18.5.10

गिरीश का खुला खत कुंठितों के नाम

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj10akW7QU7RbpoOfNJZtbqUgYHgxReJjPHRTuhEIwl2CeKKy5mOezz4mKc0eF3frq8Xw-1-iHByvRigDgtQPYDKURqbzOn2zxo05rE4Zks6b43AFp0My4SXqMIJUTv07ZpEGW1NVDg26w/s1600/girish1.jpg


प्रिय
कुंठावानों
आपका जितना भी ज्ञान था कुंठा  की क्यारियों में रोप  आये हैं. आपके  बारे कहा जाता है कि -”उनके पास  अब तो शब्द भी चुक गये हैं . गाली गुफ़्तार एवम शारीरिक अक्षमता तक पर टिप्पणी करने लगे हैं.”
आप के सर पर जिन लोगों का हाथ है वे स्वयम कुंठा के सागर में हिलोरें लेतें हैं.आप को ब्लाग पर गलीच शब्दों का स्तेमाल करने का कोई अधिकार न था न है. जब किसी विवाद में खुद को फंसे देखते है तुरंत ही मित्रवत पोस्ट लिखने का दावा करवाते है, इन रीढ़ हीनों का वैयक्तिक-चरित्र क्या होगा ? यह सब जान-समझ  सकतें है, विवाद जो नहीं था दिनेश जी यदी यह सत्य है तो सब सोच रहे हैं कि यकीनन ये सब कुछ आपसी मिली-भगत थी. जो लोग मौज लेने के लिये किया करतें हैं......?वैसे यह स्वयं लेखक कहते तो गले उतरती ...! समकाल पर आई यह पोस्ट वास्तव में लीपा पोती का एक असफ़ल प्रयास है. इस आरोप को मैं अंगद की तरह पुष्ट मान रहा हूं. वैसे तो देशनामा पर स्पष्ट संकेत मिल गये होंगे. ट्राल किस्म के लोगों को समझ लेना चाहिये. कि ब्लागिंग भी सरस्वती साधना ही तो है. वर्ना हम तो यही गाते रहेंगे
खुश दीप भाई का तो अंदाज़ निराला था एक दो तीन में सबको ब्रहाण्ड दिखा गये  पता नहीं के वो लोग कितना समझे [nainital-8_edited.jpg]
इन दिनों लोग लोकेषणा से ग्रसित ज़्यादा नज़र आ रहे हैं. समीरलाल और अनूप शुक्ल के के बारे में जो पोस्ट पाण्डे जी ने पेश की वो बस एक उनका व्यक्तिगत एहसास था न कि उससे ब्लागिंग का कोई लेना देना था किन्तु ब्लाग पर थी तो मैने कुछ सवाल किये ज्ञानदत्त जी से गलती हुई है और ज्ञानदत्त जी बनाम ..? पर जो सिर्फ़ सवाल थे गालियां कदापि नहीं..... फ़िर जो किया गया {उनके द्वारा ही कहूंगा }बेहद घटिया जिसमें अश्लील गालिया तक थीं . यदि वे जागरूक एवम शांति पसंद ब्लागर होने का दावा करते हैं तो उस बेनामी को तपाक से ज़वाब देते रोकते लेकिन उनने ये न कर मौन स्वीकृति दी.हमारे सवाल साफ़ है 
  1. क्या मानसिक हलचल पर आई पोस्ट उचित थी 
  2. क्या समीक्षा इसे कहते हैं
  3. क्या बेनामींयों को जो  गलीच भाषा का प्रयोग करतें हैं को इग्नोर करें 
                          मित्रों के स्नेहिल आदेश से लौट आया हूं पर ध्यान रहे दुष्टता और पाखण्ड को सदा खोलता रहूंगा सबके सामने यही शपथ ली है मैने जिस किसी को यह पसंद न आये मेरे ब्लाग पर न आये .
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इनका आभार






