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मार्च, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ ।

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स्वर्गीय भवानी दादा का यह गीत उनके जन्म  दिवस पर  पूर्णिमा जी के प्रयास से भवानी दादा की स्मृतियां  '' अनुभूति पर '' उपलब्ध है मेरी आवाज़ में सुनिए गीत फरोश  __________________________________________________________ Go To FileFactory.com ____________________________________________________________ मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ ; मैं क़िसिम-क़िसिम के गीत बेचता हूँ । जी, माल देखिए दाम बताऊँगा, बेकाम नहीं है, काम बताऊंगा; कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने, कुछ गीत लिखे हैं पस्ती में मैंने; यह गीत, सख़्त सरदर्द भुलायेगा; यह गीत पिया को पास बुलायेगा । जी, पहले कुछ दिन शर्म लगी मुझ को पर पीछे-पीछे अक़्ल जगी मुझ को ; जी, लोगों ने तो बेच दिये ईमान । जी, आप न हों सुन कर ज़्यादा हैरान । मैं सोच-समझकर आखिर अपने गीत बेचता हूँ; जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ । यह गीत सुबह का है, गा कर देखें, यह गीत ग़ज़ब का है, ढा कर देखे; यह गीत ज़रा सूने में लिखा था, यह गीत वहाँ पूने में लिखा था । यह गीत पहाड़ी पर चढ़ जाता है यह गीत बढ़ाये से ब

अश्लीता को बढा रहा है इलैक्ट्रानिक मीडिया :लिमिटि खरे पुनर्प्रस्तुति

Go To FileFactory.com प्रहरी लाइव के परिकल्पनाकार कनिष्क जी ने सुझाया है ये प्लेयर देखिये और बताइये कैसा लगा

सफ़ेद मुसली खिलाडियों के वरदान और खिलाड़ी अनजान : अलका सरवत मिश्रा

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अलका सरवत मिश्रा   भारत में जडी-बूटियों का अनुप्रयोग औषधि के रूप में किया जाना सदियों से ज़ारी है किंतु उपेक्षा की सुईंयां अक्सर चुभा दीं जाती हैं  इन कोशिशों और कोशिश में लगे लोंगों को....! फ़िर भी हौसलों के ज़खीरे लिये ये लोग अपने अपने मोर्चे पर तैनात हैं. चाहे  बाबा रामदेव  अथवा  अलका सरवत मिश्रा  ............ जो  जडी-बूटियों से जीवन को बेहतर बनाने की कोशिशे जारी रखे हुये हैं  अलका जी एक ऐसे विषय पर लिखतीं हैं जिसकी ज़रुरत आज हर व्यक्ति को है वे अपने सारे शोध-आलेख ब्लॉग  मेरा समस्त पर पोस्ट करतीं हैं तथा आभार व्यक्त करतीं हैं  हिंद युग्म  वाले  शैलेश भारतवासी  का जिन्हौने उनको एक   लोक प्रिय ब्लॉगर बनाया. इसी दौरान हमसे रहा न गया हमने ज़नाब सरवत ज़माल जी से बात चीत भी की                 सरवत ज़माल साहब                                

तापसी नागराज नई-दुनिया द्वारा नायिका 2010 अवार्ड हेतु नामांकित

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Tapsi Nagraj nominated for Naika Award in Art  & Culture category by NAI-DUNIYA JABALPUR kindly suport send your  vote by your  sms type  NVJ22 & send it to 53434

