18.10.11

ज़ील ने गलत नहीं लिखा पर संतुलित नहीं लिखा

" मेरे देश की धरती गद्दार उगले , उगले रोज़ मक्कार ...." शीर्षक से ज़ील ने अपने ब्लाग ZEAL पर  जो लिखा उसमें कोई गलत बात मुझे समझ नहीं आ रही ज़ील क्या कोई भी सच्चा भारतीय  प्रशांत भूषण से सहमत न होगा. भारत की अखण्डता को बनाए रखने के लिये उनका यह बयान  सर्वथा ग़लत है. आपको याद दिला दूं कि प्रशांत भूषण ने क्या कहा
" प्रशांत भूषण ने  पिछले महीने 26 सितम्बर को कश्मीर मसले पर कहा था कि सालों से मौजूद सेना को वहां से हटा लेना चाहिए। साथ ही कश्मीर में लागू 'सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम' को हटा लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भारत के किसी भी क्षेत्र के लोग अगर भारत में नहीं रहना चाहते है तो ऐसी स्थति में वहां जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।" (स्रोत : दैनिक भास्कर)
     क्या यह बयान उचित है कोई भी सच्चा देशभक्त इसे स्वीकरेगा कदापि नहीं न ही उसे स्वीकारना चाहिये. भारत सरकार ने भी अपना मत स्पष्ट रूप से रक्खा है -"सरकार का कहना है कि वो प्रशांत भूषण की राय से सहमत नहीं हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि वो प्रशांत के निजी बयान हो सकते हैं लेकिन भारत सरकार की राय उनसे नहीं मिलती है. "(स्रोत :news bullet.in)
    हां एक बात तय शुदा है कि कि ज़ील के आलेख में भारत-सरकार पर आक्रामता अवश्य दिखाई दी जो गैर ज़रूरी और कश्मीर के संदर्भ में सरकार के रुख से को रिलेट नहीं करती यानी बेहद उत्तेज़ना में लिखा आलेख और उससे अधिक उसपर एक बेनामी ब्लागर की टिप्पणियां और उस बेनामी ब्लागर की खुद के ब्लाग पर लिखी पोस्ट  ब्लागिंग को गर्त में भेज आमादा है.
                 मेरे व्यक्तिगत विचार ये हैं कि प्रशांत भूषण हालिया कथित सुर्खियों से बौरा से गए हैं. किसी भी कथन को सार्वजनिक करने से पेश्तर उसके प्रभाव का भली भांति पूर्वानुमान लगाना सार्वजनिक जीवन में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. यहां हम ब्लागर प्रशांत-भूषण पर हुए उत्तेजना जनित हमले की निंदा करते हैं. मेरी जिन भी ब्लागर साथियों से मुलाक़ात हुई वे सब इस बात से दु:खी थे . सब का मत है कि  हिंसा किसी भी स्थिति में हो क्षम्य नहीं होनी चाहिये  

14 टिप्‍पणियां:

ZEAL ने कहा…

शुक्रिया गिरीश भाई। मुझसे यदि कोई गलती हो जाए तो उसे सुधार दीजियेगा कृपया। आभारी रहूंगी।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मुझे एक बात समझ नहीं आती कि व्‍यक्तिगत राय क्‍या होती है? देश के विरोध में यदि आप व्‍यक्तिगत सोच भी दूषित रखते हैं तो आप दोषी तो हैं। प्रशान्‍त भूषण के आचरण से आतंकवादियों के हौसले बुलन्‍द हुए हैं। आज अन्‍ना की टीम को सारा भारत सम्‍मान दे रहा है तो उसका एक सदस्‍य यदि देशद्रोहियों की भाषा बोलने लगे तो इस पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए? अन्‍ना ने युवापीढी को जागृत किया और युवापीढी जब जागृत होती है तब उसे संस्‍कारित भी करना होता है। बिना संस्‍कारों के जागृत व्‍यक्ति विनाश को ही आमंत्रित करता है। इसलिए अन्‍ना को सबसे पहले अपनी टीम को संस्‍कारित करना चाहिए और साथ ही युवापीढी को भी। जिससे वे कानून अपने हाथ में ना लें। बिना संस्‍कारों के यह देश गर्त में समा जाएगा। इसलिए हमें संस्‍कारों के प्रति सदैव जागरूक रहना चाहिए।

