20.10.08

मन का पंछी खजाने उंचाइयां !!

मन का पंछी
मन का पंछी खोजने ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
कब झुका कैसे झुका अज्ञात है,
हृदय केवल प्रीत का निष्णात है।
सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है-
मन का पंछी. . .
बाँध सकते हो तो बाँधो,
रोकना चाहो तो रोको,
बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .

10 टिप्‍पणियां:

manvinder bhimber ने कहा…

मन का पंछी
मन का पंछी खोजने ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।
चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।
फ़लसफ़ों का ,
दृढ़ किला भी ध्वस्त है।
मन का पंछी. . .
bahut hi dil ko chuee hai ye panktiya

seema gupta ने कहा…

बँधा पंछी रुका पानी,
मृत मिलेगा मीत सोचा,
उसका साहस और जीवन
इस तरह ही व्यक्त है।।
मन का पंछी. . .

" Very creative expressions, liked it ya"

Regards

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मनविंदर जी सीमा जी
आप सही में कितनी गहराई से पड़तीं हैं
आभारी हूँ आपका

रंजना ने कहा…

बहुत बहुत सुंदर abhivyakti है.शब्द chayan और bhavabhivyati अनुपम है.
ऐसी ही likhti रहें....

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

wah today i aM LUKY all comments from "matri-shakti"
aabharee hoon

कडुवासच ने कहा…

"चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में,
गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में।"
... प्रभावशाली रचना है।

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

shyam kori 'uday' JEE KA SWAAGAT HAI
CHALO EK BHAIYAA TO AAE
THANK'S JEE

राज भाटिय़ा ने कहा…

मुकुल बहुत ही सुन्दर कविता है, इस मन के पंछी की...
धन्यवाद

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

मन का पंछी
मन का पंछी खोजने ऊँचाइयाँ,
और ऊँची और ऊँची
उड़ानों में व्यस्त हैं।

बहुत ही सुन्दर कविता है.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

thanks mahendra ji

Wow.....New

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