अनिता कुमार जी को जन्म-दिवस का संगीत भरा उपहार

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अनिता कुमार जी का  जन्म-दिवस 18 मार्च 2010 को आया किन्तु व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण वे आन लाइन नहीं हुईं थी. फिर एम टी एन एल की ब्राड-बैंड सेवा ने उनको नेट पर आने न दिया और आज जब वे नेट पर आई तो हमने थमा दिया ये उपहार आप भी खो जायेंगे इस उपहार मंजूषा को खुलता देख मुझे यकीन है ......आपको यकीन न हो तो लगाइए एक चटका नीचे डिव-शेयर प्लेयर पर या एक क्लिक संवाद एवं विमर्श पर किन्तु एक महत्त्व पूर्ण सूचना यह देनी ज़रूरी कि अनिता जी का सबसे  मनपसंद गीत फिल्म मेरे महबूब फिल्म से है  जिसे यहां यू-ट्यूब पर देखा-सुना जा सकता है   आभारी  हूँ :- इन डाट काम का और श्री बी एस पाबला जी के इस प्रयास का  और  अब आपका जो इसे सुन रहे हैं 

समयचक्र को निरंतरता देता एकलव्य बनाम महेन्द्र मिश्र पाड्कास्ट भाग एक

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ऐसा नहीं है कि आज एकलव्य की अनुकृतियां न हों  अन्तस से भावुक, सदैव तत्पर महेन्द्र मिश्र अपने आप में एक जोरदार व्यक्तित्व को जी रही हैं.... आप सुनिये उनसे उनके दिल की बात आज़ उनकी वसीयत ज़रूर देखिये उनके ब्लाग ” समयचक्र ” पर...... .शहीद भगत सिंह को याद किया उनने निरंतर पर . मिश्र जी में  भोले भाले शिव के अंश को नकारना गलत होगा........... किंतु शान्त चित्त हो कर जब वे सृजन करतें हैं तो बस भूल जाते हैं समय को भूलें क्यों न समयचक्र चला भी तो रहे हैं वे ही. 

अश्लीता को बढा रहा है इलैक्ट्रानिक मीडिया :लिमिटि खरे

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लिमिटि खरे का कथन गलत है ऐसा कहना भूल होगी रोज़नामचा वाले लिमिटि जी के बारे में जो प्रोफ़ाइल में है ठीक वैसा ही व्यक्तित्व जी रहे. लिमटी खरे LIMTY KHARE हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किया है। हमने पत्रकारिता 1983 में सिवनी से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर में अनेक अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा इस प्रोफ़ाइल से इतर तेवर नहीं है लिमिटि जी के. यकीं न हो तो आप खुद सुनिये

आभास जोशी से एक मुलाक़ात

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29 मार्च 2010 आभास  के  जन्म दिवस पर अग्रिम रूप से हार्दिक-शुभ कामनाओं के साथ आज का पाडकास्ट प्रस्तुत है.आभास ने साक्षात्कार के दौरान बताया कबीर को गायेंगे आभास संगीतकार होंगें श्रेयस  जी     भावों की हाथ सलाई ले हम शब्द बुने तुम सुर देना *********************** जीवन के सफर में हमने भी  भी कुछ सपन बुनें तुमको लेकर . कुछ स्वपन मेरे थे मुक्त गीत कुछ सपनों के तीखे तेवर ..? मन की पीडा जब गीत बने श्रेयस होगा तुम सुर देना ...!! ************************* आभास मुझे था जीवन में कुछ ऐसा हम कर जाएंगे देंगें इक मुट्ठी दान कभी भर-भर के झोली पाएँगें ..! जब मन इतराए बादल सा तुम सावन का रिम झिम सुर देना !! _____________________________________ आभास और मेरे साथ हिंद युग्म पाडकास्ट [पृष्ठ आवाज़ पर ] की बातचीत सुनने यहाँ क्लिक कीजिये