Gyan Darpan ने कहा…

जो लोग प्रशांत भूषण पर हमले से दुखी है उनके दुःख पर हमें तो तरस आता है एक देशद्रोही वक्तव्य देने वाले के खिलाफ कैसी हमदर्दी| ऐसी हमदर्दी के चलते ही तो हमारे देश का बंटाढार हुआ है|
इस बयान के बाद सरकार द्वारा यह कहना कि वो उसका व्यक्तिगत विचार है ये भी सरकारी मंत्रियों के दिमागी दिवालियापन और उनकी छद्म सेकुलर सोच कर प्रतीक है वरना इस तरह का बयान देने वाले के खिलाफ सरकार को मुकदमा दर्ज कर क़ानूनी कार्यवाही करणी चाहिए थी और सरकार द्वारा इस तरह बकवास पर कार्यवाही न करने के चलते ही उन युवाओं को यह पिटाई वाला कदम उठाना पड़ा|
आगे भी यदि सरकार इस तरह उदासीन रही तो देश के खिलाफ बक बक करने वालों से लोग इस तरह खुद ही निपटने लगेंगे|

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

बिलकुल सही लिखा आपने ........

shyam gupta ने कहा…

गिरीश जी ---जील ने जो कुछ भी लिखा , सही व संतुलित लिखा, मुझे उसमें कुछ भी असंतुलित नहीं लगा .....जोशीले भाव ऐसे ही होते हैं ....आज हमारे दिलों से जोशीले भाव गायब होगए हैं और छद्म-निरापेक्ष-भाव प्रश्रय कर गए हैं, इसी भाव में आपको ऐसा लगा...

किलर झपाटा ने कहा…

आदरणीय गीरीश मुकुल जी,
मैं आप जैसे वरिष्ठ ब्लागर का दिल से मान करता हूँ। (मैडम) ज़ील, रूपेश जी, इंजीनियर दिवस आदि को कम से आप लोगों से शालीनता-पूर्वक विरोध दर्ज कराना और टिप्पणियाँ करना सीखना चाहिये। इन लोगों ने मुझसे सीधे तू-तड़ाक प्रारंभ कर दी थी। दिवस वाज़ फ़र्स्ट टू रिएक्ट इन दैट मैनर। मैंने इनकी बात को हल्के फ़ुल्के इटाइल से काटा तो ये प्रशांत भूषण को छॊड़ महात्मा को गरियाने लगे। उनकी बात हो भी नहीं पाई कि भवानी माता को बीच में ले आये। आप तो जानते ही हैं कि मैं टिप्पणियाँ डीलिट नहीं करता। अब कोई किसी को कुछ भी बोलता रहे। मैं क्या करूँ? मैं तो अच्छे अच्छे लोगों को उनके मित्रों से भिड़ने से बचाता रहता हूँ, भाई। मैं आपकी बात मान कर इन लोगों के इनके हाल पर छोड़ देता हूँ। मगर इन लोगों को आप भी तो कुछ समझाइये खास करके रूपेश और दिवस को। जाइये इन सभी को मैने आपके कहने पर माफ़ कर दिया। खुश ?

मेरी पोस्ट पर कमेण्ट करने अरविंद जी स्मार्ट इंडियन जी वगैरह का बहुत बहुत धन्यवाद और उनका इस वजह से जो ज़ील एण्ड कम्पनी ने धृष्टता पूर्वक अपमान किया उसके लिए मुझे बहुत अफ़सोस है।

दिवस ने कहा…

@गिरीश
चूंकि आपने दिव्या जी के नाम पर पोस्ट लगाईं है तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि कोई उनका अपमान न कर सके| किन्तु जैसी टिपण्णी किलर झपाटा ने की है, आपका फ़र्ज़ बनता है कि ऐसी टिप्पणियों को यहाँ से हटाएं|
या तो किसी के नाम पर पोस्ट लिखा ही न करें, और यदि लिखें तो उसके सम्मान का पूरा dhyaan रखें|
टिप्पणियों की संख्या अधिक महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि किसी का सम्मान|

किलर झपाटा ने कहा…

दिवस जी,
क्या यह आपके फ़ादर का ब्लॉग है जो इतने बड़े ब्लॉगर गिरीश जी को आप टिप्पणी हटाने के लिए धमका रहे हैं? लगता है आपकी अक्ल घास चरने जा चुकी है। अब आपका बैंड बजना निश्चित है। गिरीश जी देख लिया ना आपने ? इस पूरे एपीसोड के लिए यही जील एंड कं. जिम्मेदार है। आपको कसम है यदि आप इस जील एण्ड कम्पनी से घबरा गए तो अपने आपको नर्मदा पुत्र कहना छॊड़ दें। आय थिंक यू मस्ट गिव अ करारा जवाब टु धिस हैकर हगा-पदा इंजीनियर दिवस। हा हा।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

