20.2.09

गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये

माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है..!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ..?
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गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
!!बवाल इसे पूरा कीजिए -----------
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19.2.09

डूबे जी छा गए दिलो दिमाग पर !



"खज़ाना": डूबे जी की भेंट: लेकर आज श्रद्धा स्कूल गयी है .यानि कि आज फ्रेंड'स खूब हँसेंगे कार्टून पर. और श्रद्धा गर्व से बताएगी "डूबे जी हमारे अंकल हैं॥? ""***************************************************************************************

14.2.09

मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है

जी हाँ .... मुझे प्रीत करनी है ............. मुझे रोकने का किसी के पास कोई अधि कार नहीं है
............... ये सर्वथा वैयक्तिक विषय होना चाहिए .... रही धर्म की बात तो मेरा धर्म यदि प्रीत है तब आप क्या कीजिए गा..?आप से जो किया जाए कीजिए मुझे मोहब्बतों का पैगाम देना है यदि यह ग़लत है तो क्या यह सही है .....
*सियासतें सरहदें सरकार इश्क के पर्व को रेग्यूलेट करनें की अधिकारी क्यों हों ...?
*क्या कृष्ण ने प्रीत संदेसा नहीं दिया था दुनिया को
* कौन सा ऐसा मज़हब है जिसे प्रवर्तक ने सिर्फ़ आराध्य के किए लिए प्रवर्तित किया है सच तो यह है कि "सिर्फ़ और सिर्फ़ मासूम जनता जनार्दन के लिए प्रवर्तित किए गए हैं ..किसी ने प्रीत को प्रतिबंधित नहीं किया !!"
*संत वैलेंटाइन में अगर आपको व्यावसायिकता नज़र आ रही है तो क्या किसी अन्य व्यवस्था में व्यवसाय नहीं होता इस पर ज़्यादा खुलासा होता है तो भावनाएं आहात कराने का आरोप दे दिया जाता है ...?
* मुझे इश्क करने से आप क्यों रोकेगें मैं अपनी देश के प्रेम में पागल हो जाऊं ? या समूची मानवता को प्रेम पाश में बांधना चाहूँ और रहा दिवस चुनने का मामला तो मैं कोई भी दिवस चुन लूँ आप क्यों नाराज़ होंगे क्या प्रेम और शान्ति की अवधारणा को किसी भी धर्म से अलग कर सकते हो,,,,,?
मुझे जिन सवालों के उत्तर चाहिए वो तुम्हारे पास नहीं हैं यही है "वयम-रक्षाम:"का उदघोष मुझे प्यार करने दो तुम भी प्यार करो उसे भी प्यार करने दो हम सब प्यार करें - हर-क्षण करें राम से करें सब करें किसी को कोई हर्ज़ हो तो बताइये .................

8.2.09

ब्लॉग-पार्लियामेन्ट की जुगत ज़मने लगी है:

ब्लॉग जगत अब प्रजातान्त्रिक-सूत्र में पिरोया जाने वाला है। इसकी कवायद कई दिनों से फुनिया फुनिया के कई दिनों से जारी थी. सूत्रों ने बताया इस के लिए आभासी-संविधान की संरचना के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं . बताया जाता है की जिस शहर में सर्वाधिक ब्लॉगर होंगे उसे "ब्लागधानी "बना दिया जाएगा . ब्लॉग'स में प्रान्त/भाषा/जाति/वरन/वर्ग/आयु का कोई भेदभाव नहीं होगा . कुन्नू सिंह की अध्यक्षता में बनने वाली ब्लॉग-संविधान की संरचना की जानी लभग तय है. जिसके प्रावधानों में निहित होगी ब्लॉग-सरकार की व्यवस्थाएं .अंतरिम-सरकार के सम्बन्ध में अनाधिकृत जानकारी के अनुसार एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है जिसका संघीय स्वरुप होगा . तथा शासनाध्यक्ष /मंत्रालय की निम्नानुसार व्यवस्था प्रस्तावित होगी :-
  1. ब्लागाध्यक्ष: एक पद
  2. प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
  3. अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
  4. कायदा-मंत्री
  5. टिप्पणी-मंत्री
  6. प्रति-टिप्पणी मंत्री
  7. गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
  8. बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
  9. नारी-ब्लॉग मंत्री
  10. राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस सबके लिए गूगल बाबा से भरपूर मदद के आश्वासनों से बारे जहाज उड़नतश्तरी के पीछे-पीछे जबालिपुरम के तेवर नामक स्थान पर आराम से उतर गए हैं । फुर्सत मिलते ही फ़ुरसतिया जी रवि रतलामी जी के अलावा नीचे लिखी सूची में दर्ज ब्लॉग मालिक आने वाले है .......
40. आवाज़
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
"बोलो नर्मदा में की जय हर-हर नर्मदे "