जाग उठा मातृत्व उसका अमिय-पान भी कराया उसने

रेखा श्रीवास्तव जी की कहानी उनके ब्लॉग यथार्थ पर अमृत  की  बूंदे   पढ़कर   मन के एक कोने में  छिपी कहानी उभर आई ..यह कथा बरसों से मन के कोने में .छिपी थी  उसे  आज आप-सबसे  शेयर कर रहा हूँ. दुनियाँ भर की सारी बातें फ़िज़ूल हैं कुछ भी श्रेष्ठ नज़र नहीं आती जब आप पुरुष के रूप में शमशान में अंतिम विदा दे रहे होते हैं....... तब आप सारी कायनात  को एक न्यायाधीश की नज़र से देखते हैं खुद को भी अच्छे बुरे का ज्ञान तभी होता है . और नारी को अपनी  श्रेष्टता-का अहसास भी तब होता है जब वह माँ बनके मातृत्व-धारित करती है. कुल मिला कर बस यही फर्क है स्त्री-पुरुष में वर्ना सब बराबर है हाँ तो वाकया उस माँ का है जो परिस्थित वश एक ही साल में दूसरी बार माँ बन जाती है कृशकाय माँ पहली संतान के जन्म के ठीक नौ माह बाद फिर प्रसव का बोझ न उठा सकी. और उसने  विदा ले ही ली इस दुनिया से . पचपन बरस की विधवा दादी के सर दो नन्हे-मुन्ने बच्चों की ज़वाब देही ...........उम्र के इस पड़ाव पर कोई भी स्त्री कितनी अकेली हो जाती है इसका अंदाजा सभी लगा सकते हैं किन्तु ममतामयी देवी में मातृत्व कभी ख़त्म नहीं होता. उस स्त्री का मातृत्

आडियो कांफ्रेंस: सुनिये पंडित रूप चन्द्र शास्त्री मयंक [खटीमा,उत्तरांचल ],स्वप्न--मंजूषा[कनाडा],कार्तिक-अग्निहोत्री[सहारा-समय,जबलपुर],और गिरीश

 अभी  आप  ने सुनिये  पंडित रूप चन्द्र शास्त्री मयंक [खटीमा,उत्तरांचल ],स्वप्न--मंजूषा[कनाडा],कार्तिक-अग्निहोत्री[सहारा-समय,जबलपुर],तथा मेरी वार्ता. शास्त्री जी की कविता जो संभवत: स्पष्ट न सुनाई दे रही हो अत: पाठ्य-रूप में देखिये नही जानता कैसे बन जाते हैं, मुझसे गीत-गजल। जाने कब मन के नभ पर, छा जाते हैं गहरे बादल।। ना कोई कापी या कागज, ना ही कलम चलाता हूँ। खोल पेज-मेकर को, हिन्दी टंकण करता जाता हूँ।। देख छटा बारिश की, अंगुलियाँ चलने लगतीं है। कम्प्यूटर देखा तो उस पर, शब्द उगलने लगतीं हैं।। नजर पड़ी टीवी पर तो, अपनी हरकत कर जातीं हैं। चिड़िया का स्वर सुन कर, अपने करतब को दिखलातीं है।। बस्ता और पेंसिल पर, उल्लू बन क्या-क्या रचतीं हैं। सेल-फोन, तितली-रानी, इनके नयनों में सजतीं है।। कौआ, भँवरा और पतंग भी, इनको बहुत सुहाती हैं। नेता जी की टोपी, श्यामल गैया बहुत लुभाती है।। सावन का झूला हो' चाहे होली की हों मस्त फुहारें। जाने कैसे दिखलातीं ये, बाल-गीत के मस्त नजारे।। मैं

