इसी बात को चार साल पहले से उन्मुक्त जी समझा रहे हैं और अब तक ब्लॉगजगत में इसकी आवश्यकता है ...
पढिये उन्मुक्त जी की पोस्ट जिसे उन्होंने २९ सितम्बर २००६ को प्रकाशित किया था...
डॉ. टी.एस. दराल जी के ब्लॉग अंतर्मन्थन पर प्रकाशित संदेश---
एक संदेश--जनहित में जारी
पढिये उन्मुक्त जी की पोस्ट जिसे उन्होंने २९ सितम्बर २००६ को प्रकाशित किया था...
डॉ. टी.एस. दराल जी के ब्लॉग अंतर्मन्थन पर प्रकाशित संदेश---
एक संदेश--जनहित में जारी
12 टिप्पणियां:
sundar article ko kaafi sundar dhwani diya hai aapne...aabhaar.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
sundar prastuti
बहुत अच्छा कार्य...
कहानी और कविता , दोनों का अलग अंदाज़ यथोचित रहा ।
बहुत सुन्दर आवाज़ में उम्दा प्रस्तुति अर्च्नना जी ।
आभार ।
मांफ कीजियेगा अर्चना जी , नाम में टंकण गलती हो गई ।
हार्दिक बधाई अर्चना जी ,
अच्छी पोस्ट को पॉडकास्ट के जरिया ब्लॉग जगत पर लाना बड़ी हिम्मत का काम है खास तौर पर उन दिनों जब बहुत कम लोग रूचि लेते हों ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. उम्दा आवाज़ ...........
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
सराहनीय!
बहुत सुंदर एवं सार्थक
शुभकामनाए
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।
शानदार रही यह प्रस्तुति। बधाई।
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दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
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