26.5.10

मज़ाक मज़ाक में एक पोस्ट

ब्लागजगत में समझौतावादी लक्षण दिखाई दे रहे हैं..डी. के.  साहब की यह पोस्ट उकसाती नज़र आ रही है हा हा हा .....गोदियाल सा’ब ने बीज बो दिया ...ही...ही....ही....? पी. डी सा’ब अभी हम सब ने   [यह शब्द नवीन प्रतिस्थापित है ]सुबह सुबह आदरणीय ज्ञानदत्त  पाण्डे जी के स्वास्थ्य की मंगल कामना की है और यह अपेक्षा ............ बात कुछ हज़म नहीं हुई. वैसे इस तरह के आह्वान की ज़रूरत क्यों आन पड़ी पी.डी. सा’ब. सच मानिये कोई भी इस तरह की कल्पना लेकर ब्लागिंग के लिये नहीं आता बस वह आता है लिखने के वास्ते और दिशा तय कर देतें हैं हम लोग जो पहले से मैदान में डटें हैं. ब्लाग पर वानरी हड़्कम्प का न होना चिन्ता का विषय नहीं भले ही मज़ाक में में चिंता व्यक्त की गई हो.
आपकी मज़ाहिया प्रतिटिप्पणी के गहरे अर्थ हैं:-पं.डी.के.शर्मा"वत्स", @सुरेश चिपलूनकर जी,भाई जल्दी से फुर्सत मे आईये...अब तो ये शान्ति  कुछ असहनीय सी होने लगी है :-) यह टिप्पणी मनुष्य के अंतस में बसे एक सत्य को उज़ागर करती है........
युद्ध की प्रतीक्षा शांति से अधिक की जाती है.हर व्यक्ति इसमें शामिल होता है जिनका वर्गीकरण निम्नानुसार है :-
  1. वीर:-  कुछ लोग शामिल होना चाहते है,और हो भी जाते हम. उनको मैं वीर की श्रेणी में रखने की गुस्ताख़ी कर रहा हूं. इनकी संख्या बहुत नहीं है.
  2. धीर:-  वो जो शामिल नहीं किंतु युद्ध के दु:खद परिणामों को युद्ध की आहट आते ही दूर से अनुमानते  हैं. बता भी देते हैं सजग करतें हैं .....इनकी संख्या इक्का-दुक्का ही तो है.
  3.  नीर:- निरंतर युद्ध की कामना में  रत  व्यक्ति जो सिर्फ दो पक्षों में युद्ध कराना एवं देखना चाहतें हैं ...... फ़िर सामने सामने विजेता के पक्ष में परोक्ष रूप से पराजित के सम्पर्क में रहतें हैं. इन लोगों का प्रतिशत सर्वाधिक है. 
  मित्रो मज़ाक मज़ाक में लिखी गई इस पोस्ट का कोई अन्यथा अर्थ न लिया जाये परन्तु यह सत्य है कि युद्ध के प्रति शान्ति के सापेक्ष अधिक आकर्षण देखा गया है. 
रिठेल : "आपने" की जगह हम सबने प्रतिस्थापित किया है आपका कोई फ़ोन नम्बर नहीं है कोई बात नहीं यहीं बता दीजिये   डी.के. सा’ब इस पोस्ट को लिंक करने में आपत्ती हो तो अवश्य लिन्क पृथक कर दूं  !

16 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

शुक्रिया माधव भाई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मज़ाक ...मज़ाक में काफी अच्छा मज़ाक कर लेते हैं आप......

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बिल्लोरे जी, आपका ये कहना कि "पी. डी सा’ब अभी आपने सुबह सुबह आदरणीय ज्ञानदत्त पाण्डे जी के स्वास्थ्य की मंगल कामना की है और यह अपेक्षा".....तो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपने ये कहाँ, किस पोस्ट पर देख लिया कि हमारे द्वारा ज्ञानदत जी की स्वास्थय की कामना हेतु कोई टिप्पणी की गई है....न तो हमें उनके अस्वस्थ होने के बारे मे कुछ पता है ओर न ही मैने ज्ञानदत जी को कभी पढा है...ब्लागजगत में हजारों ब्लागर हैं, क्या मैं हरेक का हिसाब रक्खे हुए हूँ कि कौन बीमार पड रहा है तो मैं उनके स्वास्थय लाभ की मंगलकामनाएं बाँटता फिरू......हालाँकि किसी के लिए मंगलकामना करना कोई बुरी बात नहीं, बल्कि किसी के कष्ट, दुख में सहानुभूति के दो शब्द कहना,उसे हौंसला देना या उसकी कुशलता हेतु ईश्वर से प्रार्थना करना ही तो सही मायनों में मानवीयता है. लेकिन बिना हुई बात को लिखकर भ्रम फैलाना आप जैसे सज्जन व्यक्ति को शोभा नहीं देता.आप साबित कीजिए कि मैने कहाँ किस पोस्ट पर ऎसी कोई टिप्पणी की हो......
रही बात हमारी पोस्ट की तो भाई उसके लिए आपसे क्या कहूँ...आप स्वतन्त्र है, चाहे जो मन मे आए अर्थ निकाल सकते हैं...आखिर विद्वान आदमी हैं भई आप.
लगे रहिए.....हमारी ओर से शुभकामनाऎँ..

