6.10.10

"असफ़लता"


मां ने कहा था सदा से असफ़ल लोगों जीवन हुये के दोषों को अंवेषण करने का खुला निंमंत्रण है..... लोगों के लिये. कोई भी न रुकता पराजित के मन की समकालीन परिस्थियों को समझने बस दोष दोष और दोष जी हां यहीं से शुरु होती हैं ग्लानि जो कभी कुंठा तो कभी बगावत और कभी अपराध की यात्रा अथवा कभी पलायन . बिरले पराजित ही स्वयम को बचा पातें हैं. इस द्वंद्व से यक़ीन कीजिए....मां ने सही ही तो कहा था .

7 टिप्‍पणियां:

ओशो रजनीश ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति .......

इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
कुछ अनसुलझे रहस्य ...१

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

माँ कही हर बात के मायने गहरे और सही ही होते हैं ......

रानीविशाल ने कहा…

माँ की हर बात जीवन के कई मोड़ पर सिद्ध मन्त्रों की तरह सत्य और सार्थक नज़र आती है

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

jee Shukriya

निर्मला कपिला ने कहा…

माँ कभी झूठ नही बोलती। माँ की कही तो आँवले जैसी है जिसका स्वाद बाद मे पता चलता है। शुभकामनायें

chor pe mor ने कहा…

बिना ब्लागिंग के जिन्दा न रहेगा छुट्टी से वापस आ गया

शरद कोकास ने कहा…

माँ का कहा अगर हर कोई मान लेता तो इस दुनिया मे इतने दुख न होते

Wow.....New

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