मुझे ज़हर और ज़ख्म की भी ज़रूरत है ला देना .


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मादक सुकन्या के दीवाने बहुतेरे थे उनमें से एक था मेरा अनाम दोस्त नाम तो था उसका पर किसी को अकारण तनाव नहीं देना चाहता . सुकन्या पर डोरे डालने वाला किसी कम्पनी का ओहदेदार मुलाज़िम है . आज़ अचानक उससे मुलाक़ात हुई.. काफ़ी घर में बैठा उदास कुछ सोच रहा था. दोस्त है सोचा उदासी दूर कर दूं इसकी. बातों का दौर चला भाई मेरी बातों में आ गये और जो कुछ कहा पेश-ए-नज़र है......................  
                                         मित्र ने बताया कि उसे एक लड़की से इश्क़ हो गया था. इश्क़ इक तरफ़ा था पर इश्क तो था. एक रविवार सुबह सवेरे उसकी मुलाक़ात उस सुकन्या से हुई .. मित्र की बात ज़रा धीमी गति से चल रही थी सो मैने कहा- भई, ज़रा ज़ल्दी पर तफ़सील से बयां करो दास्ताने-बेवफ़ाई.. उसने जो बताया  कुछ यू था........
अनाम मैंने पूछा - मुझे ,कुछ देर का साथ मिलेगा सुकन्या..
सुकन्या -  क्यों नहीं ! ज़रूर मिलेगा , सुकन्या के  उत्तर में मादक खनक ...ने दीवाना बना दिया था. .. अनाम को बातें बहुत हुईं देर तक चलीं
बातों ही बातों में अनाम : तुम मुझे कुछ देने का वादा कर सकोगी ?
वादा क्या दे दूंगीं जो कहोगे
दिल,
हां ज़रूर
मोहब्बत
ऑफ़ कोर्स

वफ़ा
क्यों नहीं ?
अनाम  ने पूछा- और कभी जब मुझे वक्त की ज़रूरत हो तो..?
ज़नाब ये सब कुछ अभी के अभी या फ़िर कभी ?
सोच के बताता हूँ कुछ दिन बाद कह दूंगा ।
            अनाम को यक़ीं हो गया था कि ईश्क़ दो-तरफ़ा है सो उसने घर में माँ के ज़रिये पापा तक ख़बर की मुझे "सुकन्या'' से प्यार हो गया है । अब चाहता हूँ कि मैं शादी भी उसी से करुँ !
                  घर से इजाज़त मिलते ही अनाम फोन डायल किया....98........... सुकन्या के सेल पर रूमानी गीत न होकर "एक मीरा का भजन हे री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा....''  सुन कर लगा आग उधर भी तेज़ है इश्क की जैसी इधर धधक बातों ही बातों में  अनाम सुकन्या से  वो सब दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त की मांग चुका था  । उसने कहा शाम को तुम्हारे घर आ ही रहीं हूँ । 
                                शाम को पापा,माँ,दीदी अपनी होने वाली बहू का इंतज़ार कर रहे थे । अनाम के मन में भी चाकलेट के रूमानी विज्ञापन वाले प्यार का जायका ज़ोर मार रहा था। एक खूबसूरत नाज़नीन का घर में आना उसके लिये मादक एहसास था . अनाम ने सोचा - दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त साथ लाएगी यही  सोच सोच के अनाम का दिल उछाल पर था.
             सुकन्या आई   सभी सुकन्या से बारी बारी बात कर रहे थे अन्त में मुझे अनाम को मौका मिला . अनाम पूछा "वो सब जो मैने कहा था "
"हां लाई हूं न"
सुनहरी पर्स खोल कर उसने मेरे हाथों रख दीं - दिल,मोहब्बत,वफ़ा और वक्त की सीडीयां और पूछने लगी : पुरानी फ़िल्मों के शौकीन लगतें हैं आप . ?
"हां"
अब मुझे ज़हर और ज़ख्म की भी ज़रूरत है  ला देना .
          ज़रूर ला दूंगी.... पर एक हफ़्ते बाद कल मेरी एन्गेज़्मेंट है. एन्गेज़्मेंट के बाद हम दौनो हफ़्ते भर साथ रहेंगे एक दूसरे को समझ तो लें .


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