वो आदमी सुलगाया जाता है..!!


सुबह  अखबार बांचते ही
चाय की चुस्कियों के साथ एकाध गाली
निकल जाती है
अचानक
मुंह से उसके
व्यवस्था के खिलाफ़ !
फ़िर अचानक बत्ती का गुम होना
बिजली वालों की
मां-बहनों से शाब्दिक दुराचरण
सब्जी के दाम सुन कर
फ़िर उसी अंदाज़ में एक बार फ़िर
मंत्र की तरह गूंजती गालियां..!!
अचानक मोबाईल पर
बास का न्योता भी उसे पसंद नहीं..आता
हर बार तनाव के कारणों पर
वो बौछार कर देता है
अश्लील गालियों की
शाम
बेटी के हाथ से रिमोट ले
समाचार देखता वो
झल्ला जाता है
पर्फ़्यूम के “ब्लू-फ़िल्मिया-एड”
देख कर ..!
फ़िर लगा लेता है मिकी-माउस वाला चैनल
 अच्छा है उसमें इतनी तमीज़ तो है
बेटी के सामने गाली न देने की..!!
सोचता हूं..
फ़िर भी दिन भर में
कितनी बार
और क्यों
भभकता है
ये आदमी
करता है कितनों की 
मां बहनों से
शाब्दिक दुराचरण..?
नहीं सच है 
वो ये सब न करता था
पहले कभी !
सुलगता भी न था
भभकता भी तो न था
आज़कल क्या हुआ उसे
तभी
सेंटर-टेबिल पर रखा
अखबार फ़ड़फ़ड़ाया
दीवार पर टंगा टी.वी. मुस्कुराया
अब समझा
वो आदमी सुलगाया जाता है
रोज़
इन्हीं के ज़रिये

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
बहुत गहरी अभिव्यक्ति!!

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