ब्लॉगर सूर्यकान्त गुप्ता




ब्लॉगर महेन्द्र मिश्र




ब्लॉगर ललित शर्मा ने कहा…




ब्लॉगर योगेन्द्र मौदगिल




ब्लॉगर girish pankaj




ब्लॉगर राज भाटिय़ा




ब्लॉगर राजीव तनेजा 




ब्लॉगर बवाल




ब्लॉगर अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी




























ब्लॉगर ललित शर्मा




हटाएँ
























अन्तर सोहिल
साथ ही इन  मित्रों स्नेही जनो का आभार आनेस्टी  प्रोजेक्ट  डेमोक्रेसी.यशवन्त मेहता "यश",नीरज  रोहिल्ला, मिथिलेश  दुबे,'अदा', राजकुमार सोनी,  नरेश सोनी,जी.के. अवधिया, एम.वर्मा ,अजय कुमार झा, महेन्द्र मिश्र,राधे, अन्तर सोहिल,शिखा वार्ष्णेय , डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक,विजय  तिवारी  'किसलय ', 'उदय', सुलभ § सतरंगी,कविता रावत,राज भाटिय़ा,संजीत  त्रिपाठी ,शरद कोकास, उन्मुक्त,Kumar Jaljala, हर्षिता,बवाल,
 ललित भाई की पोस्ट ने मन में उछाह वापसी की तो श्याम भाई ने भी खूब हंसाया सो मित्रो मै लौट आया अमरकंटक से अपनी बहन शोभना के स्नेह से अभीभूत हूं.
अन्त में समीर जी को बता दूं इग्नोर करना ऐसी भयानक स्थितियों का मार्ग देना है. इग्नोरेन्स की सीमा होनी चाहिये
मित्र दीपक मशाल का विशेष आभार जिन्हौने मन को बेहद हल्का किया. गत रात्री जब इन्हौने  हां न भरवाली तब तक हटे नहीं जी टाक से फ़िर ब्लाग पर सन्देश जारी किया  मेरी वापसी का मिथलेश ने तो बेलन से पिटवाने का इंतज़ाम कर दिया था.....हा हा
[avinashchitra.jpg]अविनाश भैया सच आपकी बात को कैसे टालूं सोच रहा था वापस आ गया 

31 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

आप किसी के दुष्टता से मत डरिए और हपना काम करते रहिए , हम आपके सात यूं ही रहेंगे ।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

खुशी हुई आपको देखकर..

Neeraj Rohilla ने कहा…

Aap mitron ke anurodh per wapis blogging mein laut aaye, bahut khushi hui jaankar.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

पता चला आप मुझे बुला का गायब हो गये है, जबकि हम एक दो को और लाने के प्रयास मे है। चिट्ठाकारी है, जितना हो सके किया जाये,मूडफुटौवल करने से कोई फायदा नही है।

honesty project democracy ने कहा…

बेहद धमाकेदार वापसी और पूरी शक्ति का प्रदर्शन भी / स्वागत है / आप इस वीर के पोस्टर को अपने ब्लॉग पर हमेशा के लिए लगा दीजिये / आशा है आप अपनी वैचारिक शक्ति का आभास इस ब्लॉग जगत को रोज कराते रहेंगे /

कडुवासच ने कहा…

...स्वागतम ... स्वागतम... गिरीश भाई अब नाट आऊट रहना है !!!

M VERMA ने कहा…

मित्रों के स्नेहिल आदेश से लौट आया हूं पर ध्यान रहे दुष्टता और पाखण्ड को सदा खोलता रहूंगा'
नमन इस इस स्नेहसिक्त संकल्प को, हम आपसे तो यही अपेक्षा करते हैं.
इग्नोरेन्स की सीमा होनी ही चाहिये

girish pankaj ने कहा…

mai apne jeevan me jin mahatvpoorn geeto se behad prabhavit rahaa, unme top par hai yah geet, ''kya miliye aise logo se''. sahir ka likhaaa gayaa yah geet aaj bhi suntaa hoo, khas kar aise hi mauko par jab mai apne paas pakhandiyon ko dekhtaa hoo. man ko bahalata hu, ki ''dekhe in nakali cheharo ki kab tak jai-jai kaar chale'' achchhi post. man kee peedaa samane aayi hai. logo ko sharmindagi mahasoos ho, to koi baat hai.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मेरी उद्दण्ड्ता पर भी साथी गण अंकुश लगाएंगे मुझे यकी़न है.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही भावुक है आप, गीत जो लगाया बहुत सही लगा, वेसे इस गर्मी मै आप टंकी पर चढे ही क्यो?? अरे इस गर्मी मै तो पानी के लिये रोज झगडे होते है, फ़िर सर ओरो के फ़ुटे लडने वाले लड खप गये, लेकिन ....... मस्त रहो जी, वेसे टंकी पर कोई दिक्कत तो नही हुयी:)

kunwarji's ने कहा…

तस्वीर आपके इरादे जता रही है जी!खतरनाक मूड लगता है.....

अभी कुछ नहीं कहेंगे जी....

कुंवर जी

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

राज जी कीडे़ देखने चढ़ा था. क्लोरीन की गोलियां डाल आया हूं फ़िर भी नही मरते तो दूसरा उपाय खोजता हूं

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

कुंवर जू
तेवर उन के लिये हैं जो घृणा फ़ैला रहे हैं

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहद धमाकेदार वापसी

बेनामी ने कहा…

ये हुई ना बात!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मैं तो आज ही आया हूँ..... पूरा माजरा अब पता चला है.... डिटेल में.... अभी आपको फोन करता हूँ....

