23.9.09

बबली जी की टिप्पणी

   "जय माता दी " 
आज़ आपका ब्लाग देखा कई दिनों से बिज़ी था सो नए डवलप्मेंट बीस-पचीस बार घुटना खुजाने के बाद पकड पाया. फ़र्ज़ी नाम से अभद्र टिप्पणी करने वालों की "आत्मा" के मरने की खबर आपको मिल चुकी होगी. वैसे ब्लागिंग में आपसी पीठ खुजाउ प्रवृत्ति को सभी अच्छी तरह समझतें हैं. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा आप सरीखे ब्लागर से किसी की कोई "रार" हो सकती है. किंतु आपको एक बात साफ़ तौर पर बता दूं कि "कुछ गुरु चेला" हिंदी-ब्लागिंग की जिस प्रकार दुर्गति कर रहे हैं वैसी कल्पना किसी ने नहीं की थी. मुझे पुख्ता सूचना है कि हिन्दी ब्लागिंग में कुछ  "गिरोह" सक्रीय हैं जो ये सब कराते रहतें है. इससे उनको आनंद की अनुभूति ठीक वैसे ही होती है जैसे की -"किसी गधे को बैसाख माह में दूर तक घास चरने से होती है  "

आप के मुद्दे को लेकर  कल दिनांक 24 /09/09 को  रात्रि आठ बजे  सिटी-काफ़ी हाउस में एक शोक (खोज) सभा रखी गई है जिसका सारा खर्च मैं वहन करने जा रहा हूं आप सभी ब्लागराने-जबलपुर नाव पर बैठकर सादर आमंत्रित हैं.   बबली जी     की इन लाइनों को देखकर लगता नहीं की वे ही "हुन्गामा"  हैं

न तुमसे कोई शिकवा है और न कोई गम,
सिर्फ़ मेरा चेहरा देखा पर दिल नहीं देखा सनम,
याद हर पल आयेगी वो साथ गुज़रे मीठे पल,
जब जब सोचूंगी तुम्हें, आंखों से आंसू आयेंगे निकल !



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 प्रेम-शर्मा जी के आलेख पर टिप्पणी चस्पा कर के किसी विधर्मी ब्लागर ने उनके पुरुषत्व को चुनौती दे डाली. शर्मा जी न केवल सरनेम से शर्मा हैं वे वाकई में अनावश्यक विवादों का जोखिम नहीं उठाते यानि कुल मिला कर सादगी भरी है उनमें....उनके साथ जो हुआ दुखद है . और शर्मा जी को जब पता चला कि टिप्पणी कार का आई पी पता "बबली जी" का है और विवाद में उनका नाम आ रहा है तो "बबली जी " जो एक प्रतिष्ठित ब्लागर हैं को अपना पक्ष रखना ज़रूरी है .... ?
हो सकता है कि वे अभी बिज़ी हों किंतु ऐसा करना {अपना पक्ष रखना} ज़रूरी है.
रहा ब्लागजगत में इस प्रकार की घटनाओं का मामला सो बता दूं कि "कुछ लोग मैने भी चिन्हित किए हैं"-जो इस तरह के विवादों के जनक हैं ........... वैसे मुझे भी यकीन नहीं हो रहा कि बबली जी ये कर सकतीं हैं..... ? किंतु शर्मा जी भी उथले नहीं हैं उनकी सोच साफ़ है.




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10 टिप्‍पणियां:

शरद कोकास ने कहा…

समझ मे नही आया कि यह माज़रा क्या है ?

डा० अमर कुमार ने कहा…


गुरु-चेला चर रहे दूब घास,
या इलाही, ये माज़रा क्या है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह जी वाह....।
रेलम-पेल, ठेलम-ठेला।
खूब चल रहा खेला।
कौन गुरू, को चेला,
टिप्पणी करने वालों का तो,
लगा हुआ है मेला।।

Girish Billore "Mukul" ने कहा…

आदरणीय
सादर अभिवादन
प्रेम-शर्मा जी के आलेख पर टिप्पणी चस्पा कर के किसी विधर्मी ब्लागर ने उनके पुरुषत्व को चुनौती दे डाली. शर्मा जी न केवल सरनेम से शर्मा हैं वे वाकई में अनावश्यक विवादों का जोखिम नहीं उठाते यानि कुल मिला कर सादगी भरी है उनमें....उनके साथ जो हुआ दुखद है . और शर्मा जी को जब पता चला कि टिप्पणी कार का आई पी पता "बबली जी" का है और विवाद में उनका नाम आ रहा है तो "बबली जी " जो एक प्रतिष्ठित ब्लागर हैं को अपना पक्ष रखना ज़रूरी है .... ?
हो सकता है कि वे अभी बिज़ी हों किंतु ऐसा करना {अपना पक्ष रखना} ज़रूरी है.
रहा ब्लागजगत में इस प्रकार की घटनाओं का मामला सो बता दूं कि "कुछ लोग मैने भी चिन्हित किए हैं"-जो इस तरह के विवादों के जनक हैं ........... वैसे मुझे भी यकीन नहीं हो रहा कि बबली जी ये कर सकतीं हैं..... ? किंतु शर्मा जी भी उथले नहीं हैं उनकी सोच साफ़ है.

निर्मला कपिला ने कहा…

हमे भी कहानी समझ नहीम आयी जी बात साफ मरें तो बडिया रहेगा

निर्मला कपिला ने कहा…

ओह अब आपका स्पष्टीकरण पढा ये तो बहुत दुखद बात है वो भी श्रद्धेय प्राण शर्मा जी के साथ वैसे आज कल कई जगह देखा है कि किसी के नाम से आपको मेल आती है मगर जब उस आदमी से पूछ्ह जाता है तो उसे पता ही नहीं होता। ये गोरख धँधा समझ नहीं आता बेशक बबली किसी झगदे मे न पडती हों मगर उन्हें इस का स्पष्टी करण देना होगा। शर्मा जी जैसे देवता इन्सान के साथ ये क्रूर मज़ाक है। जिसका की डट कर भरत्सना की जानी चाहिये। आभार्

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

कपिला जी
सही है हैकर भी भेज सकते हैं ऐसी टिप्पणी मेरा संकेत उधर ही है.जो ये चाहतें हैं कि शर्मा जी और बबली जी में विवाद हो कोई फ़िर से टंकी पर चढे और भाई लोग मज़ा लें ऐसा कईयों के साथ हुआ है

Murari Pareek ने कहा…

किसी ने आपस में फुट डालने का काम किया है और वो लगभग सफल हो चुका है< यहाँ यह बात देखने लायाक है की बबली जी बंगाली हैं और उनकी भाषा में कहीं न कहीं वो टोन अवश्या आती अगर बबली जी ने ऐसा किया होता | अत: बबलीजी के प्रति ऐसा सोचने से पहले शर्माजी व अन्य को पूरी तरह सोच विचार करना चाहिए !!

Murari Pareek ने कहा…

National Anthem sun kar aanand aayaa bhai |

Urmi ने कहा…

मुझे तो इस बात पर आश्चर्य लग रहा है आखिर मुझ पर ऐसा घिनौना इल्ज़ाम क्यूँ लगाया गया? मैं भला अपना नाम बदलकर किसी और नाम से क्यूँ टिपण्णी देने लगूं? खैर जब मैंने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो फिर इस बारे में और बात न ही करूँ तो बेहतर है! आप लोगों का प्यार, विश्वास और आशीर्वाद सदा बना रहे यही चाहती हूँ!

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