"दीपावली का उपहार"
भेजने वाली मित्र को सादर नमन करते हुए बता दूँ की जितना नशा इन सभी में एक साथ मिलता है वह
भेजने वाली मित्र को सादर नमन करते हुए बता दूँ की जितना नशा इन सभी में एक साथ मिलता है वह
इस विरहनी-लावण्या विरह का हजारवें भाग के तुल्य भी नहीं हैं ?
{अपनी इन मित्र का आभारी हूँ जिनने मुझे शराब , की बोतलों का खजाना भेजा वर्ना यह पोस्ट न लिख पाता }
यह विरह ईश्वर के प्रेम में पगी आत्मा को ही महसूस होता है न कि हर आत्मा को ।
ये , इश्क़ में घायल आवाज़ गोया ,- ग़म ,को बयाँ करती सुनाई दे रही होगी आपको सुनाई दे भी क्यों न ........? इश्क हा ही ऐसी चीज़ आज़माना है तो आज़माइए किंतु याद रखिए मेरी इस बात को ------
इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे....
भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है ?
पाकीज़ा जिंदगियां पाप की पडोसन ,बनाना कभी न चाहतीं हैं और न चाहेंगी। किंतु हम क्या करें जब मन भीगा हो तो साँसें भी कभीसूखी रह सकतीं हैं ...... समीर लाल जी जो देसी मानस लेकर बिदेसिया हो गए है संगी कविताई करने वालों के साथ टी वी स्टूडियो में गए और कने लगे की ये लो भई-टीवी पर भी आ लिए,
मैं ये तो नहीं कहूँगा की जंगल में.............? क्योंकि की अब मोर कहीं भी नांचे कोई न कोई खबरिया चैनल फ़ोटू खींच के ऑन एयर कर देते है...........?विसंगतियों , भरे जीवन में से इनने ...जो भी पोस्ट किया है उसे आगाज़...नहीं उत्कृष्टता की शुभ दीपावली,ही कहिए ।
रही ब्लाग्स के अस्तित्व की बात सो टिपकियों से मत आंकिए । टिप्पणी न मिले तो कोई किरकिरी , थोड़े न हो जाएगी जी....... ओके कोई अपन लोगों को अनुपयोगी कबाड़ से भी
,कुछ न कुछ अच्छा नी मिलेगा । अब देखिए न एक महिला मित्र ने मुझे ऊपर वाला चित्र भेजा हमने भी मन बना लिया चित्र मय केप्शन के भेजें किंतु मन ने कहा नहीं सीमा मत लाँघो सीमा में रहो मजे सेमांझी की सुनिए
नोट:- इस पोस्ट में कुछ नीले शब्दों -को चटका लगा कर गीत सुने जा सकतें हैं । जो http://www.gayaki.com/ पर मिलतें हैं वैसे सभी जानतें हैं मैंने कोई नई बात नहीं लिखी है ।
{अपनी इन मित्र का आभारी हूँ जिनने मुझे शराब , की बोतलों का खजाना भेजा वर्ना यह पोस्ट न लिख पाता }
यह विरह ईश्वर के प्रेम में पगी आत्मा को ही महसूस होता है न कि हर आत्मा को ।
ये , इश्क़ में घायल आवाज़ गोया ,- ग़म ,को बयाँ करती सुनाई दे रही होगी आपको सुनाई दे भी क्यों न ........? इश्क हा ही ऐसी चीज़ आज़माना है तो आज़माइए किंतु याद रखिए मेरी इस बात को ------
इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे....
भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है ?
पाकीज़ा जिंदगियां पाप की पडोसन ,बनाना कभी न चाहतीं हैं और न चाहेंगी। किंतु हम क्या करें जब मन भीगा हो तो साँसें भी कभीसूखी रह सकतीं हैं ...... समीर लाल जी जो देसी मानस लेकर बिदेसिया हो गए है संगी कविताई करने वालों के साथ टी वी स्टूडियो में गए और कने लगे की ये लो भई-टीवी पर भी आ लिए,
मैं ये तो नहीं कहूँगा की जंगल में.............? क्योंकि की अब मोर कहीं भी नांचे कोई न कोई खबरिया चैनल फ़ोटू खींच के ऑन एयर कर देते है...........?विसंगतियों , भरे जीवन में से इनने ...जो भी पोस्ट किया है उसे आगाज़...नहीं उत्कृष्टता की शुभ दीपावली,ही कहिए ।
रही ब्लाग्स के अस्तित्व की बात सो टिपकियों से मत आंकिए । टिप्पणी न मिले तो कोई किरकिरी , थोड़े न हो जाएगी जी....... ओके कोई अपन लोगों को अनुपयोगी कबाड़ से भी
,कुछ न कुछ अच्छा नी मिलेगा । अब देखिए न एक महिला मित्र ने मुझे ऊपर वाला चित्र भेजा हमने भी मन बना लिया चित्र मय केप्शन के भेजें किंतु मन ने कहा नहीं सीमा मत लाँघो सीमा में रहो मजे सेमांझी की सुनिए
नोट:- इस पोस्ट में कुछ नीले शब्दों -को चटका लगा कर गीत सुने जा सकतें हैं । जो http://www.gayaki.com/ पर मिलतें हैं वैसे सभी जानतें हैं मैंने कोई नई बात नहीं लिखी है ।
11 टिप्पणियां:
बहुत सही स्टाईल: मजा आया.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
सुन्दर! दीवाली मुबारक!
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
October 24, 2008 10:16 PM
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October 24, 2008 10:17 PM
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October 24, 2008 10:17 PM
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October 24, 2008 10:17 PM
inaka kya kiyaa jave
sameer bhai kee salah pe charcha kee thee anoop ji seema ji aap sabakaa aabhaar jo apane tipiya diya is post pe par uper kee 3 tipakiyon kaa kya karen ham
unaaka bhee aabhar
बहूत ही शानदार ओर सुंदर ब्लॉग है|
आपको और आपके परिवार को दिवाली कि हार्दिक शुभ कामनाए|
-अरविंद पटेल.
बोल्टन, यु.के.
shukriya arvind bhai
इस पोस्ट को आपने शीर्षक से आकर्षित कराने की कोशिश की है
आपकी रचना शैली भी कुछ अध्यात्म और दर्शन से जुड़ी हुई है और कुछ इस तरह से समाप्त होती है कि पाठक के लिए बहुत कुछ विचार के अंतराल छोड़ जाती हैं . वैसे कुछ चींजे आपसे प्रत्यक्ष चर्चा करने पर स्पष्ट हो सकेंगी. मेरा मान रखने के लिए आभार.
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