'' कुपोषण कोई बीमारी नहीं, बल्कि बीमारियों को भेजा जा रहा निमंत्रण पत्र है

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जी हाँ एक अखबार में प्रकाशित  समाचार में  शिशु उत्तर जीविता के मसले पर सरकार द्वारा उत्तरदायित्व पालकों का नियत करना अखबार की नज़र में गलत है. इस सत्य को   अखबार चाहे जिस अंदाज़ में पेश करे  यह उनके संवाद-प्रेषक की निजी समझ है तथा यह उनका अधिकार है......! .  किन्तु यह सही है  कि अधिकाँश भारतीय ग्रामीणजन/मलिन-बस्तियों के निवासी  लोग महिलाओं के प्रजनन पूर्व  स्वास्थ्य की देखभाल और बाल पोषण के मामलों में अधिकतर उपेक्षा का भाव रखते हैं . शायद लोग इस मुगालते में हैं कि सरकार उनके बच्चे की देखभाल के लिए  एक एक हाउस कीपर भी दे ...? बच्चे को जन्म देकर सही देखभाल करना पालकों की ज़िम्मेदारी है अब तो क़ानून भी स्पष्ट है  . वर्ष 1990 में मेरे एक पत्रकार मित्र ने मुझसे यही कहा था.मित्र को मैंने कहा था कि पिताओं और परिवार के मुखिया की प्राथमिकता में  ''महिलाओं के प्रजनन पूर्व  स्वास्थ्य की देखभाल और बाल पोषण सबसे आख़िरी बिंदु है...! उनको यकीं न हुआ तब  हमने संयुक्त रूप से कांचघर चुक जबलपुर की पहाड़ी पे बसी  शहरी गन्दी बस्ती का संयुक्त भ्रमण किया दूसरे दिन उनने छै कालमी रिपोर्ट का शीर्षक

मीडिया का अनुपूरक है ब्लॉग : पियूष पांडे

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चैत्र-नवरात्रि साधना पर्व पर सभी का हार्दिक अभिनन्दन है . मित्रों कल मेरे एलबम बावरे-फकीरा को  रिलीज़ हुए पूरा एक वर्ष हो गया है. इस सूचना के साथ बिना आपका समय जाया किये सीधे आदरणीय पियूष पांडे जी से आपकी मुलाक़ात कराना चाहूंगा हिन्दी ब्लागिंग को लेकर कतिपय साहित्यकारों की टिप्पणियों को उनकी व्यक्तिगत राय मानने वाले पांडे जी से उनकी कविताएँ भी इस पाडकास्ट में उपलब्ध हैं.   हिन्दी लोक के प्रस्तोता की पसंद शायद आपकी  पसंद भी हो                  

लावण्या शाह जी से मुलाक़ात और जबलपुर में हुई ''प्रेस-ब्लागर्स-भेंट''

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जबलपुर में हुई ब्लागर्स-मीडिया कर्मियों की मेल मुलाकात की रिपोर्ट ऊपर है   अब सुनिए लावण्या शाह जी से हुई बातचीत के दौरान  लावण्या जी ने पंडित नरेद्र शर्मा जी के संस्मरण एवं लता जी के बारे में खूब और खुल के बातचीत की फ्रीज़ वाला संस्मरण खुर्जा के संत की दिव्यता को उजागर करता है . फिल्म सत्यम सुन्दरम के कालजयी गीत 'सत्यम-शिवम् सुन्दरम' लावण्या जी रिकार्ड होते सुना  है लावण्या जी ने बताया कि यह गीत लता जी ने एक ही बार में लगाता रिकार्ड करा दिया था बिना किसी संशोधन के . इस गीत का अध्यात्मिक पहलू भी है जिसका ज़िक्र भी इस चर्चा में उजागर हुआ. तो सुनिए यह मेरे लिए ऐतिहासिक पाडकास्ट  एक गीत जो रेडियोनामा से साभार लिया गया पेश है नाच रे मयूरा! खोल कर सहस्त्र नयन, देख सघन गगन मगन देख सरस स्वप्न, जो कि आज हुआ पूरा ! नाच रे मयूरा ! गूँजे दिशि-दिशि मृदंग, प्रतिपल नव राग-रंग, रिमझिम के सरगम पर छिड़े तानपूरा ! नाच रे मयूरा ! सम पर सम, सा पर सा, उमड़-घुमड़ घन बरसा, सागर का सजल गान

