लो भाई सानिया मिर्ज़ा को और उनके परिवार भोपाल की एक समाजी संस्था ने कौम से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. ?ये खबर सानिया मिर्ज़ा दूल्हे मियां सोएब मलिक और सानिया के अम्मी अब्बू की सेहत पर कितना असर डालती है कोई नहीं जानता किंतु अध्य्क्ष कल्लू पहलवान ज़रूर प्रदेश भर में छाये रहे दिन भर . मियां कल्लू पहलवान कुछ भी कल्लो बो तो ले गिया भिया पैले से इतिल्ला कर देते शोयेब को और सानिया को तो शायद वो आपकी पेलवानी {”पहलवानी”} का मान रख लेते भाई मियां ! अब क्या जाओ रमजानी के टपरे से ज़र्दे वाला पान लियाओ आज़ अखबार में नाम छपा है शायद मुफ़्त में इज़्ज़त सहित रमज़ानी गिलौरी पेश करे ...
भाई- मियां हम तो सुनते हैं ये गीत भाई
भाई- मियां हम तो सुनते हैं ये गीत भाई
9 टिप्पणियां:
chaliye jane diziye inhe.. ye koi mudda to nahin. aap kabse gupshup aur chatpati chatniyon me yakeen karne lage.
हा हा हा
दीपक भाई कल से दिमाग खराब था आज़ ज़रा चुहल करने की सूझी
दिन भर से वाम पंथ और नक्सलवाद पे करारी चोट करता आलेख लिखा था फ़िर सोचा कल पोस्ट
करता हूं
Deepak ki baat solah aane sahi, isi liye to ham bhi ab door hi rahne lage hain in baaton se...hamein kya..!!
KAAZI JI DUBLE KYUN HUE....?
SHAHAR KI CHINTA MEIN...
DHOOL DAALON INPAR, JAB INKO HINDUSTAANIYON KI CHINTA NAHI TO FIR HAMEIN KYA ??
HAAN NAHI TO...!!
सही है-कभी कभी चुहल कर लेना भी स्वास्थय के लिए अच्छा रहता है. :)
"सिर्फ अपने से सरोकार रखने में ही भलाई है!"
सभी का अभिवादन
bahut badiya chuhal hai janab badhai aapko kam se kam hansa tu diya aapne janta janrdan do
लिमिटि भैया
हम सब कल्लू पेलवान का नागरिक अभिनंदन करें ठीक होगा न..?
हा हा ये हुई ना बात। बाक़ी इस गाने का अब्दुल्ला (राजकपूर साहब) ज़रा फ़ेवरेबिल किस्म का था। कल्लू पहलवान टाइप नॉन फ़ेवेरेबिल टाइप का नहीं। क्या ओपीनियन है मुकुल भाई आपकी ?
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