14.12.10

अधूरे पूरे लोग क्या कहतें हैं आपसे ?

निक बोयेसिस


ये हैं निक बोएसिस   मिलिये यहां =.> निकबोयेसिस

 

I Love Living Life. I Am Happy. 


 




कौन कहता है कि  शरीर के  सारे अंग ज़रूरी हैं. ? यदी हैं तो फ़िर ये क्या है. दुनियां चाहे जो सोचे कि शरीर के साथ दो पैर दो हाथ के अलावा दो आंखोंं का होना ज़रूरी है...सारे अंग ज़रूरी हैं तो फ़िर ये क्या है.. बताइये  

 क्या आप पूरे हो कर पूरे हैं..?यदि हैं तो फ़िर  किस बात की पीडा लेकर धंस जातें हैं आप अवसादों के जंगल में ? क्यों कराह उठतें हैं ज़रा सी चोट पर क्यों है हमारे चिंतन से उत्साह के बीच लम्भी दूरियां एक दूसरे के बीच गहरी खाईयां  

 किससे जीतोगे किससे जीतना चाहते हो किसे नीचा दिखाना है किसे हरना है किसको गिराना है बस इसी चिंता के साथ जागते हम लोग बस इन तीन वीडियो को देख लें तो शायद दुनिया स्वर्ग बन जाएगी. वे लोग तो ज़रूर देखें हो अवसाद के गने जंगल में खो ने जा रहें हैं खुद को

14 टिप्‍पणियां:

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

जज्बे पर दुनिया कायम है...प्रेरक पोस्ट.


________________
'पाखी की दुनिया; में पाखी-पाखी...बटरफ्लाई !!

Archana Chaoji ने कहा…

कुछ भी असंभव नहीं .....और हम हैं कि....

शिवम् मिश्रा ने कहा…

गिरीश दादा , बेहद उम्दा और प्रेरक पोस्ट है ! बहुत बहुत आभार आपका !

Arvind Mishra ने कहा…

Great Presentation! Thanks!

vandana gupta ने कहा…

इस जज़्बे को सलाम्।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

इस जज़्बे को सलाम्।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सचमुच, उडान के लिए पंखों की नहीं हौसलों की जरूरत होती है। इस प्रेरणाप्रद पोस्‍ट के लिए आभार।

---------
दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

prerak post...
jeevan ko naya utsah deti hai..
aise logon ke jeevan jeene ke jajbe ko sau-sau salaam...
prashansniy prastuti.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

अदम्य इच्छा शक्ति पर जीने वाले लोग
ऐसे कुछ लोगो को मैं भी जानता हूँ।

अच्छी पोस्ट दादा

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

जी सभी का आभार
इन सितारों को आगे लाना है जी

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत प्रेरक..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

गिरीशजी कमाल की पोस्ट लगाई है..... दिल से आभार आपका.....और सलाम इन हिम्मतवाले प्रेरणा दे रहे लोगों को......

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर, लेकिन इन्हे इस नाम से ना पुकारे, यह भी हमारी तरह से समपुरण लोग हे, इन्हे दया की मदद की जरुरत नही सम्मान की जरुरत हे, ओर यह हम से ज्यादा मेहनती ओर लगन शील हे, धन्यवाद

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...