अखबार और ब्लॉग एक दूसरे के अनुपूरक है:चित्रांजलि

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छायाचित्र :महेद्र मिश्रा

पॉडकास्ट कांफ्रेंस : अदा जी, दीपक मशाल और मैं

महफूज़  मियाँ   का  एकाएक गायब  होना फिर जबलपुर में अवतरित होना अपने आप में एक चमत्कारिक घटना रही है. इन सब बातों को लेकर एक अन्तराष्ट्रीय संवाद हुआ जिसमें ''बेचारे-कुंवारे हिन्दी ब्लागर्स की दशा और दिशा'' पर भी विमर्श किया गया अदा जी जो जो कविता का डब्बा यानी  ''काव्य-मंजूषा'' की मालकिन हैं तथा स्याही और कागज़ के मालिक दीपक मशाल से मेरी बात हुई क्या खूब पायी थी उसने अदा, ख्वाब तोड़े कई आंधिओं की तरह. कतरे गए कई परिंदों के पर, सबको खेला था वो बाजियों की तरह. हौसला नाम से रब के देता रहा, औ फैसला कर गया काजिओं की तरह. ________________________________ अनुराग शर्मा जी के स्वर में सुनिए कहानी  यहाँ हिंद-युग्म के आवाज़ पर  ________________________________

गुमशुदा की तलाश

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ये हैं श्रीमान महफूज़ अली उम्र बहुत कमसिन   इन की तलाश में गायब हैं ब्लागिंग नहीं कर रहे हैं कई दिनों से इनका फोन भी नहीं लग रहा है खोजी उड़न-तश्तरी तक   ने  हाथ खड़े कर दिए  तब ब्रिगेड का एक जत्था रवाना किया गया है  जल मार्ग से 

एक भोर जो बदल देती है सोचने का अंदाज़

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महिता आरक्षण बिल के पारित होने का हर्ष इस  कविता  में आज की भोर का  अभिवादन करती हिन्दुस्तान की आधी आबादी को हार्दिक शुभ कामनाएँ    एक भोर जो बदल देती है सोचने का अंदाज़ जब ले आती है साथ  अपने परिवर्तन के   सन्देश प्रतिबंधित/विलंबित स्वपनों को  देखने के आदेश सच कितनी  बाधाएं आतीं हैं सांस लेने के अधिकार को अनुमति मिलने में ? ************************** आज शक्ति को शक्ति मिल ही गई हाँ आज की भोर अखबारों के माथे पर हमारी जीत का गीत लिख कर लाई है हमारी सोच ने नई उंचाइयाँ  पाई  हैं ! मन  कहता है......... अभी तो ये ............................      [चित्र साभार चित्र एक : दैनिक भास्कर ]

आज पोडकास्ट ? सॉरी कल आज तो ये देखिये

जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं जे जो आप आदमी देख रए हो न उस शहर से आया है जिधर शामें बदन पे फफोले उगातीं हैं सूरज शोलों सा इनके ही शहर से और तो और ठीक इनके मकान के ऊपर से निकलता है. तभी देखोन्ना............इनका चेहरा झुलसा हुआ आग उगलता नज़र आ रिया है. सारे नकारात्मक विचार इनकी पाज़िटीविटी जला के ख़ाक ख़ाक कर चुकें हैं ! गोया ये ये नहीं सोई हुई आग को अपने में समोए गोबर के उपले से नज़र आ रहे हैं . कुंठा की खुली दूकान से ये महाशय अल सुबह से कोसन मन्त्र का जाप करतें हैं . तब कहीं कदम ताल या पदचाप करतें हैं . जी हाँ ...!! ज़मूरे खेल बताएगा बताउंगा उस्ताद इस आदमीं की जात सबको बताएगा ? बताउंगा...! कुछ छिपाएगा....? न उस्ताद न तो बता ........ आज ये कितनों की निंदा करके आया है ..? उस्ताद............आज तो जे उपासा है...! देखो न चेहरा उदास और रुआंसा है......!! हाँ ये बात तो है पर ऐसा क्यों है....! उस्ताद इसकी बीवी का भाई इसके घर आया था बीवी को ले गया आज ये घर में अकेला था मन बहलाने बाजीगरी देखने आ गया...! नहीं मूर्ख ज़मूरे ये अपनी बाजीगरी कला का पेंच निकालेगा उस्ताद बड़े पहुंचे हुए