4.2.09

जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा

कमाल होगा
जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा।
खुदा के बन्दों से जाके कह दो - कमाल हूँ तो कमाल होगा
खुदा की रहमत से जो है रोशन दिया अंधेरी निशा का मेरी -
उसी के कहने से ही बुझेगा, जो तुम बुझाओ कमाल होगा।।




3.2.09

ठीकरा फोड़ समारोह

एक भाई साहब इर्दगिर्द भी ऐसा ही कुछ घट रहा है जो लोग उसे जानते भी नहीं बेचारे स्नेह वश उसके माथे पे टीका लगा के चले जातें हैं क्रम चला आगे तो ये तक हुआ कि जिनके बाल कड़े होने के कारण शेव करने में कठिनाई हो रही थी उनके बाल कार्यक्रम के इंतज़ाम में शामिल एक दुर्जन के सर - कार्यक्रम के बाद के, ठीकरा फोड़ समारोह की चल-रिपोर्ट पठन से खड़े हो जाते और सट-सट शेव हो जाती . लंबे समय तक कुंठावश कसमें खाईं और खाई बनाई। जिसके बगैर सब कुछ चल सकता था । खैर "समय की प्रतीक्षा करना ज़रूरी था'' किंतु अब ज़रूरी हो गया था कि सब कुछ खुलासा कर दिया जाए सो वो आलेख के इसी किसी भाग में लिख दिया जाएगा । डरता भी हूँ की कहीं कोई बवाल न मच जाए .
किंतु एकतरफा कारर्वाई इस टीकाकरण समारोह के प्रायोजक भी अकबकाए...... अंत में पिछली कसमों पर इस उस का हवाला देकर बदली गयी जिसकी सबको उम्मीद थी
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  • नर्मदा-काधुँआधारस्वरुप:-सब को मालूम किंतु सब के लिए मनोरम नयनाभिराम दृश्य माँ ने हर और यहदृश्य नहीं रखा जहाँ ज़रूरी था वहाँ सरल मंथर भी रहीं माँ नर्मदा। नर्मदा जयंती की शुभकामनाओं के साथ

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खुलासा:-

· यूँ कि मैंने Dr. Vijay Tiwari "Kislay" एवं डूबेजीके आग्रह दिनांक 17-01-09 के कारण मीट की सहमति दी साथ ही भावातिरेक एवं ब्लागर्स मीट के लिए उत्साहित होकर आयोजन को सफल बनाने के लिए माहौल भी बनाया . समीर भाई की व्यस्तताओं के मद्दे नज़र ज़रूरी था कि उनके पिछले प्रवास पर संकल्पित मीट जैसा हश्र न हो । समय पर मैं पहुंचा किंतु कुछ मित्र अपनी वैयक्तिक परिस्थितियों के कारण न आ सके......! उनमें पंकज स्वामी,माधव सिंह यादव , डाक्टर विजय तिवारी आदि थे यह बात कोई अप्रत्याशित नहीं कोई भी व्यक्ति समय और सामयिक परिस्थिति के हाथों मजबूर हो सकता है । जो मित्र नहीं आए वे गैर जिम्मेदार नहीं थे उनकी परिस्थितियाँ थीं जो वे न आ सके. रहा आयोजन का सवाल बेहद उपयोगी था । रिपोर्ट न दे सका सरकारी व्यस्तताएं थीं . 10 से 5 बजे तक का काम नहीं है रात बिरात यदि कोई काम सौंपा जाता है निबाहना मेरा फ़र्ज़ है. जबलपुर के एक ब्लॉगर मित्र ने आयोजन की रिपोर्ट तैयार की और पोस्ट कर दी जो मीट की सफलता ही है भाई संजीव तिवारी उनकी यह तीसरी पोस्ट थी यानि मीट का असर अच्छा रहा . उधर बिटिया शैली एवं डूबे जी , सब उत्साहित रहे . एक मित्र डाक्टर प्रशांत कौरव ब्लागिंग का पाठ्यक्रम तैयार कराने का अनुरोध कर गए ताकि ब्लागिंग के लिए क्रेश कोर्स न्यूनतम दरों पर उनके कालेज जबलपुर-कालेज ऑफ़ मीडिया एंड जर्नलिज्म में चलाएं जा सकें . वे नि:शुल्क सेमीनार का भी आयोंजन करना चाहतें हैं ताकि हिन्दी-ब्लागिंग को बढावा मिले . मीट में यह भी तय हुआ कि हर ब्लॉगर कम-से-कम एक ब्लॉगर तैयार करे.
अब बताएं इसमें क्या किसी का सम्मान कम होता है सार्वजनिक कार्य करना न करना सबका अपना मामला है ।

