18.1.08

डाक्टर विजय तिवारी "किसलय"

कवि हैं मित्र हैं अच्छे आदमी हैं ।HINDI SAHITYA SANGAM JABALPUR INDIA के मालिक हैं । हिन्दी में लिखने की आदत नही लिंक नही है इनके पास सो रचना लेकर आ गए मेरे पास बसंत मिश्रा जी के साथ।
इनसे मेरी खूब नौक-झौंक होती है। मेरी इनसे कम ही पटती है। किन्तु ये मुझे प्रिय हैं ऐसा क्यों है मुझे नहीं मालूम......शायद इस लिए कि ये इतने अच्छे हैं कि जब मैं संकट में होता हूँ तो ये हनुमान जैसे आ खडे होते हैं......या इस लिए कि ये ये ही वो अकेले हैं तब मुझसे मिलने अकेले नागपुर पहुंचे थे.... बीमार काया मानो नीरोग हों गई थी ...... या इस लिए कि इनसे मेरा कोई पारिवारिक नाता तो नहीं फिर भी अंतस के संबंध हैं ।
राजशेखर की राजधानी "तेवर " जबलपुर शहर के १३ किलो मीटर दूर है वहीं पैदा हुए हैं ये भाई साहब ..... तीखे पनागर की हरी-मिर्च जैसे मीठे कटंगी के रसगुल्ले जैसे काम काज में कैसे हैं इसका निर्णय किसलय जी के बॉस कर सकतें हैं अथवा घर में सुमन दीदी...।? मैं कौन होता हूँ निर्णय करने वाला....!
खैर छोड़िए मुझे तो माँ की याद में लिखी उनकी इस कविता ने भावुक कर दिया है आप भी देखें
ममता के आँचल में मुझे फिर से सुलाने आ जाओ
बचपन की प्यारी स्मृतियाँ आँखें नम कर जातीं हैं।
गलती कर पहलू में तेरे ,छिपाना याद दिलातीं हैं।
इन खट्टी-मीठी बातों की कथा सुनाने आ जाओ।
ममता......................................!
भले नयन से दूर हों लेकिन , मन से कभी रहा न दूर ।
मुझे ख़बर है तनिक कष्ट भी,तुमको कभी कहाँ मंजूर॥!
इस भौतिक दूरी का माँ तुम अंत करानें आ जाओ....!
ममता..................................!
माना तेरी उम्मीदों पे , खरा नहीं माँ उतारा मैं....!!
जननी तुमको आभास तो है.... मैं नित पीडा से गुजरा हूँ....!!
हाथों से स्पर्शी तुम् मुझे लगाने आ जाओ ...!
ममता..................................!
मैं जन्मा तुम ने पीडा सह ईश्वर को ही आभार कहां....
उसकी सेवा मैं कर न सका , तब साँसों का आधार रहा ।
कैसे कृतग्ज्ञता व्यक्त करूं तुम राह सुझाने आ जाओ .....?
ममता..................................!!
ये गीत डाक्टर विजय तिवारी का है।
सम्पर्क २४१९ विसुलोक, मधुवन कालोनी ,जबलपुर म० प्र०
फोन: 09424325353,
07612649350,
ये भाई साहब बडे मजेदार हैं.....इनकी पत्नी सुमन मेरी दीदी हैं इस लिए मैं इनको "जी जा " कहता हूँ जो विजय जी के लिए दुआ ही है... कोई किसी को जी जा कहे उसके लिए दुआ ही तो है।

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...