@ दिवस जी :- आपकी टिप्पणी देखी आपने ही नहीं सभी ने सही लिखा है किंतु अपने नज़रिये से मैं मूलत: संवाद का हिमायती हूं आक्रामकता का नहीं ज़ील के लेखन कौशल का प्रशंसक भी मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं कि कौन किससे क्या कह रहा है मुझे केवल इस बात से सरोकार है कि किसी भी स्थिति में किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विद्रूपता पूर्वक हनन न हो.किसी भी महिला पर कटाक्ष मुझे दु:खी कर देता है. जील के आलेख में मुझे जो कमी लगी उसे सौदाहरण लिख दिया आप ध्यान से देखिये. पर यह कि मुझे किसी की टिप्पणी को हटाना चाहिये मेरा अधिकार है.
आपका स्नेह देख कर प्रसन्न हूं जो आप मेरे ब्लाग पर आए कभी मुलाक़ात होगी इस उम्मीद के साथ
आपका अग्रज
गिरीश

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

@ श्याम जी
सादर अभिवादन
आपके विचारों से लेखकीय नज़रिये से असमत हूं. इसके अर्थ ये नहीं कि जील कभी भी गलत या बेजा लिखतीं हैं अर्थ ये कि जील को देखना था कि इर्द गिर्द के संदर्भ में क्या और सामग्री मौजूद है.मैं शायद जिनके लेखन से प्रभावित हूं उनमें ज़ील का नाम भी पर अब लगता कि किसी बात की समीक्षा करना भी लेखक के अधिकार क्षेत्र में नहीं तो आप स्वतन्त्र हैं जो चाहें करें मैने लिक्खा सो लिख दिया आप लोग वर्गसंघर्ष का स्वरूप न दें तो बेहतर है. ज़ील की प्रतिक्रिया
"शुक्रिया गिरीश भाई। मुझसे यदि कोई गलती हो जाए तो उसे सुधार दीजियेगा कृपया। आभारी रहूंगी।"
के बाद आपका कथन अपने हिसाब से सही होगा मैं असहमत हूं.
@दिवस जी जहां तक किसी की टिप्पणी का सवाल है उससे भी असहमत हूं

दिवस ने कहा…

@दिव्या दीदी,
आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ कि आप अपनी टिपण्णी यहाँ से हटाएं, और पोस्ट को unsubscribe कीजिये| main नहीं चाहता कि आगे आने वाले कमेन्ट आप तक पहुंचें| क्योंकि किलर झपाटा जैसे नीच लोग यहाँ पहुँच चुके हैं, जो संभवत: यहाँ माँ बहन की गालियाँ निकालेंगे और गिरीश महाराज ने भी कह दिया है कि कोई भी टिपण्णी हटाना न हटाना मेरा अधिकार है| मुझे नहीं लगता कि ये उन आने वाली घटिया टिप्पणियों को यहाँ से हटाएंगे|
अत: बेहतर यही होगा कि आप ही अपनी टिपण्णी यहाँ से हटा लें, ताकि ये गन्दी गालियाँ अप तक न पहुंचें|

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आप उत्तेजित न हों दिवस जी
ऐसा कैसे सोच लिया कि यहां कोई ग़लत टिप्पणी चस्पा रहेगी. आपने मेरी बातों को गम्भीरता से देखा ही नहीं..