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

आजकल इस जमाने में ऎसे परमविद्वान, दिव्यचक्षुसम्पन्न व्यक्ति कहाँ दिखाई पडते हैं जो "मनुष्य के अंतस में बसे सत्य तक को भाँप लेते हैं"....आपकी दिव्यता वन्दनीय है. आपका सानिध्य पाकर हम धन्य हुए...

honesty project democracy ने कहा…

गिरीश जी पंडित जी के पोस्ट लिखने के तुरंत बाद मेरी बात हुई थी उनसे मोबाइल पर उन्होंने सार्थक सहयोग का आश्वासन दिया है और आपसे भी आग्रह है की इस तरह का जवाबी पोस्ट लिखने से पहले एक बार फोन पर विचार तो कर लिया कीजिये / आखिर हमसब है तो इन्सान ही / खासकर जिनका फोन नंबर ब्लॉग पर उपलब्ध है उनसे हम किसी विवादास्पद विषय पर फोन कर उनका विचार तो जान ही सकते हैं ,इस तरह ब्लॉग पर लिखना ठीक नहीं है मेरे नेक रहम दिल भाइयों / आशा है आप दोनों समझदार ब्लोगर है इसलिए हमारी भावना को समझेंगे /

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

"आपने" की जगह हम सबने प्रतिस्थापित किया है आपका कोई फ़ोन नम्बर नहीं है कोई बात नहीं यहीं बता दीजिये पी.डी.सा’ब इस पोस्ट को लिंक करने में आपत्ती हो तो अवश्य लिन्क पृथक कर दूं !

दीपक 'मशाल' ने कहा…

हमने भी ले लिया मजाक में जी.. :)

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

ब्लॉगर गिरीश बिल्लोरे ने कहा…

चलिये इसी बात पर चर्चा कर लेते हैं

२६ मई २०१० ८:३३ PM

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

भूल सुधार :-
०१.पी.डी. को डी. के. बाचें
०२.आपने" की जगह हम सबने प्रतिस्थापित किया है

भूत-प्रेत ने कहा…

ये डी के बहुत मौज ले रहा है,नारद मुनि बनकर,
टिप्पणी मार कर लड़ाने का काम कर रहा है।

Kumar Jaljala ने कहा…

ैक्या आप जानते है.
कौन सा ऐसा ब्लागर है जो इन दिनों हर ब्लाग पर जाकर बिन मांगी सलाह बांटने का काम कर रहा है।
नहीं जानते न... चलिए मैं थोड़ा क्लू देता हूं. यह ब्लागर हार्लिक्स पीकर होनस्टी तरीके से ही प्रोजक्ट बनाऊंगा बोलता है। हमें यह करना चाहिए.. हमें यह नहीं करना चाहिए.. हम समाज को आगे कैसे ले जाएं.. आप लोगों का प्रयास सार्थक है.. आपकी सोच सकारात्मक है.. क्या आपको नहीं लगता है कि आप लोग ब्लागिंग करने नहीं बल्कि प्रवचन सुनने के लिए ही इस दुनिया में आएं है. ज्यादा नहीं लिखूंगा.. नहीं तो आप लोग बोलोगे कि जलजला पानी का बुलबुला है. पिलपिला है. लाल टी शर्ट है.. काली कार है.. जलजला सामने आओ.. हम लोग शरीफ लोग है जो लोग बगैर नाम के हमसे बात करते हैं हम उनका जवाब नहीं देते. अरे जलजला तो सामने आ ही जाएगा पहले आप लोग अपने भीतर बैठे हुए जलजले से तो मुक्ति पा लो भाइयों....
बुरा मानकर पोस्ट मत लिखने लग जाना. क्या है कि आजकल हर दूसरी पोस्ट में जलजला का जिक्र जरूर रहता है. जरा सोचिए आप लोगों ने जलजला पर कितना वक्त जाया किया है.

बेनामी ने कहा…

जलजला से सहमत.
एक बात और. अपनी पोस्टों और यहाँ तक की टिप्पणियों में भी यह / / / / / का इतना उपयोग करता है की उनकी और देखने की भी इच्छा नहीं होती.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

कुछ लोगों का मानस विचलित क्यों है क्या अंगद की तरह "विचारों की दृढ़ता" से सहमति नहीं हो सकती...मै तो वादा करके ही वापस आया हूं कि हर गलत बात का विरोध करूंगा पुरजोर करूंगा.आखिर कब तक "यस,सर" कहें और क्यों कहें ?

अरुणेश मिश्र ने कहा…

हकीकत के साथ मजाक ।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

अरुणेश मिश्र ने कहा ..हकीकत के साथ मजाक ।
इस स्लेष के अर्थों को देखिये
१.हक़ीक़त और मज़ाक एक साथ
२.हक़ीक़त के साथ मज़ाक
वाह अरुणेष जी वाह

अन्तर सोहिल ने कहा…

मेरी समझ में तो कुछ नही आया।
वापिस चलता हूं।

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