एक लाइन की चर्चा :


आज सोच रहा हूँ चर्चा करुँ चिट्ठों पर कुछ ग़लत लिख जाए तो टिपिया देना भाइयो और बहनों वास्तव में चिट्ठों को चर्चित करना उद्देश्य है न की किसी को दु:खी करना

केवल ब्लाग्स के शीर्षकों को बांच के यूँ ही कुछ कहने से कैसा लगेगा


सभी चिट्ठाकारों को हार्दिक बधाई जिनके चिट्ठे शामिल न हो सके वे बेनाम टिपियाएँ या बांचें “एक ख़त अज्ञातानंद जी नाम !”


चिट्ठा जगत से साभार

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
मजेदार!
PD ने कहा…
इंतजार भी कितनी खूबसूरत होती है.. है ना?:- इंतज़ार करोगी तो खूबसूरत होगा और इंतज़ार करोगे तो खूबसूरत होगी आप कर रहें हैं या कर रहीं हैं ?

जाहिर है कि मैंने इंतजार को स्त्रीलिंग कि संज्ञा दिया है.. :)
Satish Saxena ने कहा…
अरे वाह ! आपने तो अनूप जी के चिटठा चर्चा की याद दिला दी !
Anil Pusadkar ने कहा…
गज़ब कर दिया गिरीश जी।बधाई आपको पैनी निगाहों की।
अनूप शुक्ल सच्ची में तो धन्यवाद,
pd sir just kidding,,,,,,,,,,,,,!!
बुरा मत मानिए
सतीश सक्सेना जी मैंनें बस यूँ ही लिखा मारा.
गुरु भाई अनिल पुसदकर जी आभारी हूँ आपका
PD ने कहा…
अरे नहीं भाई.. मैंने भी मजाक में ही लिया है.. :)
seema gupta ने कहा…
" wow, great, it is really very intresting to read. enjoyed reading it ya'

regards
धन्यबाद मजेदार कांसेप्ट जिस पर आपने लिखा की उनके बाप से पूछ आयें कृपया उसको पढ़कर अनुग्रहीत कीजिये

मेरे ब्लॉग पर पधारे
९ तारीख को उद्धव जी ने एक बयान दिया की मुम्बई मेरे बाप की
और मुझे मर्दर्शन दे की इस बार पॉडकास्ट के लिए कौन सी कवितायें रिकॉर्ड करुँ
Unknown ने कहा…
एक लाइना पंढ के मजा आ जाता है । बहुत बढिया । एक अनूप जी जैसा ही लगा ।
rakhshanda ने कहा…
बहुत अच्छा लगा यहाँ आकर, आते रहने का इरादा है...
रक्षंदा जी ,नीशू भाई, प्रदीप मानोरिया जी,सीमा गुप्ता जी
शुक्रिया जी
विवेक सिंह ने कहा…
चिट्ठा चर्चा वाली मण्डली से मेरी पोलाइट विनती है कि मिसफिट जी को अपनी मण्डली में फ़िट कर लें . इस हीरे को परखो जौहरियो . कहीं प्रतिभा पलायन न हो .वैसे ही आजकल अधिकतर चिट्ठाचर्चा वाले चर्चा को बोझ समझते दिखाई दे रहे हैं .

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