तोता बोला मैना मौन ?

एक बाल गीत पेश है इस गीत में श्लेष-अलंकार का अनुप्रयोग है  

 











 तोता बोला मैं न  मौन, बात मेरी बूझेगा कौन ?
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एक अनजाना एक अनजानी राह पकड़ के चला गया
कैसे नाचे ठुमुक   बंदरिया  बंदर  लड़  के   चला गया
       अपना   ही  जब  रूठा  हो  तो  औरों  से जूझेगा कौन ?                                         
तोता बोला मैं न  मौन, बात मेरी बूझेगा कौन ?
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बूढ़े   बंदर   ने   समझाया   काहे   बंदरिया  रोती  है
देह से छोटी होय चदरिया, किचकिच हर घर होती है
      मनातपा  ले    घर  परबिन जोड़ी पूछेगा कौन ?                                 
तोता बोला मैं न  मौन, बात मेरी बूझेगा कौन ?
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टिप्पणियाँ

बवाल ने कहा…
सुबह सुबह बहुत ही सुन्दर दो कविताएँ। अहा! क्या कहना मुकुल जी। बहुत आनंददायी।
बहुत सुन्दर रचना!
बन्दर ने सही सलाह दी!
शिवा ने कहा…
बहुत सुंदर कविता
shiva12877.blogspot.com
मनीष सेठ ने कहा…
kauaa,cheel,gadaha,billi kutte ki bhi kavita bhejo.

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