दिवस ने कहा…

@गिरीश"मुकुल"
पहली बात तो मैंने टिप्पणी आपकी ब्लॉग पोस्ट पर नहीं की थी| क्योंकि मैं आपसे असहमत हूँ| शायद आपने मेरी टिप्पणियाँ दिव्या दीदी की पोस्ट पर देख ही ली होगी| मैं अपना खून नहीं जमा सकता| कोई मेरे देश को तोड़ने की बात कहे तो क्रोध आना स्वाभाविक है| कोई मेरी माँ को गाली दे तो क्या मैं उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मान कर शांतिप्रिय बना रहूँ?
मैंने टिप्पणी आपकी नीयत पर की है| जिस नीयत से आपने यह पोस्ट लिखी है, ऐसी नीयत बहुत से कथित ब्लॉगर अपना चुके हैं| कहीं पर यदि टिप्पणियों का अकाल पडा हो तो आसान सा तरीका है, बस दिव्या (zeal) के नाम पर एक पोस्ट लगाओ और फिर देखो कैसे दिव्या दीदी से पीड़ित लोग सूंघ सूंघ कर पहुँच जाएंगे| किन्तु आपकी किस्मत खराब रही| अधिकतर टिप्पणीकार दिव्या दीदी के शुभ चिन्तक निकले| शायद सूंघने वाले कुछ प्राणियों को सर्दी ज़ुकाम है| आजकल भारत में मौसम बदल रहा है और संभवत: पिट्सबर्ग में भी अच्छी खासी ठण्ड पड़ रही है| खैर चिंता न करें, कभी न कभी तो पता चलेगा| फिर भी अभी तक १२ टिप्पणियाँ हो गयी हैं|
एक बात बताएं, कि ये हिंदी ब्लॉग जगत में हो क्या रहा है| जिसे देखो जील पर फोकस कर रहा है? क्या रातों की नींदें उड़ गयी हैं? सभी सफ़ेद पोश में क्यों छिपे हैं? क्या और कोई विषय नहीं मिल रहा? क्या दिव्या का इतना खौफ है कि सारे कथित मर्द हाथ धोकर पीछे पड़ गए?
फिर तो मानना पड़ेगा दिव्या दीदी की सार्थकता को, जो ब्लॉग जगत से जुड़े अधिकतर लोगों की नींदें उन्होंने हराम कर रखी है| गर्व है मुझे दिव्या दीदी पर, जिनका खून जमा हुआ नहीं है| जो अपनी भारत माँ को तोड़ने की बात करने वालों के साथ हुए इस व्यवहार की खुल कर प्रशंसा करती हैं| कोई माँ को गाली दे तो शांतिप्रिय नही हुआ जाता साहब|
यदि आपने किसी के नाम पर पोस्ट लगाईं है तो उसके सम्मान की रक्षा का दायित्व भी आपका होगा| आपने तो कह दिया कि किसी टिप्पणी को हटाना न हटाना आपका अधिकार है, किन्तु यह बताएं कि किसी के नाम पर पोस्ट लगा देने का अधिकार आपको किसने दिया?

दिव्या संतुलित नहीं लिखती, मैं आपकी बातों को गंभीरता से नहीं लेता और श्याम जी से भी आप असहमत हैं|
क्या सभी मुर्ख, केवल आप ही समझदार हैं?

मेरी भाषा तीखी ही होती है, क्योंकि दोपहर में आँख बंद कर मैं सूर्य के अस्तित्व को नकार नहीं सकता|

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

दिव्या दीदी की सार्थकता को, जो ब्लॉग जगत से जुड़े अधिकतर लोगों की नींदें उन्होंने हराम कर रखी है| गर्व है मुझे दिव्या दीदी पर, जिनका खून जमा हुआ नहीं है| जो अपनी भारत माँ को तोड़ने की बात करने वालों के साथ हुए इस व्यवहार की खुल कर प्रशंसा करती हैं| कोई माँ को गाली दे तो शांतिप्रिय नही हुआ जाता साहब|
यदि आपने किसी के नाम पर पोस्ट लगाईं है तो उसके सम्मान की रक्षा का दायित्व भी आपका होगा|
मित्र
आप खामखां तूल दे रहें हैं मेरा किसी को समर्थन नही है. दिव्या के आलेख में जिन तथ्यों पर मेरी असमति है वो दर्ज़ है. जिन टिप्पणियों पर मेरी असहमति थी वो भी दर्ज़ है , मुझे समझ में नही आ रहा कि आपकी समस्या क्या है..?
क्या दिव्या सिर्फ़ आपके लिये प्रिय हैं.. तो आप ग़लत सोच रहे हैं. मैं शायद दिव्या के आलेखों को ज़्यादा पढ़ता हूं उनके चिन्तन को समझता हूं. दिव्या संतुलित नहीं लिखतीं ऐसा आपने कहां पढ़ा है. मेरा आशय चर्चित आलेख से है दिव्या ने कुछ तथ्य/सम्दर्भ देखे नहीं इस बात का ज़िक्र किया है.. आप सतही सोच को अपने साथ रखिये मुझे उकसाने से कुछ न मिलेगा आप से अब वाक़ई अनुरोध है कि मूर्खता पूर्ण टिप्पणिया यहां न करें तो बेहतर होगा अकारण ही आप मुझसे उलझ कर कुछ हासिल न कर पाएंगे आप खोजिये उसे जिससे आपकी निज़ी दुश्मनी है.

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