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  • सार्वजनिक संकल्पों में कोई आए तो अच्छा न आए तो अच्छा । सभी अपना अपना व्यक्तित्व, क्षमता, दक्षता साथ लेकर चलते हैं । कोई अपनी रजाई में बैठ कर जाड़ों से बचता है तो कोई ठण्ड से बचने जोगिंग करता है। मेहनत करता है।
  • ग़लत दौनों नहीं तो भाई ग़लत कौन है...? - ग़लत हैं कुंठाएं,क्रोध,मतिभ्रम,.......
  • न तो मैं कोई संकल्प ले रहा हूँ न ही कोई कसम खा रहा हूँ कि मैं किसी समारोह में न जाउंगा जहाँ वे जातें हों जिनसे मैं असहमत हूँ ..... सच तो यह है कि मेरा शत्रु कष्ट में भी बुलाएगा तो ज़रूर जाउंगा । कोई (शत्रु-मित्र) कष्ट में होगा मुझे उसकी मदद करना ही होगा ।
  • मित्रो मुझे स्वीकारिए या नकारिये सुबह से शाम तक मुझे मेरे सभी काम पूरे करने हैं सो करूंगा सही बात सही वक्त पर करूंगा इसमें कोई गफलत होगी तो मैं जिम्मेदार हूँ कोई और नहीं ........ क्या हिन्दी ब्लॉगर की संख्या बढ़ने से किसी एक को लाभ होना है……….?
शायद राहत इन्दौरी साहब का ही शेर है:
"ता उम्र जो अपना चेहरा पढ़ सका
अब हम उसके हाथों आइना नहीं देंगे "

2.2.09

किताबें बुकसेल्फ़ में रखी नज़र आतीं हैं बड़े से ताबूत में सोयी बेज़ुबाँ लाशें !

एक अंतर्द्वंद
अपने सर्वज्ञ होकर
जीवन-जात्रा को
विजय-यात्रा मानने का भ्रम...!
अंहकार अपने आप को....महान मानने का ..!!
एक अंतर्द्वंद
अपने अंतस में न झांकना
सच कितना आत्म शोषण है..?
मैं समझता हूँ :-"यही आत्म-शोधन है...?"
मुझे भ्रम है कि प्रहारक होने का
सच कहूं किसी और पर जब प्रहार करता हूँ तो
कई टुकड़े हो जाते हैं मेरे शरीर में बसी आत्मा के .
इन टुकडों से झांकता है एक महाभारत
अपनों से जारी एकाकी युद्ध.....?
हाँ....तबी आता है तथागत समझाने
"बुद्धम शरणम गच्छामि "
जी हाँ ...
मैं संघर्षरत युद्धरत अनवरत
क्योंकि मुझे मेरी ओर आता
हर इंसान दीखता है ...अरि !
ऐसा सभी कर रहें हैं युद्ध जारी है
कोहराम ठहरा नहीं क्यों
किताबें बुकसेल्फ़ में रखी नज़र आतीं हैं बड़े से ताबूत में
सोयी बेज़ुबाँ लाशें !!

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...