29.12.11

तुम मेरे साथ एक दो क़दम ........


तुम मेरे साथ
एक दो क़दम चलने का
अभिनय मत करो
एक ही बिंदू पर खड़े-खड़े
दूरियां तय मत करो..!
तुमको जानता हूं
फ़ायदा उठाओगे -
मेरे दुखड़े गाने का
मुझे मालूम है
तुम मेरे आंसू पौंछने को भी
भुनाते हो
तुम सदन में मेरे
दर्द की दास्तां सुनाते हो !
तुम जो
हमारी भूख को भी भुनाते हो !
तुम जो कर रहे हो
उसे “अकिंचन-सेवा” का नाम न दो..!!
जो भी तुम करते हो
उसे दीवारों पर मत लिखो ..!!
तुम जो करते हो उसमें
तुम्हारा बहुत कुछ सन्निहित है
मित्र
ये सिर्फ़ तुम जानते हो..?
      न ये तो सर्व विदित है…!

3 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

haqueeqat hai..

Pallavi saxena ने कहा…

सारगर्भित अभिव्यक्ति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/

बसंत मिश्रा ने कहा…

kya bat hai girish bhai sari bharat ki gareeb janta ki taraf se kah diya

Wow.....New

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