समयचक्र ने कहा…

गिरीश जी आज आपकी पोस्ट देखकर तबियत खुश हो गई है .... ये निर्णय भी सही लगा की जब तक ब्लागिंग करेंगे हर ईट का जबाब देंगे... आभारी हूँ . यदि कोई अशोभनीय भाषा का प्रयोग करें . शारीरिक विकलांगता को लेकर मानसिक स्थिति कोई खराब करने की कोशिश करें तो उसे मुंहतोड़ जबाब देंगे.. आभारी हूँ .. ब्लागिंग में रण क्षेत्र की डटे रहें ...यही ऐसे लोगो को माकूल उचित जबाब होगा.

आपका भाई
महेंद्र मिश्र

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

महेंद्र भैया महफ़ूज़ भाइ
शुक्रिया
अब ये सारे समझ ही गये होगें कि ब्लाग की दुनियां में कोई आल माईटी नहीं यदि सकारात्मक लेखन है टुच्चाई नहीं है तो उनको सर पर बैठाया जावेगा वरना प्रायोजकों प्रायोजितों सभी को इसी तरह बेनका़ब करेंगे
अब ..."हम लोग"

बेनामी ने कहा…

आश्चर्य ! आप जैसा व्यक्ति किसी के कहने से आहत हो गए? वो तो यही चाहते हैं,आप विचलित हों,आप हर्ट हो. उन्हें यूँ जीतने ना दीजिए गिरीशजी.
आप,समीर दादा,हम सब कहीं नही जायेंगे,कभी नही जायेंगे.
हाँ अपने लक्ष्य से ना भटकें हम.
हम यहाँ साहित्य की सेवा करने,अपने लेखन और लेखक के लिए आये हैं .ये सब .........ये सब अच्छा नही हो रहा भैयाजी.
क्यों ना हम सब मात्र लिखने पर अपना ध्यान लगा दें फिर से?
और एक दुसरे को निखारने में अपने टेलेंट का उपयोग करें?
शुभ कामनाएं

राजीव तनेजा ने कहा…

स्वागत है पुन: वापसी के लिए

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

प्रणाम इन्दु ताई
यही प्रयास करता आया हूं किन्तुय पिछले कै दिनों से गलीच लोगों को ब्लागिंग में आया देख हतप्रभ हूं. आप ने देखा होगा कि हम सभी बेहतर ब्लागिंग के लिये कोशिश करते हैं किंतु ये ट्राल किस्म के लोग खैर अब कोई बात नहीं आप सब साथ हैं उम्दा काम करूंगा

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

शुक्रिया राजीव भाई

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

गिरीश भाई, आपने मेरे अनुरोध को विनम्रतापूर्वक स्‍वीकार करके अपने विशाल दिल का परिचय दिया है। मैं सदा सच्‍चाई के साथ हूं। जब भी ऐसी कोई हरकत करे, आप मुझे बस सूचित भर कर दिया करें। वैसे मैं बहुत इंसानियत पसंद और प्‍यार से ही सबको जीतने में विश्‍वास रखता हूं। प्‍यार से बड़ा कोई अस्‍त्र शस्‍त्र न हुआ है और न ही होगा।

राम त्यागी ने कहा…

Welcome Girish Jee

सर्वत एम० ने कहा…

परख हो गयी ना! ब्लॉग पर सभ्य, सुशील, विद्वान, शिक्षित एवं संस्कृत दिखने वाले लोग, अगर अपने असली रूप में सामने आते हैं तो दुःख किस बात का? आवरण ओढ़ने से से सभ्यता नहीं आती. माँ-बाप द्वारा दिए गए संस्कारों की अवहेलना करने वालों के चरित्र पर हमें इमोशनल नहीं होना चाहिए. फिर जब हम ही मैदान से हट जाएँगे तो कब्जा ही ऐसे लोगों का हो जाएगा.
आइन्दा ऐसे निर्णय न लें.
ब्लॉग (हमाम) में सभी नंगे नहीं हैं.
वापसी मुबारक,
मुस्कुराएँ,
आयोडेक्स मलें,
काम पर चलें.
:)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

गिरीश जी, आपकी बेबाक शैली पसंद आई। वैसे आप फोटो में काफी स्मार्ट लग रहे हैं।

Unknown ने कहा…

sir ji aapko dekh kar accha laga ...aise hi likhte rahe yahi kamna karta hun ...

राजकुमार सोनी ने कहा…

छत्तीसगढ़ की दो करोड़ 20 लाख जनता की तरफ से आपको बधाई।

शरद कोकास ने कहा…

दुष्ट्ता और पाखंड के खिलाफ हम सब साथ है ।

अन्तर सोहिल ने कहा…

आपका धन्यवाद
हमें जरूरत है आपकी

प्रणाम

अन्तर सोहिल ने कहा…

अरे ये तो अब पढा
मेरी कीमत दुगनी हो गई :-)

Wow.....New

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