रस्तोगी जी की कई प्रेमिकाओं का नाम 'भावना' है

रस्तोगी जी की कई प्रेमिकाओं का  नाम 'भावना' है  यकीन नहीं है तो सुन लीजिये खुद ही इस पाडकास्ट में

टिप्पणियाँ

मैं अभी पूरा सुनता हूँ...पुराना भी काफी बचा हुआ है अभी सुनने को....फिर से अआता हूँ.... अभी तो पुराने पर भी कमेन्ट देना बाकी है....
रस्तोगी ज का स्वागत है.,..... इनका स्वागत है...

नमस्कार नमस्कार....
बिलकुल सही कहा आपने ...कुछ इंसान भी फूलों से खूबसूरत होते हैं....
विवेक जी की सच्‍ची भावनाओं से मिलकर, उन्‍हें सुनकर, मुकुल जी ने धुनकर, जो धुन छेड़ी है वो वास्‍तव में चितेरी है।
हे हे हे हे हे हे हे...वक़्त ने भांग छानने ही नहीं दिया....
हा हा हा हा हा हा...हाँ...धीरे से बता दीजिये..... प्लीज़.....
बहुत बढ़िया दोहा कहा आपने....

hehehehehehe...ham aapke kaun..... hahahahahahahaa
rashmi ravija ने कहा…
बहुत बढ़िया बातचीत...कविता तो क्या कहने...पत्नी श्री बड़ी भाग्यवान हैं :)..हमारी शुभकामनाएं
bahut hi acchi lagi Vivek ji aur aapki baat-cheet...Vevek ji ek sahriday vyakti hain...
khushi hui unse milkar..
शरद कोकास ने कहा…
रस्तोगी जी का दरवाज़ा खुला.. गिरीश जी किसी फूल की बात कर रहे हैं ( पता नही होली के मूड मे है अंग्रेजी का या हिन्दी का 0 अरे यह तो उज्जैन की होली की याद कर रहे हैं ..अपनी भी होली की सही-साट याद वही की है ..भंग घोटे वाली । रस्तोगी जी को गिरीश जी चेन्नई मे परिवार बनाने का आयडिया दे रहे हैं ( अच्छा है उन्होने नहीं सुना ) रस्तोगी जी ने घर पे कैमरा वेब कैम लगवा दिया है ..(खुद के पास है या नही यह उन्होने नही बताया )गिरीश जी ने एक बम फोड़ दिया है कि अनिता जी ने होली के लिये बहुत तैयारी कर रखी है और रस्तोगी जी नही बचने वाले । अब गिरीश जे ने एक दोहा पेल दिया ( शायद उन्हीका है?) अब रस्तोगी जी कविता पेश करने जा रहे हैं और गिरीश जी स्वरचित और स्वचोरित रचना का भेद बता रहे हैं ।
आगे का आपने सुन ही लिया होगा मै क्यों बताऊँ
हाँ! वेबकैम का तो अब बहुत यूज़ है....
हाँ ! यह तो है कि रंगों में प्यार छुपा होता.... बहुत खूब....
हाँ ...हाँ...जल्दी से सुनाइए कोई रचना....
जी...स्वरचित रचना ही भेजूंगा...
बताइए बताइए.... पक्का उन्ही के लिए ही ना लिखी थी....? हे हे हे हे ...
हाँ ... हाँ ... लिंक भेज दिज्ये...हा हा हा हा हा....हाँ! बड़े सहनशील हैं.... हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा....
बहुत सुंदर कविता....

हाँ! हाँ बताइए
कौन है...यह आराधना और कविता? अच्छा..... भावना भी है....हा हा हः अह अह अह अह हा हा हा अह हा हा हा ...
हाँ! पानी से और मिठाई से तो भांग का नशा तो और हो जाता है.... सब कुछ उड़ता हुआ नज़र आता है....
पूरी बात चीत..... बहुत अच्छी लगी......


रस्तोगी जी को नमन व नमस्कार.... आपको साधुवाद..... और आपका शुक्रिया....इतनी अच्छी बातचीत के लिए....
राज भाटिय़ा ने कहा…
टिपण्णी पहले लेलो फ़िर सुन लेता हुं.
धन्यवाद
Mithilesh dubey ने कहा…
मजा आ गया इनकी बातें सूनकर ।
@ शरद कोकास

स्‍वचोरित शब्‍द को हमने चुरा लिया है। अब इसे धड़ल्‍ले से किसी व्‍यंग्‍य में शामिल करेंगे या सिर्फ इसी एक शब्‍द पर बेचोरी का माल परोसेंगे।

मुकुल जी का ध्‍यान तो नहीं है न इस ओर ... वे तो होली की मस्‍ती में मस्‍त हैं।
Anita kumar ने कहा…
विवेक जी का इंटरवियु बहुत मजेदार रहा और होली का मजा दे गया, आप के प्रश्न भी बहुत बढ़िया रहे। विस्तार में टिप्पणी कल करेगें
रानीविशाल ने कहा…
Puri charcha bahut mazrdaar rahi ...Rastogiji ko sun kar accha laga ..unke hangame ki pratiksha rahegi! ab to hamane bhi maan liya ki ye rachana bhabhiji ke liye hi hai par girishji aapane bhi batchit me maza laa diya
Aapko bahut dhanywaad!
Udan Tashtari ने कहा…
45 सेकेंड के बाद कुछ सुन हीं नहीं पा रहे..अब सुबह कोशिश करेंगे..जब इतने सूरमा सुन चुके तो शायद हमारी मशीन ही गड़बड़ कर रही होगी.
@उडनतश्‍तरी जी,
मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था .. पेज को रिफ्रेश करने से पूरी बात सुनाई पड गयी .. आप भी ऐसा ही करके देखें !!
Anshu Mali Rastogi ने कहा…
ओहो... तो ये अपने विवेक भाई हैं।
मैं तो साला डर ही गया था कि मैं और प्रेमिकाएं...। कहीं मेरे भीतर भी नया टाइगर वुड्स तो पैदा नहीं होने लगा!!!
आप सबका स्नेह देखकर मेरी भावनाएँ भाव विह्ल हो गयी हैं। हाँ अंशु भाई सब रस्तोगी जी एक जैसे नहीं होते :)

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