद बताती. इसका दूसरा पहलू ये है कि उसे मालूम है जीना भी एक कला है वो एक कलाकार. वो कलाकार जो हंस की सभा में हंस बनके शब्दों का जाल बुनता है कंधे उचकाता है और ऐसे काम करता करता है मनोवैग्यानिक-नज़रिये से केवल एक सैडिस्ट ही कर सकता है. इस किरदार को फ़िर कभी शब्दों में उतारूंगा आज़ के लिये बस इतना ही   
यश भारत 

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...