स्त्री-विमर्श के लिए वास्तविक-विषय वस्तु को खोजें इस चर्चा में

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शिखा वार्ष्णेय जी से आज  भारतीय एवं पश्चिमी परिवेश में  हुई बातचीत से यह तय हो गया है की स्त्री-विमर्श की विषय वस्तु जो आजकल संचार माध्यमों पर हावी है वो कदापि उपयुक्त नहीं है. आज उनके ब्लॉग स्पंदन पर जो कविता है उसमें जो भी कुछ शामिल है वो है उंचाइयो की तलाश और खुली हवा की अपेक्षा. बंद खिड़की के पीछे खड़ी वो, सोच रही थी कि खोले पाट खिड़की के, आने दे ताज़े हवा के झोंके को, छूने दे अपना तन सुनहरी धूप को. उसे भी हक़ है इस आसमान की ऊँचाइयों को नापने का, खुली राहों में अपने , अस्तित्व की राह तलाशने का,[आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये  ]            शिखा वार्ष्णेय जी के अंतस में पल रही कवयत्री का दर्शन देखिये उनकी ही इन पंक्तियों  में अपने लिए उठे ये हाथ , तो शिखा! क्या बात हुई होगी दुआ कुबूल, जो कर किसी बेबस के वास्ते आइये स्त्री-विमर्श के लिए वास्तविक-विषय वस्तु को खोजें इस चर्चा में  चित्र एक में पर्यवेक्षक श्रीमती सुषमा मांडे ने कुपोषण से जूझने के तरीके बताये और नीचे चित्र में प्रोबेशनर आई ए एस डाक्टर मधुरानी तेवतिया ने भी सुदूर गाँव में मनाये जा रहे महिला दिवस कार्यक्रम में र

अदा जी ने ले ही लिया इंटरव्यू हमारा

आज सुबह  सवेरे  ललित जी पाबला जी से प्राप्त  स्नेहिल शुभ कामनाएँ और शाम की आहट के साथ पाबला जी के  ब्लॉग एवं +९१९८७०८०७०७० एस एम एस के ज़रिये सूचना के प्रकाशित एवं प्रचारित होते ही कि आज मेरे विवाह की साल गिरह है ढ़ेरो शुभ-कामनाएँ अंतरजाल की दुनियाँ से प्राप्त हुईं सभी का शुक्रिया अदा जी ने मुझे पकढ़ ही लिया और ले ही लिया इंटरव्यू हमारा   साथ ही इन स्नेही मित्रों को मित्रानियों /पूज्यों के प्रति कृतज्ञता  काजल कुमार जी संगीता पुरी जी दिनेशराय द्विवेदी जी कुलवंत  हैप्पी ललित शर्मा जी ,  वन्दना जी ,  Vivek रस्तोगी जी उड़न  तश्तरी जी ,  राकेश कौशिक जी  ,  उन्मुक्त जी ,    ताऊ रामपुरिया जी ,  धीरू सिंह जी ,  महेन्द्र मिश्र जी ,  रश्मि  रविजा ,  राज भाटिय़ा दादाजी , ' अदा जी     सिद्धार्थ जोशी जी    praween trivedi ji

हौसलों का सागर :शायर अशोक

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शायर  अशोक   उम्र: 23 मुजफ्फरपुर  : बिहार  के भाई अशोक का सपना है की बैंक में प्रोबेशनरी अधिकारी बनें,दोनों पैरों के बगैर भागती भटकती दुनिया में जाने कब से वो मेरे साथ हो लिए मुझे इस बात का ज्ञान नहीं था उनने बताया की वे आरकुट  से मुझे फालो कर रहें हैं और अब तो ब्लागिंग भी करने लगे हैं . अशोक जी  को पसंद है क्रिकेट और किशोर कुमार के गीत . शायर अशोक का ब्लॉग है :-" कुछ एहसास - कुछ जज्बात " अशोक जी के लिएमेरी हार्दिकशुभ कामनाये आप भी चाहें तो अशोक जी से सवाल करने के लिए मुझे मेल कर सकतें हैं आइये सुनते हैं ये पॉड कास्ट :-

