वापस आ जाओ आस्तीन में
प्रिय तुमने जबसे मेरी आस्तीन छोड़ी तबसे मुझे अकेलापन खाए जा रहा है । तुम क्या जानो तुम्हारे बिना मुझे ये अकेला पन कितना सालता है । हर कोई ऐरा-गैरा केंचुआ भी डरा देता है।
भैये.....साफ-साफ सुन लो- "दुनियाँ में तुम से बड़े वाले हैं खुले आम घूम रहें हैं तुम्हारा तो विष वमन का एक अनुशासन है इनका....?"जिनका कोई अनुशासन है ही नहीं ,यार शहर में गाँव में गली में कूचों में जितना भी विष फैला है , धर्म-स्थल पे , कार्य स्थल पे , और-तो-और सीमा पार से ये बड़े वाले लगातार विष उगलतें हैं....मित्र मैं इसी लिए केवल तुमसे संबंध बनाए रखना चाहता हूँ ताकि मेरे शरीर में प्रतिरक्षक-तत्व उत्पन्न विकसित हो सके.
जीवन भर तुम्हारे साथ रह कर कम से कम मुझे इन सपोलों को प्रतिकारात्मक फुंकारने का अभ्यास तो हों ही गया है।भाई मुझे छोड़ के कहीं बाहर मत जाना । तुम्हें मेरे अलावा कोई नहीं बचा सकता मेरी आस्तीनों में मैनें कईयों को महफूज़ रखा है। तुम मेरी आस्तीन छोड़ के अब कहीं न जाना भाई.... । देखो न आज़ कल तुम्हारे विष के महत्व को बहु राष्ट्रीय कम्पनीयां महत्व दे रहीं हैं.वे तुम्हारे विष को डालर में बदलने के लिए लोग तैयार खड़े हैं जी । सुना है तुम्हारे विष की बडी कीमत है । तुम्हारी खाल भी उतार लेंगें ये लोग , देखो न हथियार लिए लोग तुम्हारी हत्या करने घूम हैं । नाग राज़ जी अब तो समझ जाओ । मैं और तुम मिल कर एक क्रांति सूत्र पात करेंगें । मेरी आस्तीन छोड़ के मत जाओ मेरे भाई।
मुझे गिरीश कहतें हैं कदाचित शिव का पर्याय है जो गले में आभूषण की तरह तुमको गले में सजाये रहते हैं हम तो बस तुमको आस्तीन में बसा लेना चाहतें हैं. ताकि वक्त ज़रूरत अपनी उपलब्धियों के वास्ते ‘पक्के-वाले‘ मित्रों के सीनों पर लोटने तुमको भेज सकूं . ये पता नहीं किस किस को सीने पे लोटने की अनुमति दे रहे हैं आज़कल ?
प्रिय विषधर, अब बताओ तुम्हारे बिना मेरा रहना कितना मुश्किल है. कई दिनों से कुछ दो-पाया विषधर मुझे हडकाए पडे हैं मारे डर के कांप रहा हूं. अकेला जो हूं ..... हम तुम मिलकर शक्ति का भय दिखायेंगे . तुम्हारा विष ओर मेरा दिमाग मिल कर निपट लेंगें दुनियां से इसी लिये तो दोस्त तुमसे अनुरोध कर रहा हूं दोस्त ज़ल्द खत मिलते ही चले आओ ......वरना मुझे तुमको वापस लाने के सारे तरीके मालूम हैं.
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टिप्पणियाँ
गिरीश, सन्देह है कि इन दो-पाये विषधरों से तो तुम्हें तुम्हारा साधारण विषधर बचा पायेगा या नहीं?
शुक्रिया
बात तो सही कहे हैं आप
लीजिये महफूज़ जी देखी अपनी धाक .....हर जगह आप के ही चर्चे हैं .....!!
आखिर ये महफूज़ भाई गए कहाँ जो आप वापस बुला रहे हैं ....??
अगर गए हैं तो आ भी जायेंगे .....टी शर्ट लेकर ....
सच्ची भाग निकला मुआ
हकीर जी
वैसे सारे निशाने सटीक गये !
मिश्रा जी
शिव का तो ब्रह्माण्ड सुना था आप बता रहे हैं कोई नगरी भी है.... यही कह रही है पोस्ट....... वैखरी में लिखी ज़रूर है फ़िर भी परा-ध्वनियां स्पस्ट सुनाई दे रहीं हैं सुनने की कोशिश तो कीजिये शायद कुछ हाथ लग जाये
waah kya likha sir...maza aa gaya....
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत बढ़िया
जरा देखिए, कहीं वे ना डेरा डाल दिए हों।
लेकिन आप कब से संपेरे हो गए
यह समझ में नही आया दादा
सांप वापस आ गया है उसने बताया कि आप की शिनाख्त के वास्ते गया था .्मुझे आपका बायोडाटा दे दिया उसने
हा हा हा
इन्हीं लोगों ने ले लीन्हा, सर्पट्टा तेरा
हमरी ना मानो, महफ़ूज़वा से पूछो
जिसकी अदा ने हाय छीना, सर्पट्टा तेरा