15.8.11

अन्ना हज़ारे को समर्पित समर्थन-गीत : वो जो गा रहा है वह भी तो है राष्ट्र गीत..!



आज़ वक़्त है सही.......
हज़ारों को तू पाठ दे .
सोच मत कि क्या बुरा 
क्या भला है मेरे मीत
हिम्मतवर की ही 
होती  है सदा ही जीत.!

सोच मत कि क्या
                                                          करेगा  लोकपाल 
                                                          सोच मत कि
इंतज़ाम झोल-झाल ,
ऊपरी कमाई बिन
कैसा होगा अपना हाल !
वक़्त शेष है अभी 
सारे काम टाल दे !
जेब भर तिज़ोरी भर
बोरे भर के नोट भर ,
खैंच हैंच फ़ावड़े से
या यंत्र का प्रयोग कर !
सवाल पे भी नोट ले
जवाब के भी नोट ले !
ले सप्रेम भेंट मीत -
परा ज़रा सी ओट से !
किसने धन से जीतीं है
हज़ारों दिल की धड़कनें.!
मुफ़लिसी के दौर में 
पुख़्ता होती हैं जड़ें..!!
मेरी बात मान ले ...
मीत अब तू ठान ले
क्यों अभी तलक तू चुप
आगे आ उफ़ान ले..
क्यों तुझे देश के दुश्मनों
से प्रीत मीत
वो जो गा रहा है
वह भी तो है राष्ट्र गीत..!!
न ओट से तू नोट ले
न बोरे भर के नोट ले
न सवाल न ज़वाब
किसी वज़ह से नोट ले
न वोट के तू नोट ले
न खोट के तू वोट ले..!
न किसी ग़रीब को
लूट ओ’ खसोट ले..!!
भोर पहली बार की
भोर तेरे द्वार की
आज़ देश में हुई
भोर मददगार सी..!!
भूमिका में आजा मीत
अब तो समझदार की..!!

5 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

samayik geet hai..

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आभार दादा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!
आजादी की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत खूब !!

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

प्रासंगिक रचना....सहज अभिव्यक्ति...

Wow.....New

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