जबलपुर से लन्दन व्हाया दिल्ली एंड लखनउ !!''भाग-01 /भाग-02

मुझे ये मालूम था की जी टाक पर एक बार में सिर्फ एक साथी से बात हो सकी शायद आप भी ये जानते ही हैं किन्तु आज रश्मि रविज़ा जी का इन्तजार था . किन्तु उन्हैं अपने ब्लॉग मन का पाखी जिसका लिंक ये http://mankapakhi.blogspot.com है पर आय एम् स्टील वेटिंग फॉर यु शचि लिंक http://mankapakhi.blogspot.com/2010/03/1.html शीर्षक से लघु उपन्यास डालनी थी सो सवाल ही नहीं उठाता. ..... इस बीच एक ग़ुमशुदा मित्र महफूज़ भाई हरे दिखाई दिए उनको काल किया दुनिया ज़हान की बातें चल ही रहीं थीं कि जीटाक से आने वाली काल अविनाश वाचस्पति जी की थी . और फिर हम तीनों बातों में जुट गए . उधर महफूज़ भाई की बात शिखा जी से चल रही थी इस बात का खुलासा रिकार्डिंग के बाद महफूज़ भाई ने किया वे बात चीत में महफूज़ भाई के ज़रिये शामिल थीं आइये उनकी भेजी कविता को देखें लरजती सी टहनी पर झूल रही है एक कली सिमटी ,शरमाई सी टिक जाती है हर एक की नज़र हाथ बढा देते हैं सब उसको पाने को पर वो नहीं खिलती इंतज़ार करती है बहार के आने का कि जब बहार आए तो कसमसा कर खिल उठेगी वो आती है बहार भी खिलती है वो कली भी पर इस हद्द तक कि एक एक

ब्लॉग की लेखिका शैफाली पांडे से बातचीत

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             कुमायूं का सौन्दर्य और जीवन  की विवषताएं                      मास्टरनी नामा और कुमायूनी चेली ब्लॉग की लेखिका शैफाली पांडे से हुई बातचीत के दौरान  उन्हौने  बताया कि ये मैं क्यों बताऊँ आप स्वयं सुन लीजिये कुमाऊं  की बेटी के बारे में इतना ज़रूर कहूँगा कि वे पाजिटिव ऊर्जा से भरी हुईं हैं  _______________________________________________ _______________________________________________ कुमाउनी गीत का इंतज़ार कुछ देर के लिए कीजिये

''पाबला जी से खुली बातचीत !''

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______________________________________________ साथियो आपका हार्दिक अभिवादन, होली के पूर्व श्री बी एस  पाबला से खुल कर चर्चा हुई . किन्तु नेट एवं अन्य विवषताओं  के चलते पाडकास्ट पोस्ट न कर सका. सादर प्रस्तुत है.  आपसे पाडकास्ट  इंटरव्यू की  कमियों की ओर इंगित कर  मुझे मार्गदर्शन दीजिये  भवदीय मुकुल ______________________________________________

बवाल मिथलेश और अनीता कुमार जी एक साथ

यह एपिसोड होली के दिन रिकॉर्ड किया है जिसे हू ब हू पेश कर रहा याद आप यहाँ न सुन पाए तो ''इधर'' चटका लगाइए जी    _________________________________________________ प्रतीक्षा कीजिए शीघ्र ही होगी पाबला जी से धमाकेदार मुलाक़ात हिन्दी ब्लागिंग में जारी झंझावातों पर खुल के बोले पाबला जी  ________________________________________ 

सिद्धार्थ जोशी जी से मजाहिया भेटवार्ता

सिद्धार्थ जोशी जी से मजाहिया भेटवार्ता को कविता जी से हुई वार्ता के साथ लिंक्ड कर दिया था किन्तु शायद मित्र उनको नहीं सुन पाए आज इस वार्ता को पुन: प्रस्तुत कर रहा हूँ............